पीत बसन धरती ने ओढ़ी, यौवन फसलों का गदराया, अंग-अंग में अंगड़ाई है, मधुमास लौट फिर से आया।टेक।
नयनों में सतरंगी सपने, आते-जाते लगते अपने, सुधि की मोहक अमराई में, चॉद लगा मन को चुभने। धरा वधूटी सी सज-धज कर, नव नेहिल वारिद मॅडराया। पीत वसन धरती ने ओढ़ी, यौवन फसलों का गदराया।1।
लूट लिया था पतझर ने कल, तरु-तर उपवन रूप विमल, कोंपल,किसलय,लतिका मचले-, कलिका बिहॅसे मधुर धवल। रोम-रोम में मादक सिहरन, कुंज-निकुंज शलभ बौराया। पीत वसन धरती ने ओढ़ी, यौवन फसलों का गदराया।2।
कल आयेगी भोर सुहावन, भर जायेगी डेहरी-ऑगन, पुलक धिरकते खग-कुल देखो-, नवल व्योम छवि रूप लुभावन। भंग पिये बिन मस्त भृंग से, मधु माधव ने फिर बिखराया। पीत वसन धरती ने ओढ़ी, यौवन फसलों का गदराया।3।
रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित है।
22 जनवरी वह पवित्र दिवस है जब हिंदुस्तान के भाग्य जागेंगे प्रभु अयोध्या आएंगे फिर एक बार इस धरती पर राम नाम ध्वजा फहराएंगे राम नाम पर शहीद हुए जो उनका बलिदान रंग लाया है यह तो प्रभु की माया है कि यह दिन अब सत्य होने वाला है आस लिए व्याकुल नैन निहार रहे थे कि कब प्रभु के पद रज धोकर कई केवट भवसागर तर जाएगे कोटि-कोटि भारतवासी के हृदय मे इस दिन का इंतजार था हर एक सनातनी के मन मे यही सवाल था कब इस आर्यावर्त की भूमि पर आर्य हमारे पधारने धन्य है वो मां के लाल ,जिनके कर कमलो से अयोध्या का उद्धार हुआ सतयुग मे तो एक रावण था कलियुग मे रावण से धरती पटी पडी इसीलिए यह लंका युद्ध अधिक लंबा था, और प्रभु को अयोध्या लौटने इतना विलंब हुआ । देर हुई तो क्या हुआ राम लला घर आ ही गए । प्रभु के आने की खुशी मे हम सब घर-घर दीप जलाकर दिपावली मनाएंगे । फिर एक बार धरती पर राम राज्य आने का सपना हम सब मिलकर सजाएगे। प्रेमलता शर्मा ( रायबरेली)
नववर्ष 2021 पर अवध की धरती के सपूत शैलेंद्र कुमार एक प्रतिष्ठित लेखक है। New year poetry 2021-नववर्ष उन्ही रचना में से एक है । आप की रचना समाज को एक नई दिशा और संदेश देती है हिंदी रचनाकार पाठकों और विश्व के हिंदी भाषी लोगों के सामने प्रस्तुत है रचना।
नव वर्ष
साथी कैसे कहूं? क्या कहूं?
नववर्ष तो पिछली बार भी आया था
लेकर वजूद हजार खुशियों का
हृदय में गहराई तक समाया था ।
तुम्हारी वह स्नेहिल दृष्टि
और वह नूतन अहसास
सच कहूंँ यथार्थ की भूमि पर
मेरी कल्पनाओं का महल उतर आया था ।
उन दिनों मैं कितना खोया खोया था ,
कितनी लगन थी सोच नहीं सकता
बमुश्किल उस पंक्ति में
उन भावों को कैसे ला पाया था ।
गर्व था सृजन के क्षणों पर
और लेखनी पर भी ,
आखिर अपनेपन के अहसास को
इतने नजदीक से छू पाया था ।
किस ढंग से लिखा था ‘हैप्पी न्यू ईयर’
कला के इस अनोखे रूप को
नववर्ष २०२१ पर हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक की नववर्ष पर रचना नव- वर्ष से अपेक्षाएं(new year poem ) विश्व के हिंदी भाषी लोगो के लिए प्रस्तुत है ।