मधुमास लौट फिर से आया | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

पीत बसन धरती ने ओढ़ी,
यौवन फसलों का गदराया,
अंग-अंग में अंगड़ाई है,
मधुमास लौट फिर से आया।टेक।

नयनों में सतरंगी सपने,
आते-जाते लगते अपने,
सुधि की मोहक अमराई में,
चॉद लगा मन को चुभने।
धरा वधूटी सी सज-धज कर,
नव नेहिल वारिद मॅडराया।
पीत वसन धरती ने ओढ़ी,
यौवन फसलों का गदराया।1।

लूट लिया था पतझर ने कल,
तरु-तर उपवन रूप विमल,
कोंपल,किसलय,लतिका मचले-,
कलिका बिहॅसे मधुर धवल।
रोम-रोम में मादक सिहरन,
कुंज-निकुंज शलभ बौराया।
पीत वसन धरती ने ओढ़ी,
यौवन फसलों का गदराया।2।

कल आयेगी भोर सुहावन,
भर जायेगी डेहरी-ऑगन,
पुलक धिरकते खग-कुल देखो-,
नवल व्योम छवि रूप लुभावन।
भंग पिये बिन मस्त भृंग से,
मधु माधव ने फिर बिखराया।
पीत वसन धरती ने ओढ़ी,
यौवन फसलों का गदराया।3।

रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित है।

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश;
रायबरेली

स्वर्ण युग का आगमन | प्रेमलता शर्मा

22 जनवरी वह पवित्र दिवस है
जब हिंदुस्तान के भाग्य जागेंगे
प्रभु अयोध्या आएंगे
फिर एक बार इस धरती पर
राम नाम ध्वजा फहराएंगे
राम नाम पर शहीद हुए जो
उनका बलिदान रंग लाया है
यह तो प्रभु की माया है
कि यह दिन अब सत्य होने वाला है
आस लिए व्याकुल नैन निहार रहे थे
कि कब प्रभु के पद रज धोकर
कई केवट भवसागर तर जाएगे
कोटि-कोटि भारतवासी के हृदय मे
इस दिन का इंतजार था
हर एक सनातनी के मन मे यही सवाल था
कब इस आर्यावर्त की भूमि पर
आर्य हमारे पधारने
धन्य है वो मां के लाल ,जिनके कर कमलो से अयोध्या का उद्धार हुआ
सतयुग मे तो एक रावण था
कलियुग मे रावण से धरती पटी पडी
इसीलिए यह लंका युद्ध अधिक लंबा
था, और प्रभु को अयोध्या लौटने इतना विलंब हुआ ।
देर हुई तो क्या हुआ राम लला घर आ ही गए ।
प्रभु के आने की खुशी मे हम सब
घर-घर दीप जलाकर दिपावली मनाएंगे ।
फिर एक बार धरती पर राम राज्य आने का सपना हम सब मिलकर सजाएगे।
प्रेमलता शर्मा ( रायबरेली)

Navvrsh par kavita||maa par kavita/baba kalpnesh

बाबा कल्पनेश की कलम से दो रचना जो समाज को एक संदेश देती हैं Navvrsh par kavita,maa par kavita नववर्ष,माँ ममतामयि जो पाठको के सामने प्रस्तुत है।

नववर्ष


अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।
अभी यहाँ हर ठाँव, अधिक कुहरा गहराया।।

हम तो अधिक उदार, पराया पर्व मनाते।
अपने त्यागे छंद ,गजल औरों की गाते।।

हिंदी से मुख मोड़, सदा अंग्रेजी सीखें।
हमको समझे हेय,उन्ही नयनों को दीखें।

हम जो नहीं कदापि,रूप हमको वह भाया।
अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।।

हम ज्यों बाल अबोध,दौड़ कर आगी पकड़े।
जले भले ही हाथ, सोच पर अपनी अकड़े।।

सन् यह बीता बीस,सनातन नहीं हमारा।
अभी अधिक है दूर,चैत का नव जयकारा।।

जब बसंत हर ठाँव, मिले सुंदर गहराया।
अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।।

अपना जो आधार, हमें है कम ही भाता।
निज पतरी का भात,हमें है कहाँ सुहाता।।

दूजे का हर रंग, बड़ा चटकीला लगता।
हमको अपना चाव,आश्चर्य पल-पल ठगता।।

उनके सुनकर बोल,सदा हमने दुहराया।
अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।।


विधा-मधु/दोधक/बंधु/फलस्वरूप छंद
विधान-भगण भगण जगण+22
11वर्ण, चार चरण,प्रति दो चरण समतुकांत

माँ ममतामयि


नीर भरे दृग मातु निहारे।
माँ ममतामयि लाल पुकारे।।

डूब रहा भव सिंधु किनारे।
जीवन कंटक हैं भयकारे।।

दृष्टि करो नित नेह भरी री।
डूब रही अब जीव तरी री।।

ज्ञान नहीं चित रंच बचा है।
जीवन सार विसार लचा है।।

पाप भरी गगरी अब फूटे।
जीवन याचकता जग छूटे।।

नित्य सुझुका रहे यह माथा।
तीन त्रिलोक रचे यश गाथा।।

गूँज रही महिमा जग भारी।
बालक-पालक माँ भयहारी।।

कौन दिशा यह बालक जाए।
माँ ममता तज क्या जग पाए।।

ले निज अंक सुधार करो री।
सत्य सुधा रस सार भरो री।।

हो चिर जीव सदा यह माता।
गीत रहे महिमा तव गाता। ।

navrsh-kavita-maa-kavita
बाबा कल्पनेश

navrsh kavita, maa kavita, बाबा कल्पनेश की स्वरचित रचना है  आपको पंसद लगे सामाजिक मंचो पर शेयर करे जिससे हमारी टीम का उत्साह बढ़ता है।
 

new year hindi geet -डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज के गीत

  नव वर्ष 

(new year hindi geet )

 

 नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन | 

 

 सद्कर्म करें सतपंथ  चलें 

आलोक दीप बन सदा जलें 

पथ पर नित नव निर्माण करें 

साहस से अभय प्रयाण करें 

हम करें राष्ट्र का आराधन 

नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन | 

 

हम मातृ भूमि को प्यार करें 

जन- जन का हम सत्कार करें 

मानवता का हम गुण गायें 

विपदाओ मे हम मुस्कायें 

हम जियें सदा समरस जीवन 

नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन |


२. नवल वर्ष शतबार बधाई 

नयी दिशा में प्रगति लक्ष्य पर,

शुचि मंगलमय शुभ जीवन हो ,

नवल  वर्ष   शतबार    बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

स्वस्थ  विचार बुद्धि में उपजें ,

और ह्रदय में मधुरिम रिश्ते,

छल प्रपंच के ढूह ढहे सब ,

स्वच्छ बने समता के रस्ते |

 

ऐसा मंत्र पढ़ो युग स्वर में,

सभी अपावन भी पावन हो ,

नवल वर्ष शतबार बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

बहे पवित्र आचरण धारा ,

धुले कलुष जीवन का सारा ,

भेदभाव मन का मिट जाये ,

तम पर अंकित हो उजियारा |

 

पग-पग पथ पर अनय मिटाता ,

गरिमा  आभामय  जीवन  हो ,

नवल  वर्ष शतबार   बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

नवल ज्योति बिखराते आओ ,

जीवन का तम  दूर    हटाओ ,

नव उमंग नव गति लय लाओ ,

नव  आभा  फैलाते  जाओ |

 

हो अवसाद तिरोहित मन का ,

आह्लादित रसमय जीवन हो ,

नवल  वर्ष शतबार   बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |


 

naye saal par kavita /वर्ष 2020-प्रेमलता शर्मा

नए साल के आगमन पर  हिंदी की वरिष्ठ लेखिका प्रेमलता शर्मा का naye saal par kavita /वर्ष 2020 पाठकों के सामने प्रस्तुत है –

कविता वर्ष 2020


वर्ष 2020 की विदाई में

कुछ ही समय अब बाकी है
बहुत कड़वे जख्म दिए हैं

जो ना भुलाने वाले हैं
कुछ भी हो पर वर्ष 2020

इतिहास के पन्नों पर
मानव जाति के हत्यारे के रूप में

अपना नाम दर्ज करा गया
लोग इसका दिया हुआ

दर्द कभी ना भूल पाएंगे
हर 1 वर्ष को पीछे छोड़

यह बहुत आगे निकल गया
ऐसा जहर घोला पर्यावरण में
विश्व को श्मशान बना दिया
वर्ष 2020 का हर पल

हर दिन हर महीना
एक नई दहशत का आह्वान किया
मानव जाति इसके आगे

हाथ बांधे निस हाय खड़ा
लेकिन हमने भी इसके आगे

हार नहीं मानी है
इसकी विदा घड़ी आने में

अब कुछ ही देर बाकी है
वर्ष 2021 से लोगों ने

बहुत उम्मीद बांधी है
कि शायद 2021 वर्ष 2020 का

मरहम बन कर आएगा और

सारे जख्मों को भर कर
दुनिया पर अपने

खुशियों का परचम लहराएगा

naye-saal-par-kavita
प्रेमलता शर्मा

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आपको नए साल पर  naye saal par kavita /वर्ष 2020-प्रेमलता शर्मा की रचना कैसी लगी अपने सुझाव कमेंट बॉक्स मे अवश्य बताएं | 

New year poetry 2021-नववर्ष/शैलेन्द्र कुमार

नववर्ष 2021 पर अवध की धरती के सपूत शैलेंद्र कुमार एक प्रतिष्ठित लेखक है। New year poetry 2021-नववर्ष उन्ही रचना में से एक है । आप की रचना समाज को एक नई दिशा और संदेश देती है हिंदी रचनाकार पाठकों और विश्व के हिंदी भाषी लोगों के सामने प्रस्तुत है रचना।

नव वर्ष


साथी कैसे कहूं? क्या कहूं?

नववर्ष तो पिछली बार भी आया था
लेकर वजूद हजार खुशियों का

हृदय में गहराई तक समाया था ।

तुम्हारी वह स्नेहिल दृष्टि

और वह नूतन अहसास

सच कहूंँ यथार्थ की भूमि पर

मेरी कल्पनाओं का महल उतर आया था ।

उन दिनों मैं कितना खोया खोया था ,
कितनी लगन थी सोच नहीं सकता

बमुश्किल उस पंक्ति में

उन भावों को कैसे ला पाया था ।

गर्व था सृजन के क्षणों पर

और लेखनी पर भी ,
आखिर अपनेपन के अहसास को

इतने नजदीक से छू पाया था ।

किस ढंग से लिखा था ‘हैप्पी न्यू ईयर’
कला के इस अनोखे रूप को

 

इतनी सहजता से प्रस्तुत कर पाया था ।

कितनी रसमय थी वह कविता और वह दिन

प्रसाद में माधुर्य लिपटा रहा आद्यान्त

एक गुण और था हर पंक्ति में

तुम्हारा नाम आया था ।

साथी कैसे कहूँ? क्या कहूँ?

नव वर्ष पिछली बार भी आया था।

New-year-poetry
शैलेन्द्र कुमार

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शैलेन्द्र कुमार की रचना new year poetry 2021-नववर्ष कैसी लगी अपने सुझाव कमेंट बॉक्स मे अवश्य बताएं।

new year poem /नव- वर्ष से अपेक्षाएं ।

नववर्ष २०२१ पर हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक की नववर्ष पर रचना नव- वर्ष से अपेक्षाएं(new year poem ) विश्व के हिंदी भाषी लोगो के  लिए प्रस्तुत है । 

नव- वर्ष से अपेक्षाएं ।


नव- वर्ष की स्वर्णिम प्रभा ,

जीवन को सुख- समॄद्धि दे ।

हे     ईश ,   मेरे   देश   के  ,

स्वाभिमान को अभिवॄद्धि दे ।

 

देश    का  हर  नागरिक ,

सच्चरित्र   निष्ठावान  हो ।

धर्म और संस्कृति का रक्षक ,

सद्गुणों   की  खान   हो   ।

 

सीमाओं  पर  दुश्मन  पड़ोसी ,

खेल   खूनी  खेलता   है   ।

गर्दन   पकड़   मरोड़     दो ,

हर बात में जो  ऐंठता   है  ।

 

नव – वर्ष  में  सेना  प्रबल  ,

दे  ईंट  का  पत्थर  जवाब ।

चीन – पाकिस्तान   दोनों  ,

छोड़  दें  बिल्ली के ख्वाब।

 

शिक्षा  सुसंस्कृति  में  युवा ,

स्थापित  करें नव कीर्तिमान।

भारत    बने पुनः विश्वगुरु,

हो शंख ध्वनि से कीर्ति गान।

 

क्यों अन्न – दाता  देश का  ,

अधिकार हित पथ पर पड़ा ॽ

गणतंत्र  उसका  ऋणी  है  ,

माटी  का  वह  हीरा  जड़ा  ।

 

नव वर्ष कॄषक- श्रमिक  के ,

सौभाग्य  का नव -वर्ष  हो  ।

फूले- फले  किसान  और  ,

खलिहान अन्न  समॄद्ध  हो ।

 

नव -वर्ष रोगों से रहित  हो ,

स्वस्थ  नर – नारी  सभी  ।

प्रगति  का पहिया चले जब ,

लौटें  पथिक खुशियां सभी।

new-year-poem

सीताराम चौहान पथिक

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