मैंने ऐसी प्रीति देखी है | हिंदी गीत | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज

मैंने ऐसी प्रीति देखी है | हिंदी गीत | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज मैंने ऐसी प्रीति देखी हैजिससे लाज सॅवर जाती हैमैंने ऐसी रीति देखी हैनैया बीच भ‌ॅवर जाती है । बादल भी कुछ ऐसे देखेजो केवल गरजा करते हैंउनमें कुछ ऐसे भी देखेजो केवल वर्षा करते हैं । कहीं-कहीं तो हमने देखाअपनों के ख़ातिर … Read more

जिन्दगी | अवधी कविता | इन्द्रेश भदौरिया

जिन्दगी | अवधी कविता | इन्द्रेश भदौरिया रंग कइसा देखावत हवै जिन्दगी।रंक राजा बनावत हवै जिन्दगी। आजु आये हवौ काल्हि जइहौ चले,एकु दिन सबका बोलावत हवै जिन्दगी। जबै चाभी भरै तो खेलउना चलै,जानी का? का? करावत हवै जिन्दगी। जउनि दुस्मन रहे मेलु उनते करै,मेली दुस्मन बनावत हवै जिन्दगी। जिनका पहिले धरा पर गिराइसि रहै,आजु उनका … Read more

गंगा | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

गंगा | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’ हे पतित पावनी गंगा,तेरी जय हो।हे पापनाशिनी,गंगा तेरी जय हो।पर्वत से चलकर,तू धरती पर आई।तू आई तो धरती पर,रौनक छाई।मैं तेरा ही गुण गाऊं,तेरी जय हो।अमृत जैसा तेरा जल,सबको भाया।मानव पीने को,तेरे तट पर आया।हे मोक्षदायिनी गंगा,तेरी जय हो।अंत समय में सबको,तू अपनाती है।अपनी गोदी में फिर,उसे सुलाती है।जन्म-मरण … Read more

कहानी | ठंडा पड़ गया शरीर | सम्पूर्णानंद मिश्र

कहानी | ठंडा पड़ गया शरीर | सम्पूर्णानंद मिश्र चाय का कप लेकर बेडरूम में जैसे ही दीप्ति पहुंचती है वैसे ही सुमित के मोबाइल की घंटी घनघना उठती है।‌ सुमित हड़बड़ाकर बिस्तर से उठता है उस समय घड़ी सुबह के नौ बजा रही थी उसे लगा कि आज फिर दफ़्तर के लिए लेट हो … Read more

डिजिटल भारत – बदलाव की पहल: उभरते मुद्दे और चुनौतियां | डाॅ अशोक कुमार गौतम

डिजिटल भारत – बदलाव की पहल: उभरते मुद्दे और चुनौतियां ‘डिजिटल भारत‘ की बात जब भी मन में आती है, ‘सूचना प्रौद्योगिकी‘ शब्द मन में कौंधने लगता है। आँखों के सामने सम्पूर्ण विश्व की तस्वीर उभर कर आ जाती है। ऐसा लगता है सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड मुट्ठी में आ गया है। डिजिटल इण्डिया के विषय में … Read more

हमारी आवाज | रत्ना भदौरिया

short-story-ye-kya-in-hindi

इंसानियत ख़त्म हो गई है इस बात से बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता। मैं तो इस बात को चीख चीखकर कहती हूं। अगर इंसानियत होती तो हम बार बार स्त्री होने के नाम पर पिस्ते नहीं देखो न कभी मणिपुर कभी राजस्थान कभी हाथरस मुझे नहीं लगता कि देश का कोई भी कोना बचा होगा … Read more

मेरे जीवन की प्रतिमूर्ति :मेरे गुरु

मेरे जीवन में कोई एक अध्यापक नहीं बल्कि अनेकों गुरुओं का योगदान रहा है और मैं मानती भी हूं कि वो हर व्यक्ति गुरु होता है जिससे हम कुछ न कुछ सीखते हैं। लेकिन कुछ गुरु विशेष हैं मेरे जीवन में जो कुछ न कुछ नहीं बल्कि सभी कुछ सिखाने की कोशिश में लगे रहते … Read more

शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान-2023 प्रविष्ठियाँ आमंत्रित

Shilpi- chaddha- smriti- award

शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान-2023 प्रविष्ठियाँ आमंत्रित New Delhi : प्रत्येक वर्ष की भांति, इस वर्ष भी 12 दिसम्बर, 2023 को ‘’शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान’’ हिंदी भवन, दिल्ली में दिये जाने है। भारत वर्ष में रहने वाले, किसी भी आयु वर्ग के, महिला-पुरूष, लेखक इसमें भाग ले सकते हैं। आपकी पुस्तक मिलने के पश्चात आपको मेल … Read more

फैसला | रत्ना भदौरिया | Hindi Short Story

short-story-ye-kya-in-hindi

फैसला | रत्ना भदौरिया | Hindi Short Story इंतजार की हद होती है ये बात खूब सुनी थी और हर दिन सोचता भी की मेरे इंतजार का ——-?हर दिन वो यही कहती की आज नहीं कल बता दूंगी और उसका कल आता ही नहीं बस हर दिन आज होता। मैं उसके कल वाला वो दिन … Read more

सजल |बेटे-बहू नातियों को मैं कोने का सामान हो गया | डाॅ०अनिल गहलौत

बेटे-बहू, नातियों को मैं, कोने का सामान हो गया।धीरे-धीरे अपना ही घर, मुझको चूहेदान हो गया ।। नौते-पानी, चाल-चलन सब, होते सबकी मन-मर्जी से।मैं बूढ़ा क्या हुआ सभी का, सफर बहुत आसान हो गया।। चूर-चूर अभिमान एक दिन, कर देता है समय बली यह।एक केंचुए-सा बुढ़ाँत में, लचर कड़क-संज्ञान हो गया।। नहीं धमक वह रही, … Read more