ड्यूटी | लघुकथा | रत्ना सिंह
ड्यूटी | लघुकथा | रत्ना सिंह तुम्हारा ही घर है बेटा एक बार नहीं अनेक बार कहती हैं फिर भी पता नहीं जैसे ही फोन आता श्रेया तुम बाहर जाओ, थोड़ी देर में बुला लूंगी।अभी जरा व्यक्तिगत बात करनी है।ये व्यक्तिगत बात क्या होती है श्रेया ने हमेशा से यही सुना और देखा की व्यक्तिगत … Read more