सफर | Safar short story in hindi | Ratna Singh

सफर | Safar short story in hindi | Hindi story पता नहीं क्यों मुझे घटना, घटना लगती है? चाहे पुरानी हो या नयी। मुझे अनेकों बार कहा गया , क्या वही घिसी-पिटी बात करती? कहे भी क्यों न। बात करीब चौबीस वर्ष पहले की है, जब आराध्या दो साल की थी। देश-दुनिया से कोसों दूर … Read more

साहित्य और चिकित्सा क्षेत्र का अनमोल रत्न : भगिनी रत्ना सिंह

गाँव के नाम से तो लगता है कि नदी, झील, पहाड़, पर्वत, झरनें आदि की अति विशिष्टता हिमालयी प्राकृति की गोद में रची बसी होगी, क्योंकि नाम ही ऐसा है- पहाड़पुर।वास्तविकता को देखा जाय, तो इक्कीसवीं सदी में भी उस गाँव की समतल भूमि पर सामान्य यातायात की व्यवस्था व सुविधा नहीं है। व्यक्तिगत संसाधन … Read more

घूमता दिमाग | Laghukatha | Hindi Short Story

घूमता दिमाग | Laghukatha | Hindi Short Story दिमाग भी कहां- कहां घुमाता रहता है? कुछ पता ही नहीं चलता , देखो न अब मुम्बई पहुचा दिया। शरीर दिल्ली में दिमाग मुम्बई कितना अजीब कितनी देर से इसे मुम्बई से दिल्ली लाने की कोशिश कर रही हूं लेकिन नहीं वहीं जमा बैठा है।जानती हूं मुम्बई … Read more

रुके हुए पांव | रत्ना सिंह | लघुकथा

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रुके हुए पांव | रत्ना सिंह जैसे ही कालेज से घर आयी तो देखा महतिन काकी बरामदे में ही बैठी हैं। देखते ही कउने दरजा मा पहुंच गईऊ बिटिया। तेरहवीं में हूं कहकर मैं अन्दर चली गई। महतिन काकी या का बोलिके चली गय कुछ समझ मा नहीं आवा। अच्छा छोड़ो ये बताओ यहिके खातिर … Read more

बेसुध | रत्ना सिंह

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बेसुध | रत्ना सिंह | लघुकथा उसका फोन या वो जब तक नहीं आता ये मन भी शान्ति से बैठने का नाम नहीं लेता । ये दिमाग कोड़े मार -मारकर न बैठने पर मजबूर कर देता और फिर क्या बालकनी से झांकती रहती या फिर बार‌-बार‌ फोन को देखती रहती । कभी -कभी दिन में … Read more

नजरिया | रत्ना सिंह | लघुकथा

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नजरिया | रत्ना सिंह | लघुकथा उसका फोन सबके पास आया लेकिन मेरे पास नहीं । मैं दुखी भी नहीं हूं , हैरान परेशान भी नहीं , क्योंकि पता था कि एक दिन आर्यन जरुर सफल होगा मैंने दिन रात मेहनत जो की थी । मैं और आर्यन एक ही स्कूल में एक ही साथ … Read more

अपमान और लाचारी के आँसू | लघुकथा | रश्मि लहर

अपमान और लाचारी के आँसू | लघुकथा | रश्मि लहर “संपादक महोदय?”लखनऊ कार्यालय के एक बड़े से कमरे में पहुँचते ही नीरजा ने किताब पढ़ते हुए व्यक्ति से पूछा।“जी कहिए …!”उसने चश्मे के भीतर से टटोलती निगाहों से नीरजा को देखते हुए कहा।“सर, मुझे अपनी कहानी छ्पवानी है, आपके प्रतिष्ठित अखबार में …” नीरजा ने … Read more

मूर्तियों और फ्रेमों में | सम्पूर्णानंद मिश्र

मूर्तियों और फ्रेमों में | सम्पूर्णानंद मिश्र पुराणों में पूजी जाती हैंस्त्रियांहम लोग पढ़ते और सुनते हैं अक्सरलेकिनपुराण के बाहर आते हीपरिदृश्यबिल्कुल अलग होता हैपहियों के साथघसीटी जाती हैंइक्कीसवीं सदी की स्त्रियांरौंदी गईएक स्त्री की आत्मासड़क परनववर्ष के पहले दिनवैसेसाफ़ साफ़ दिखाईदेती है पुरुष की संवेदनशीलताऔरतों के प्रतिमूर्तियों और फ्रेमों मेंसड़कों पर तो बिल्कुल नहींवही … Read more

तेरा सुंन्दर रूप सुहाना | नरेन्द्र सिंह बघेल

तेरा सुंन्दर रूप सुहाना | नरेन्द्र सिंह बघेल तेरा सुंन्दर रूप सुहाना , अच्छा लगता है । धीरे-धीरे यूँ मुसकाना , अच्छा लगता है ।। मन की बातें तुम जब भी, कह के ना कह पाते हो । धीरे-धीरे होंठ कंपाना , अच्छा लगता है ।। धीरे-धीरे यूँ मुसकाना , अच्छा लगता है ।।1।। खुलीं … Read more

आप सा कोई नही | कल्पना अवस्थी की नई कविता

आप सा कोई नही | कल्पना अवस्थी की नई कविता कौन से लफ्ज़ मैं कहां से लाऊं…. जो आप को समझाना आ जाए आप क्या है मेरे लिए बस ये जताना आ जाए आप जैसे लोग भी होते हैं यह बात ही कमाल की है जवाब है कि आप श्रेष्ठ हैं, पर बात बस एक … Read more