आओ लें संकल्प | डॉ वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर | सौंप गयीं विश्वास

आओ लें संकल्प | डॉ वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर | सौंप गयीं विश्वास ढोल मृदंग बजें शहनाई, व्यक्त करें सब हर्ष।दबे पाँव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।। हम पाश्चात्य संस्कृति पोषक,भूले शाश्वत धर्म।दीपावली दशहरा होली, विस्मृत उनका मर्म।।तुलसी पूजन के दिनआकर,क्रिसमस करे विमर्ष।दबे पाँव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।। चैत्र प्रतिपदा दिव्य धरा … Read more

शैशवी मन की पुलक का | रश्मि लहर | हिंदी कविता

शैशवी मन की पुलक कासामना लिखती रही।नन्हें पग धर ज़िन्दगीप्रस्तावना लिखती रही।। हो बसंती सा गया मन,नव-वधू सी वेदना।कल्पना मधु-यामिनी कीकामना लिखती रही।। भावना ने प्रेम से सजछंद -लय सब रच दिया।दिव्यता अभिव्यक्त होकर,साधना लिखती रही। रूपसी बन मिलन बेलाने किया श्रंगार तब!सर्मपित हो ईश -सखिआराधना लिखती रही। बदलते बन्धन ने रोकाज़िन्दगी का सफ़र तब!उम्र … Read more

समझ | लघुकथा | रत्ना सिंह

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समझ | लघुकथा | रत्ना सिंह मुझे फेसबुक और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना उतना नहीं भाता लेकिन कभी कभी थोड़ा बहुत पढ़ और देख लेती हूं उनमें से कुछ चीजें सुकून दे जाती हैं और कुछ हैरान परेशान तो कुछ बातें सवालों के घेरे में खड़ा कर जाती हैं। आज सुबह अखबार नहीं आया … Read more

कवियों की कलम से दूर आज भी मजदूर | श्रवण कुमार पान्डेय,पथिक

कवियों की कलम से दूर आज भी मजदूर | श्रवण कुमार पान्डेय,पथिक बहुत से कवियों की कलम से दूर आजभी मजदूर है,मजदूर के घर पैदा हुआ नर आज भी बना मजदूर है,01 व्यवस्था घोषणायें करती पर फलक पर कुछ न दिखे,कवि अली कली,प्रियतम से बचे तब मजदूर पर लिखे,02 आजादी के बाद से अब तक … Read more

दो तन में बस प्राण एक हो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

दो तन में बस प्राण एक हो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ तुम दरिया हो तुम सागर हो,मुझ निर्धन की तुम गागर हो।1। तुमसे जीवन धन्य हो गया,प्रिय सरलमना नय नागर हो ।,2। दे दो सरल स्नेह उर पावन,अनुपल उर तव चाकर हो।3। स्नेह-सुरभि बिखराओ जग में,प्रिय सुरभित मलयज आगर हो।4। प्राण चलो तुम साथ सुपथ … Read more

दगा | अपने हैं सब जो दगा दे रहे हैं | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

कल जो सगे थे,दगा दे रहे हैं,लुच्चे-लफंगे, मजा ले रहे हैं।1। इंसाफ कागज पर सबके लिए है,नहीं न्याय देते,भगा दे रहे हैं।2। रिश्वत मिले तो कलम दौड़ जाये,नयी टिप्पणी फिर ,लगा दे रहे हैं।3। सो भी न पाये थे,चैनों-सुकूॅ सेनाहक में मुझको जगा दे रहे हैं।4। जिनके लिए सबसे लड़ता रहा मैं,जुदाई की मुझको सजा … Read more

मेरी संसद यात्रा – अशोक कुमार गौतम | संस्मरण | यात्रावृत्तांत

मेरी संसद यात्रा – अशोक कुमार गौतम | संस्मरण | यात्रावृत्तांत यात्राओं का सुखदायक आनंद हर किसी को भावविभोर कर देता है और रोचक यात्राएँ तो आजीवन मन में रची-बसी रहती हैं। भ्रमणशील यात्राओं से अनेक देशों, राज्यों, धर्मों, रीति-रिवाजों , सभ्यताओं, संस्कृतियों आदि की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती हैं साथ ही यात्राएँ भौगोलिक, ऐतिहासिक, … Read more

नया साल मुबारक हो | नववर्ष का स्वागत | सम्पूर्णानंद मिश्र

नया साल मुबारक हो अपनी आत्मा परकितनी नृशंसघटनाओं का बोझलादेदिसंबर माह बीत रहा हैलूट-पाट, हत्या, बलात्कारजैसेजघन्य पाप का साक्षीभले ही और महीना रहा होलेकिनकसूरवारदिसंबर ही होता हैजैसेघर मेंन कमाने वाले बेटे कीमेहर कोपरिवार केपापों की गठरीबिना किसी प्रतिरोध केउठानी पड़ती हैऔरउसकी आंखोंके एक कोने मेंपड़ा सुषुप्तावस्था मेंउसका आक्रोशउसकी नपुंसकता केख़िलाफ़ खड़ा होता हैलेकिनफिरवहनामचीनबनिए की तरहनरम … Read more

निश्छल भाव की प्रेरक लघु कथा | Hindi Story | आकांक्षा सिंह ‘अनुभा’

निश्छल भाव की प्रेरक लघु कथा | Hindi Story | आकांक्षा सिंह ‘अनुभा’ एक छह वर्ष का लड़का अपनी चार वर्ष की छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था। अचानक उसे लगा कि उसकी बहन पीछे रह गयी है। वह रुका, पीछे मुड़कर देखा तो जाना कि, उसकी बहन एक खिलौने की दुकान … Read more

बैसवारा के प्रमुख साहित्यकार और उनकी रचनाएँ

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बैसवारा की स्थापना महाराजा अभमचन्द्र बैस ने सन् 1230 ई. में किया था। बैसवारा क्षेत्र रायबरेली, उन्नाव लखनऊ के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। बैसवारा का केंद्रबिंदु लालगंज है। बैसवारा को कलम, कृपाण और कौपीन से समृद्ध क्षेत्र कहा जाता है, जिसने अनेक क्रान्तिकारियों और साहित्यकारों को जन्म दिया है।प्रस्तुत हैं प्रमुख साहित्यकारों के … Read more