मैंने ऐसी प्रीति देखी है | हिंदी गीत | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज

मैंने ऐसी प्रीति देखी है | हिंदी गीत | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज मैंने ऐसी प्रीति देखी हैजिससे लाज सॅवर जाती हैमैंने ऐसी रीति देखी हैनैया बीच भ‌ॅवर जाती है । बादल भी कुछ ऐसे देखेजो केवल गरजा करते हैंउनमें कुछ ऐसे भी देखेजो केवल वर्षा करते हैं । कहीं-कहीं तो हमने देखाअपनों के ख़ातिर … Read more

गंगा | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

गंगा | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’ हे पतित पावनी गंगा,तेरी जय हो।हे पापनाशिनी,गंगा तेरी जय हो।पर्वत से चलकर,तू धरती पर आई।तू आई तो धरती पर,रौनक छाई।मैं तेरा ही गुण गाऊं,तेरी जय हो।अमृत जैसा तेरा जल,सबको भाया।मानव पीने को,तेरे तट पर आया।हे मोक्षदायिनी गंगा,तेरी जय हो।अंत समय में सबको,तू अपनाती है।अपनी गोदी में फिर,उसे सुलाती है।जन्म-मरण … Read more

सजल |बेटे-बहू नातियों को मैं कोने का सामान हो गया | डाॅ०अनिल गहलौत

बेटे-बहू, नातियों को मैं, कोने का सामान हो गया।धीरे-धीरे अपना ही घर, मुझको चूहेदान हो गया ।। नौते-पानी, चाल-चलन सब, होते सबकी मन-मर्जी से।मैं बूढ़ा क्या हुआ सभी का, सफर बहुत आसान हो गया।। चूर-चूर अभिमान एक दिन, कर देता है समय बली यह।एक केंचुए-सा बुढ़ाँत में, लचर कड़क-संज्ञान हो गया।। नहीं धमक वह रही, … Read more

रक्षाबंधन | रश्मि लहर | रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता | Poem On Raksha Bandhan In Hindi

रक्षाबंधन | रश्मि लहर | रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता | Poem On Raksha Bandhan In Hindi रक्षाबंधन मेरी कलाई को सहेजेयह रक्षासूत्र मेरी संपूर्णता कोअपनी दुआओं से नवाजता रहता है!संवेदनाओं से गलबहियाॅं करता हुआयह बन्धन जब-तब मुझेनिखारता रहता है, सॅंभालता रहता है! कभी शैशव की मुस्कराती नोंक-झोंक में उलझाता है,तो कभी यर्थाथ की कटु … Read more

झूम कर चांद पर अब तिरंगा कहें | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

झूम कर चांद पर अब तिरंगा कहें | पुष्पा श्रीवास्तव शैली झूम कर चांद पर अब तिरंगा कहें,सबसे उपर हमारा वतन हो गया।उनके झंडे में बस चांद ही चांद हैमेरे झंडे का घर चांद पर हो गया। फब्तियां कसने वालों का सूखा गला,होगा हमसे न कोई अजूबा भला।तुम बना लो खिलौने के औजार बस,तुमसे दुनिया … Read more

वह बूढ़ा पेड़ | सम्पूर्णानंद मिश्र

वह बूढ़ा पेड़ गांव की ड्योढ़ी पर आजवह बूढ़ा पेड़ नहीं दिखा मुझे जिसकी डालियों की देह परचींटियां इत्मीनान से अपना निवाला निर्विघ्न लेकर आती थी किसी आगत ख़तरे मेंउन पेड़ों के कोटर मेंगिलहरियां छुप जाया करती थी गांव की सुहागिनलड़कियां सावन मेंपेड़ की लचीली डालियों परझूलते हुए‌ प्रिय के पास अपनी प्रेम- पाती पहुंचाती … Read more

पहचान पिता हैं | Heart Touching पापा पर कविता हिंदी में

Heart Touching पापा पर कविता हिंदी में, पिता के लिए कविता हिंदी में पहचान पिता हैं अंदर के अभिमान पिता हैं ,सुयश , प्रतिष्ठा , शान पिता हैं ,जीवन के इस रंगमंच पर ,मेरी तो पहचान पिता हैं ! जब धरती पर आँखें खोली ,तुतलाती थी मेरी बोली ,कभी गोद में मुझे उठाया ,उँगली धर … Read more

बंजारा मन गाये | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

बंजारा मन गाये | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’ बंजारा मन गाये,बंजारा मन गाये।दर्द छुपें हैं दिल में जितने,गाकर उन्हें सुनायें।सुबह हुई कब शाम हो गई,पता नहीं चलता है।सारा जीवन घूम-घूम कर,धूप छांव बनता है।ग़म के छाले दिल में कितनें,किसको यह बात। बतायें।आसमान है चादर मेरी,धरती मेरा बिछौना।सर्दी-गर्मी सबको झेलें,यह जीवन का रोना।किस्मत में बस यही … Read more

मूर्तियों और फ्रेमों में | सम्पूर्णानंद मिश्र

मूर्तियों और फ्रेमों में | सम्पूर्णानंद मिश्र पुराणों में पूजी जाती हैंस्त्रियांहम लोग पढ़ते और सुनते हैं अक्सरलेकिनपुराण के बाहर आते हीपरिदृश्यबिल्कुल अलग होता हैपहियों के साथघसीटी जाती हैंइक्कीसवीं सदी की स्त्रियांरौंदी गईएक स्त्री की आत्मासड़क परनववर्ष के पहले दिनवैसेसाफ़ साफ़ दिखाईदेती है पुरुष की संवेदनशीलताऔरतों के प्रतिमूर्तियों और फ्रेमों मेंसड़कों पर तो बिल्कुल नहींवही … Read more

तेरा सुंन्दर रूप सुहाना | नरेन्द्र सिंह बघेल

तेरा सुंन्दर रूप सुहाना | नरेन्द्र सिंह बघेल तेरा सुंन्दर रूप सुहाना , अच्छा लगता है । धीरे-धीरे यूँ मुसकाना , अच्छा लगता है ।। मन की बातें तुम जब भी, कह के ना कह पाते हो । धीरे-धीरे होंठ कंपाना , अच्छा लगता है ।। धीरे-धीरे यूँ मुसकाना , अच्छा लगता है ।।1।। खुलीं … Read more