सलाहकार | सम्पूर्णानंद मिश्र
सलाहकार
सलाहकार
हर युग में हुए हैं राजाओं के
कुछ सलाहकार
राजा के ओंठ होते हैं
आगे-आगे राजा
पीछे- पीछे वे
वे सीधे- सीधे-सीधे
राजा के पेट में चहलकदमी करते हैं
कुछ ऐसे होते हैं
जो बिना कहे
राजा के विचार के चित्र को
अपनी सलाह की तूलिका से रंग देते हैं
एक सीमा तक
इस तरह की पच्चीकारी
स्वीकारता है राजा
और कुछ ऐसे
सलाहकार होते हैं
जो दिन की रोशनी में राजा
और घोर घुप्प अंधेरी रात में
प्रजा के साथ
कुछ सलाहकार
ऐसे होते हैं जो
सत्ता के लिए
राजा के अनैतिक
कार्यों की आग में
ईर्ष्या का घी डालकर
प्रजा को उसमें झोंक देते है
और सारा कसूर
राजा के सिर मढ़ देते हैं
हर युग में
ऐसे सलाहकार रहे हैं
त्रेता में कुछ इसी तरह की
चूक राजा से हुई थी
इसीलिए गाहे-बगाहे
आज भी उस मर्यादित राजा को
इजलास में खड़ा कर दिया
जाता है
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874