नए भवन में | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश

राम आए पधारे,
नए भवन में।
नींद भर करके सोए,
नए भवन में।
साथ लक्ष्मण,मां सीता,
और हनुमत भी हैं।
साथ उनके ये सारा,
जनमत भी है।
सारी खुशियां पधारीं,
नए भवन में।
भाई शत्रुघ्न,भरत,
कैकई,कौशल्या भी।
राजा दशरथ, सुमित्रा,
आई उर्मिला भी।
देख खुशियां मनाईं,
नए भवन में।
सरयू नदिया का पानी,
भी इठलाता है।
आज कितना हूं खुश,
सबको बतलाता है।
प्रीति की फुहार बरसी,
नए भवन में।
राम जी की कृपा,
सदा सबको मिले।
उनके आशीष से,
जीवन सबका खिले।
स्वर्ग से फूल बरसे,
नए भवन में।
अब तो ‘दुर्गेश’ का,
मन उछलनें लगा।
हर घड़ी राम का,
नाम जपने लगा।
बहे खुशियों के आंसू,

नए भवन में।

(सारे अधिकार लेखक के आधीन)
दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश