सखियां मंगल गाओ | प्रतिभा इन्दु

आने वाला है वह शुभ दिन
मिलकर हर्ष मनाओ ,
आयेंगे श्री राम अवध में
सखियाँ मंगल गाओ !

वर्षों से प्यासी आँखों में
नूतन आस जगी है ,
आने वाला है वह क्षण , उस
पथ पर दृष्टि लगी है ।
द्वार-द्वार पर बनी रंगोली
कंचन थाल सजाओ !
आयेंगे श्रीराम अवध में
सखियाँ मंगल गाओ !

इंतजार के बाद सामने
चिर प्रतीक्षित घड़ियाँ ,
सारी अड़चन दूर हुई अब
टूट गई हथकड़ियाँ ।
प्रभु के पग जिस जगह पड़ेंगे
उस पर फूल सजाओ !
आयेंगे श्रीराम अवध में
सखियाँ मंगल गाओ !

राम पिता हैं सकल विश्व के
जननी सीता माई ,
धर्म , अर्थ औ” काम,मोक्ष हैं
रघुवर चारों भाई ।
नवल रंग , नूतन उमंग भर
धर्म-ध्वजा फहराओ !
आयेंगे श्रीराम अवध में
सखियाँ मंगल गाओ !

प्रतिभा इन्दु