हमारी आवाज | रत्ना भदौरिया

short-story-ye-kya-in-hindi

इंसानियत ख़त्म हो गई है इस बात से बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता। मैं तो इस बात को चीख चीखकर कहती हूं। अगर इंसानियत होती तो हम बार बार स्त्री होने के नाम पर पिस्ते नहीं देखो न कभी मणिपुर कभी राजस्थान कभी हाथरस मुझे नहीं लगता कि देश का कोई भी कोना बचा होगा … Read more

मेरे जीवन की प्रतिमूर्ति :मेरे गुरु

मेरे जीवन में कोई एक अध्यापक नहीं बल्कि अनेकों गुरुओं का योगदान रहा है और मैं मानती भी हूं कि वो हर व्यक्ति गुरु होता है जिससे हम कुछ न कुछ सीखते हैं। लेकिन कुछ गुरु विशेष हैं मेरे जीवन में जो कुछ न कुछ नहीं बल्कि सभी कुछ सिखाने की कोशिश में लगे रहते … Read more

1857 के स्वाधीनता संग्राम में रायबरेली के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान | अशोक कुमार गौतम

1857 के स्वाधीनता संग्राम में रायबरेली के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान सन 1857 की क्रांति में अखण्ड भारत के जिन-जिन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उनमें बैसवारा के राजा राव राम बक्श सिंह, अवध केसरी राणा बेनी माधव सिंह, वीर वीरा पासी, लाल चंद्र स्वर्णकार, राजा हरिप्रसाद सिंह, खद्दर-भद्दर यादव, … Read more

आखिर कब तक / रत्ना भदौरिया

short-story-ye-kya-in-hindi

आखिर कब तक / रत्ना भदौरिया पिछले एक महीने से बिस्तर पर पड़ी थी तो फोन छुआ ही नहीं अभी दो दिन पहले थोड़ा तबियत में सुधार आया तो सोचा कि फोन उठाऊं और देखूं कि क्या हो रहा है देश दुनिया में जैसे ही फेसबुक खोला ही था कि अपने आप फेसबुक बंद हो … Read more

स्वाधीनता आंदोलन के सूत्रधार : गुमनाम सिपाही

स्वाधीनता आंदोलन के सूत्रधार : गुमनाम सिपाही भारत की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, सभ्यता एवं संस्कृति संपूर्ण विश्व में अग्रसर थी। समय-समय पर फ्रांसीसी, डचों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों ने भारत में लूटपाट करने में कोई-कसर नहीं छोड़ी। लगभग 300 वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत पर शासन करके अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था। भारत में अंग्रेजों ने … Read more

सरल सुभाउ छुअत छल नाहीं : डॉ० ओम प्रकाश सिंह

यूँ तो नौकरी करके अपनी सेवा करते हुए अनगिनत लोग सेवानिवृत्त हो जाते हैं, किंतु वो अध्यापक-प्राध्यापक जो निःस्वार्थभाव से शिक्षा, साहित्य और समाज को अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, ऐसे लोग ऊँगलियों पर गिने जा सकते हैं। ऐसे ही वरिष्ठ गुरुजनों की श्रेणी में शीर्षस्थ हैं – साहित्यकार, प्रोफेसर डॉ० ओम प्रकाश सिंह … Read more

कड़वा सच | मातृदिवस विशेष| अशोक कुमार गौतम

कड़वा सच सच कड़वा होता है। ये कहावत तो सबने खूब सुना होगा, कहा होगा और देखा भी होगा। मैंने भी खूब देखा, सुना और कहा।लेकिन आज मातृदिवस 14 मई के दिन एक सच की घटना जो झूठ के बेसन में खूब‌ लिपटी हुई है। आप चाहें तो कुछ और भी समझ सकते हैं लेकिन … Read more

साहित्य और चिकित्सा क्षेत्र का अनमोल रत्न : भगिनी रत्ना सिंह

गाँव के नाम से तो लगता है कि नदी, झील, पहाड़, पर्वत, झरनें आदि की अति विशिष्टता हिमालयी प्राकृति की गोद में रची बसी होगी, क्योंकि नाम ही ऐसा है- पहाड़पुर।वास्तविकता को देखा जाय, तो इक्कीसवीं सदी में भी उस गाँव की समतल भूमि पर सामान्य यातायात की व्यवस्था व सुविधा नहीं है। व्यक्तिगत संसाधन … Read more

बैसवारा के प्रमुख साहित्यकार और उनकी रचनाएँ

contribution-of-veeravar-veera-pasi-in-the-ruling-revolution

बैसवारा की स्थापना महाराजा अभमचन्द्र बैस ने सन् 1230 ई. में किया था। बैसवारा क्षेत्र रायबरेली, उन्नाव लखनऊ के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। बैसवारा का केंद्रबिंदु लालगंज है। बैसवारा को कलम, कृपाण और कौपीन से समृद्ध क्षेत्र कहा जाता है, जिसने अनेक क्रान्तिकारियों और साहित्यकारों को जन्म दिया है।प्रस्तुत हैं प्रमुख साहित्यकारों के … Read more

राजा रावराम बख़्श सिंह (डौडियाखेड़ा) : सत्तावनी क्रांति के अमर नायक

राजा रावराम बख़्श सिंह (डौडियाखेड़ा) : सत्तावनी क्रांति के अमर नायक जला अस्थियां बारी-बारी, फैलाई जिसने चिंगारी’जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर, लिए बिन गर्दन की मोल।कलम आज उनकी जय बोल..। (रामधारी सिंह दिनकर) भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारत के अनेक राजा, महाराजा, ताल्लुकेदारों ने खुलकर हिस्सा लिया और अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। … Read more