हमारी आवाज | रत्ना भदौरिया
इंसानियत ख़त्म हो गई है इस बात से बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता। मैं तो इस बात को चीख चीखकर कहती हूं। अगर इंसानियत होती तो हम बार बार स्त्री होने के नाम पर पिस्ते नहीं देखो न कभी मणिपुर कभी राजस्थान कभी हाथरस मुझे नहीं लगता कि देश का कोई भी कोना बचा होगा … Read more