1857 के स्वाधीनता संग्राम में रायबरेली के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान | अशोक कुमार गौतम

1857 के स्वाधीनता संग्राम में रायबरेली के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान

सन 1857 की क्रांति में अखण्ड भारत के जिन-जिन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उनमें बैसवारा के राजा राव राम बक्श सिंह, अवध केसरी राणा बेनी माधव सिंह, वीर वीरा पासी, लाल चंद्र स्वर्णकार, राजा हरिप्रसाद सिंह, खद्दर-भद्दर यादव, रघुनाथ आज का नाम सर्वादरणीय है। स्वाधीनता संग्राम की चिंगारी सन 1857 में अखंड भारत में भड़क चुकी थी। जिसमें असंख्य ज्ञात-अज्ञात शहीदों ने स्वतंत्रता संग्राम की मिसाल को अपने लहू से जलाए रखा। शहीदों के प्रति हम मूक श्रद्धांजलि अर्पित कर पा रहे हैं। सन 1857 के बाद की क्रांति की चिंगारी 1920 के लगभग पुनः जोर-शोर से भड़की और भारत के आजादी प्राप्त तक प्रज्वलित होती रही।
इस क्रम में कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों का परिचय देना समीचीन प्रतीत होता है-

राना बेनी माधव सिंह


अवध प्रांत के शंकरपुर रायबरेली रियासत के राजा राणा बेनी माधव सिंह सन 1857 के गदर में अंग्रेजों से बराबर मोर्चा लेते रहे। आपने अपना साम्राज्य बहराइच तक फैलाया था। गोरिल्ला युद्ध में माहिर राणा साहब को लखनऊ की रानी बेगम हजरत महल ने दिलेर-ए-जंग की उपाधि दी थी। माँ भगवती के उपासक राणा बेनी माधव सिंह ने अंग्रेज सेनापति होप ग्रांड और चैंबर लेन को भागने पर मजबूर कर दिया। आपको अवध केसरी, नर नाहर कहा जाता है। आपने अपने सेनापति वीरा पासी के सहयोग से हर स्तर पर अंग्रेजों को खदेड़ा है और अंतिम सांस तक अंग्रेजों के हाथ नहीं आए।


वीरा पासी
स्वामिभक्त वीरा पासी का जन्म 11 नवंबर सन 1835 को लोधवारी में हुआ था। आपका वास्तविक नाम शिवदीन पासी था। आप राणा बेनी माधव सिंह के प्रमुख सेनापति व अंगरक्षक थे। आपने राणा साहब को ब्रिटिश हुकूमत की जेल से रोशनदान के रास्ते बाहर निकालकर आजाद कराया था। अपनी जान देकर राणा साहब के प्राणों की रक्षा करने वाले वीरा पासी के नाम से अंग्रेज थर-थर कांपते थे। इसलिए अंग्रेजों ने वीरा पासी का पता बताने वाले या वीरा को पकड़ने वाले को उस समय 50,000 रुपये इनाम की घोषणा की थी। भीरा की लड़ाई में राणा बेनी माधव सिंह के प्राणों की रक्षा करते हुए आप शहीद हो गए थे।
अमर शहीद औदान सिंह, सुक्खू सिंह, टिर्री सिंह, रामशंकर द्विवेदी व चौधरी महादेव
18 अगस्त सन 1942 को असंख्य रणबाकुरे सरेनी स्थित थाना में तिरंगा फहराने की जिद पर अड़े थे। तभी अंग्रेजों की गोलियों से 5 क्रांतिकारी शहीद हो गए थे। उन्हीं की स्मृति में थाना के ठीक सामने शहीद स्मारक बनाया गया है।
अंजनी कुमार तिवारी
इनका जन्म 1905 में बछरावां में हुआ था। पिता का नाम स्व० रामदयाल तिवारी था। आजादी की लड़ाई में आप 6 बार जेल गए, 4 वर्ष की सजा भुगती और ₹ 100 जुर्माना लगाया गया। 14 फरवरी सन1982 को आप का स्वर्गवास हो गया था।
अश्विनी कुमार शुक्ल
इनका जन्म 4 जुलाई सन 1907 को बकुलिहा, खीरों में सुखनंदन शुक्ल जी के घर में हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा मारवाड़ी स्कूल कानपुर में हुई। साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय और गोविंद बल्लभ पंत के ऊपर हुए लाठीचार्ज से आहत होकर आप काले झंडे के साथ जुलूस में सम्मिलित हुए। इन्होंने लगान बंदी का भी विरोध किया। लालगंज में 1932 में जत्था बनाकर तार कटिंग की। जिसके जुर्म में 2 वर्ष का कारावास और ₹ 50 जुर्माना लगाया गया।
अम्बिका प्रसाद मिश्र
अम्बिका प्रसाद मिश्र का उपनाम दिवाकर शास्त्री था। आपका जन्म सुल्तानपुर खेड़ा (ऐहार) में स्व० नंदलाल मिश्र के घर में हुआ था। इनकी शिक्षा-दीक्षा काशी विद्यापीठ में हुई। डॉ० संपूर्णानंद और आचार्य नरेंद्र देव के संपर्क में आकर अनेक आंदोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आप समाजवाद के समर्थक और नमक सत्याग्रह में सम्मिलित थे।
अहोरवा दीन यादव
आपका जन्म सन 1910 में पहाड़पुर (मोहन गंज) में हुआ था। पिता का नाम स्व० अधीन यादव था। आप कानपुर में डाक विभाग में नौकरी करते थे, साथ ही गणेश शंकर विद्यार्थी के सम्पर्क में बराबर बने रहते थे। अहोरवादीन स्वाधीनता संग्राम में कॉंग्रेस जुलूस में सम्मिलित होते थे, जिसके कारण 6 माह की जेल और 15 रुपये जुर्माना लगाया गया था। बाद में सन 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह करने के जुर्म में 1 वर्ष का कठोरतम कारावास हुआ था।
अल्ला तवक्कुल मौलाना
अल्ला तवक्कुल मौलाना का जन्म शिवदयाल खेड़ा (बछरावां) में हुआ था। सन 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण 1 वर्ष की कठोर सजा और 40 रुपये जुर्माना लगाया गया था। मौलाना जी बड़े रौबदार इंसान थे, कहते थे कि ‘हमने 1 मिनट में अंग्रेजों को भगा दिया।’
कालिका प्रसाद मुंशी
कालिका प्रसाद मुंशी रायबरेली जनपद में कांग्रेस के जन्मदाताओं में से एक हैं। सन 1921 के मुंशीगंज गोली कांड के बाद एक खुलकर मैदान में आ गए थे। इनके नाम से ताल्लुकेदार और पुलिस दोनों घबराते थे। लालगंज में गांधी चबूतरा आपने ही बनवाया था। जमीदारों ने इन्हें परेशान करने के लिए निराधार मुकदमे लादे। मुंशीगंज मेला इन्होंने शुरू कर आया था। इनको तीन बार में छः छः माह की सजा दी गई थी। संपूर्ण जनपद में इनका व्यापक प्रभाव था खजूरगांव, टेकरी, तिलोई के राजाओं से हमेशा मोर्चा लिया था।
गजाधर प्रसाद वर्मा
आपका जन्म 2 नवंबर 1881 को अजबापुर थाना मोहनगंज में हुआ था। पिता का नाम स्वर्गीय राम सहाय वर्मा था। इन्होंने कक्षा चार तक की शिक्षा पाई थी। तिलोई कांग्रेस कार्यालय पर जब पुलिस ने कब्जा कर लिया तो गजाधर प्रसाद वर्मा ने फिर से ताला तोड़कर कब्जा कर लिया था। माफी न मानने पर अंग्रेजों ने जेल भेज दिया और 6 माह की सजा सुनाई गई थी। जेल में शारीरिक प्रताड़ना दी गई और इनसे कोलू चक्की चलाई गई थी।
गुप्तार सिंह
जिले के प्रमुख कांग्रेसी नेता थे। सरेनी में स्वाधीनता आंदोलन करने के परिणाम स्वरूप कई कई बार में 6 वर्ष की सजा और 2 वर्ष की नजरबंदी ही थी। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। 18 अगस्त सन 1942 में सरेनी गोलीकांड के प्रमुख सूत्रधार थे, जो थाना सरेनी पर कब्जा करके थाना पर तिरंगा फहराना चाहते थे। बाद में ब्रिटिश पुलिस ने गुप्तार सिंह को फरार घोषित करके इनका घर खुदवा लिया था।
चंद्रिका प्रसाद मुंशी जी असहयोग आंदोलन के पश्चात इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। आप 9 बार जेल गए और 7 वर्ष की सजा काटी। कुर्री सिदौली और शिवगढ़ रियासत का सदैव विद्रोह करते रहे। आप गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध हैं। आप महात्मा गांधी से विशेष प्रभावित थे। बछरावां में गांधी विद्यालय इंटर कॉलेज और दयानंद डिग्री कॉलेज सहित कई शिक्षण संस्थाओं के संस्थापक रहे। जीवन भर आपने नमक नहीं खाया।
दल बहादुर सिंह
आपका जन्म 20 अक्टूबर सन 1906 को करामा रक्त में रति पाल सिंह के यहां हुआ था मुंबई में नमक सत्याग्रह मैं 3 माह की सजा काटकर रायबरेली आ गए थे यहां भी बराबर ब्रिटिश हुकूमत से मोर्चा लेते हुए आपने कुल 5 वर्ष की सजा काटी थी।
शिवराम विश्वकर्मा
शिवराम विश्वकर्मा का उपनाम मुरली था। आप जतुआ टप्पा, मलिकमऊ चौबारा के निवासी थे। सन 1932 में 6 माह की सजा काटी थी। आपके ही सहयोग से पुराना तिलक भवन बेलीगंज में बना था। आपके राष्ट्र के प्रति निष्ठा भाव था और हमेशा ब्रिटिश शासन का विरोध किया।
मदन मोहन मिश्र
आपका जन्म 16 जनवरी सन 1917 को बेहटा कला सरेनी में हुआ था। पिता का नाम स्व० चन्द्रनाथ मिश्र था। ये किशोरावस्था से क्रांतिकारी थे। आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद के अध्यक्ष भी थे। 12 जून सन 1938 को विवाह मंडप से आप की गिरफ्तारी हुई थी। आपने “जनता राज” समाचार पत्र का संपादन किया, जिसका अंग्रेजों ने अनवरत विरोध किया। अंत में 20 जनवरी 1994 को आप का स्वर्गवास हो गया था।
रमाकान्त पाण्डेय
आप सलारपुर कोतवाली सदर के रहने वाले थे। पिता का नाम स्वर्गीय संत शरण पांडेय था। सन 1940 – 41 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में 1 वर्ष की सजा और 50 रुपये जुर्माना लगाया गया था। सन 1942 के आंदोलन में अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर आप फरार हो गए थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद के अध्यक्ष थे। देश को आजाद होने पर उन्होंने भारत माता का अभिवादन दंडवत किया था।
राम भरोसे श्रीवास्तव
आपका जन्म सन 1915 में तिलोई में हुआ था। पिता का नाम जगन्नाथ प्रसाद श्रीवास्तव था। पुरुषोत्तम दास टंडन के आग्रह पर आप मद्रास में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने गए थे। फिर सन 1926 में रायबरेली आ गए। आते ही किसान आंदोलन में राजा विश्वनाथ से टक्कर हो गई। आपको कुल 5 वर्ष की सजा हुई थी।
श्रीमती सिताला और श्रीमती सुखदेई
आप दोनों मुस्तफाबाद, ऊँचाहार की रहने वाली थी। सन 1930 में इन वीरांगनाओं को नमक आंदोलन में भाग लेने के कारण 6 माह की सजा और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए 1 वर्ष का कठोर कारावास हुआ था।
गोविंद सिंह
आपका जन्म 18 जून सन 1912 को ओसाह महाराजगंज में हुआ था। सन 1932 में लगान बंदी आंदोलन में भाग लेने के कारण 6 माह की सजा हुई थी। सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी 1 वर्ष के लिए आप जेल गए थे।
गुरुदास
आपका जन्म धुरेमऊ सरेनी में हुआ था। आपके पिता का नाम स्व० भोला था। सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 18 अगस्त 1942 को हुए सरेनी गोलीकांड में आप पकड़े गए थे, जिसके कारण 7 वर्ष का कठोर कारावास की सजा आपने काटी थी।
चोहरजा सिंह
आपका जन्म स्वर्गीय पृथ्वीपाल सिंह के यहां जगदीशपुर नसीराबाद में हुआ था। आपने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया था। सन 1931 में 6 माह की जेल और 25 रुपये अर्थदंड लगाया गया था
जगन्नाथ दीक्षित
पिता का नाम स्वर्गीय दयानिधि दीक्षित था। आप रामपुर निहस्था के निवासी थे। सन 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने के जुर्म में एक वर्ष की जेल और 200 रुपये जुर्माना लगाया गया था।
जयराम सुधांशु
सुधांशु का जन्म 5 मई सन 1922 को दीन शाह गौरा में हुआ था। आपके पिता का नाम स्वर्गीय बाबूलाल था। सन 1941 के सत्याग्रह में 9 माह की सजा का का कठोर कारावास हुआ था।
श्रीमती बुद्धा
आपका जन्म पचवासी जगतपुर में हुआ था। पिता का नाम स्वर्गीय गुरुदीन था। आपने व्यक्तिगत सत्याग्रह में शामिल थी, और आसपास के गॉंवों की महिलाओं को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोही तेवर रखने को कह रही थी। इस आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको 3 माह की कड़ी कैद और 50 रुपये जुर्माना अंग्रेजों ने लगाया था।
सुन्दारा देवी
आपका जन्म ग्राम वंशपुर मुस्तफाबाद, सलोन में हुआ था। सन 1930 में महात्मा गाँधी से प्रेरित होकर सविनय अवज्ञा आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही थी, जिसके जुर्म में 6 माह की कड़ी कैद हुई थी।
रायबरेली जनपद में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की संख्या लगभग 1100 से ऊपर है। मुंशीगंज गोलीकांड में जिस किसान को पहली गोली लगी वह व्यक्ति अमर शहीद बदरू बेड़िया था।
आज के अवसर पर भले ही सभी क्रांतिकारी महानायकों की सूची प्राप्त नहीं है, लेकिन अखण्ड भारत के साथ ही रायबरेली में हुए सभी सभी गोलीकांडों में शहीद हुए किसानों, नौजवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना मेरा धर्म है। इन सबके अतिरिक्त पंडित अमोल शर्मा जिन्हें मुंशीगंज गोलीकांड में छह माह की कैद और ₹ 50 जुर्माना हुआ था, उनको याद करना चाहिए। अलोपीदीन तिवारी, अंगद सिंह, अयोध्या, अवतार पासी, कमला किशोर, केदारनाथ द्विवेदी, गंगा दयाल बाजपेई, गया प्रसाद, जानकी देवी, हजारी प्रसाद, जयराम, सुधांशु, जगन्नाथ कुशवाह, देवता देवी, देवी प्रसाद, उत्तम लाल जैसे न जाने कितने अनगिनत वीरों के नाम हैं, जिनको स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल जाना पड़ा और यातनाएं सहनी पड़ी। परिणाम स्वरूप आज हम स्वतंत्र होकर खुली हवा में सांस ले रहे हैं। अब जरूरत है मानसिक रूप से भी स्वतंत्र हो जाये, जिससे हर भारतवासी सशख़्त और सक्षम बन सके।

अशोक कुमार गौतम
असिस्टेंट प्रोफेसर

शिवा जी नगर, दूरभाष नगर
रायबरेली यूपी
मो० 9415951459