डिजिटल भारत – बदलाव की पहल: उभरते मुद्दे और चुनौतियां | डाॅ अशोक कुमार गौतम

डिजिटल भारत – बदलाव की पहल: उभरते मुद्दे और चुनौतियां

‘डिजिटल भारत‘ की बात जब भी मन में आती है, ‘सूचना प्रौद्योगिकी‘ शब्द मन में कौंधने लगता है। आँखों के सामने सम्पूर्ण विश्व की तस्वीर उभर कर आ जाती है। ऐसा लगता है सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड मुट्ठी में आ गया है। डिजिटल इण्डिया के विषय में जब भी चिंतन करते हैं तो मन में चैटिंग, साइबर कैफै, आनलाइन व्यापारिक कारोबार, विद्यार्थियों के लिये आनलाइन पाठ्य सामग्री, सभी कार्यालयों की जानकारी उभरकर सामने आ जाती है। एक पल में कोई भी प्रोग्राम या आवश्यकताओं का हल खोज लेते हैं। डिजिटल क्षेत्र में टेलीफोन, मोबाइल, पेजर, कम्प्यूटर, इण्टरनेट आदि की अहम भूमिका होती है।

अन्य लेख पढ़े : भारत में आपातकाल के सिंघम : लोकबंधु राजनारायण

’’डिजिटल युग की देन है आज हम घर बैठे अमेरिका, फ्रांस, जापान, ब्रिटेन आदि देशों के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों से घर बैठे पढ़ाई करके डिग्री प्राप्त कर सकते हैं, वह भी नाम मात्र की फीस में। सम्भावना है कि भविष्य में कम्प्यूटर स्वयं ही किताबों को पढ़कर सूचना देने लगे। सरकार ने विद्यावाहिनी योजना के माध्यम से इस दिशा में कदम भी उठाया है।’’

डिजिटल इण्डिया प्रोजेक्ट (Digital India Project) का विमोचन 1 जुलाई सन् 2015 ई0 को इन्दिरा गांधी स्टेडियम नई दिल्ली में हुआ था। डिजिटल इण्डिया प्रोजेक्ट के उद्घाटन अवसर पर रिलायंस, विप्रो, टाटा, भारती ग्रुप आदि के सी0ई0ओ0 ने भाग लिया था। इसके तहत सभी क्षेत्रों को इलेक्ट्रानिक मीडिया से जोड़ा जायेगा। डिजिटल इण्डिया सरकार का अहम प्रोजेक्ट है। इसके माध्यम से भारत की सभी 2,20,000 ग्राम पंचायतों को एक साथ जोड़ा जायेगा। शहरी क्षेत्र के लोग इन्टरनेट को अच्छी तरह से समझ चुके हैं, फिर भी ई-स्टडी, ई बुक्स, ई-टिकट, ई- बैंकिग, ई- शापिंग आदि का सर्वाधिक प्रयोग महानगरों के लोग करते हैं। भारत की 35% आबादी आज भी इण्टरनेट की पहुंच से दूर है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) महत्वपूर्ण अभियान है, इसके तहत देश के 6 करोड़ घरों को 2019 तक डिजिटल रूप से साक्षर बनाने का उद्देश्य है। कौशल विकास प्रोजेक्ट (Skill Devlopment Project) 2017 से प्रारम्भ हो चुका है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य शहरी, ग्रामीण, पिछड़े लोगों को सैद्धान्तिक और व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षण प्रदान करके स्वावलम्बी बनाना है, जिसके लिये तकनीकी, डिजिटल जानकारी दी जाती है।

C.S.C. (Common service Centre) अर्थात् आम सेवा केन्द्र, यह प्रोग्राम राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स योजना का रणनीतिक आधार है। इसे मई 2006 में भारत सरकार के इलेक्ट्राॅनिक एवं आईटी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। जिसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, टिकट, विभिन्न प्रमाणपत्र बनवाना, बिल भुगतान और अन्य जानकारी उपलब्ध कराना था। आज यह सेवा भारत में बृहद् स्तर पर कार्य कर रही है। इस डिजिटल युग में कम्प्यूटर बनाम मानव (Computer v/s Human) में श्रेष्ठ कौन है।इस सम्बन्ध में आम जनता में भी अक्सर चर्चाएं हुआ करती हैं।

अन्य लेख पढ़े : बैसवारा का सरेनी विकास खण्ड : इतिहास, भूगोल और संस्कृति

’’कम्प्यूटर के सम्बन्ध में यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिये कि कम्प्यूटर की अपनी कोई बुद्धिमत्ता नहीं होती, न ही इसमें सोचने बिचारने की समझ या निर्णय लेने या तर्क करने की शक्ति होती है। यह शक्ति उसे मानव द्वारा प्रदान की जाती है। अतः कम्प्यूटर मानव की ही कृति है, इसलिये वह मानव से श्रेष्ठ नहीं हो सकता है, लेकिन किसी मानव से श्रेष्ठ कार्य करने में सक्षम अवश्य हो सकता है।’’

’डिजिटल भारत’ सरकार की एक पहल है, जिसके तहत सभी सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ना है। इसका प्रमुख उद्देश्य बिना कागज (paperless) के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं जनता तक आसानी से इलेक्ट्राॅनिक रूप से पहुंचाना है। इस परियोजना को ग्रामीण क्षेत्रों की जनता तक पहुंचाने के लिए त्रिस्तरीय प्रोग्राम बनाया गया है- (1) डिजिटल आधारभूत ढ़ांचे का निमार्ण करना, (2) इलेक्ट्राॅनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना, (3) डिजिटल साक्षरता। इस योजना को वर्ष 2019 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, इससे सेवा प्रदाता और उपभोक्ता दोनों को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
भारत निरन्तर प्रगति के पथ पर चल रहा है। डिजिटल भारत का सपना 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी ने देखा था जो पूर्णरूपेण आज चरितार्थ हो रहा है। भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी उज्ज्वल भारत के भविष्य का सपना साकार कर रहे हैं।

अन्य लेख पढ़े: मुंशीगंज गोलीकांड : रायबरेली में दूसरा जलियांवाला बाग हत्याकांड


सरकार ने डिजिटल इण्डिया के माध्यम से अमीर-गरीब के खाई पाट दी है। फिर भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में यह खाई आज भी बनी है, जिसे ’ 4जी बनाम 2जी ’ कहा जा सकता है, अब तो 5G की पीढ़ी आ गयी है। जरूरत है हम इन सम्भावनाओं और सुरक्षा के सवालों के बारे में सजग रहें। ई-टेन्डर, ई-टिकट, ई-बिल आदि को जितना प्रयोग में लाया जायेगा उतना ही भष्टाचार में लगाम लगेगी। हमारे देश में नेटवर्क की बहुत समस्या थी, जिसका उदाहरण दूरदर्शन है। पहले हम छत पर चढ़कर एन्टीना घुमाया करते थे, अब सेटटाॅप बाक्स के माध्यम से साफ चित्र देख सकते हैं। ’आज भारत का नेटवर्क इतना स्लो है कि भारत का दुनिया में 115वां स्थान है। जाहिर है सरकार इन उद्देश्यों को आसानी से हांसिल नहीं कर सकती।’ (source NDTV)


भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी ने 8 नबम्बर 2016 को नोटबन्दी का आदेश पारित किया था। जिसके बाद से निरन्तर कैशलेस ट्रांजेक्शन पर जोर दिया जा रहा है। इस डिजिटल युग में मोबाइल यकीनन बटुआ के समान हो गया है। इसे ई-वाॅलेट नाम भी दिया गया है, पर इसका उपयोग आसान नहीं है। साइबर अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अब सवाल उठता है क्या वाकई मौजूदा हालातों में देश की अर्थ व्यवस्था पूर्णरूपेण डिजिटल हो सकती हैघ् क्या लो-इण्टरनेट कनेक्टीविटी, साइवर क्राइम, तकनीकी जानकारी का अभाव, डिजिटल इण्डिया प्रोग्राम की प्रगति में बाधक हैघ् क्या भारत जैसे देश में कैशलेस इण्डिया का सपना पूरा करना आसान हैघ् इसके लिये अनेक चुनौतियों का सामना भारत को करना पड़ेगा।


डिजिटल इण्डिया का लाभ जनता को परोक्ष रूप से मिल रहा है, वहीं कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। जिससे निपटने में कुछ वक्त लगेगा। 90 करोड़ गरीब, अशिक्षित लोगों के पास इन्ड्रायड मोबाइल नही है, वे लोग BHIM Apps का लाभ कैसे उठायेंगेघ? ऊपर से साइबर अपराधियों की नजरें Apps पर निरन्तर रहती। इन्ड्रायड मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया पर झूठी अफवाहें फैलती रहती हैं, जिसे रोक पाना प्रशासन के लिये भी चुनौती है। इस मोबाइल से अँाख, कान खराब हो रहे हैं, वहीं कम निन्द्रा ले पाने के कारण पेट सम्बन्धी समस्याएं बढ़ रही हैं। फिर भी डिजिटल इण्डिया के सपने को आइए हम सब मिलकर सफल बनायंें, जिससे सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।

डाॅ अशोक कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर
रायबरेली (उ0प्र0)
मो0 9415951459