किराये का रिश्ता | रत्ना भदौरिया
दो दिन पहले फेसबुक पर एक लाईन पढ़ी ‘उसके साथ रिश्ता मेरा किराये के घर जैसा रहा, मैंने उससे सजाया तो बहुत लेकिन वो कभी मेरा न हुआ। अभी पढ़ ही रही थी कि दिमाग ने चलना शुरू कर दिया और चार साल पहले इन्हीं पंक्तियों में जुड़ी मेरी एक सहेली जो आज भी यही सोच के साथ जिंदगी काट रही है। जब तब मैं अपने गांव जाती हूं तो उससे जरुर मिलती हूं फिर वो घंटों बैठकर अपनी कहानी सुनाती है मुझे।
आज इस लाइन को पढ़ते ही एक बार फिर वो और उसकी कहानी याद आ गयी स्नातक की पढ़ाई के बाद उसने बी टी सी के लिए दाखिला लिया और मैं आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद चली गई। बी टी सी करते करते उसे एक लड़के से प्यार हो गया। प्यार सिर्फ प्यार तक सीमित नहीं रहा बात शादी तक पहुंची। दोनों तैयार थे लेकिन जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि मेरी सहेली उमा के पापा की मृत्यु हो गई । मृत्यु के अभी पन्द्रह दिन भी व्यतीत नहीं हुए कि उसके प्रेमी ने उससे शादी के लिए घर में बात करने कहा उसने कहा देखो प्यार जितना आपका जरुरी है उतना मेरा भी लेकिन अभी पापा को गये हुए पंद्रह दिन भी नहीं हुए और घर में कोई नहीं है मां को संभालने वाला उसने कहा ठीक है संभालो मां को अपनी उसी दिन से उसने राश्ता बदला और दूसरी लड़की से शादी कर ली। कई महीने बाद पता चला।ये तो आजकल शोसल मीडिया का शुक्र जो बात आयी गयी पता चल ही जाती है।
तब उसने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया ?प्रेमी का जवाब तो क्या करता उधर लड़की भी तुमसे सुंदर,पैसे भी अच्छे मिल रहे थे और तो और शादी भी जल्दी हो गयी ।इधर क्या ? पता नहीं कितने साल तुम अपनी मां को संभालती और बाप तो था नहीं मिलता भी क्या ?अच्छा जब प्रेम किया था तब ये चीजें नहीं देखी थी कि ये उमा खूबसूरत नहीं है और फिर शादी की बात की ही क्यों थी ?तब तुम्हारा बाप नौकरी करता था और न तुम्हारे ऊपर मां का बोझ ढोने की जिम्मेदारी थी। खूबसूरती में नौकरी का क्या लेना- देना उमा ने पूछा ?हो -हो कर हंसते हुए बोला तुम भी उमा कितनी भोली हो अरे नौकरी करता तो मोटी रकम तो देता कमसे कम तेरा बाप ?अच्छा !छोटा सा उत्तर देकर कुछ क्षण उमा चुप रही और फिर एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा आज बहुत खुश हूं इसलिए कि मुझे समझ आ गयी।
पापा के जाने से भी आज दुखी नहीं खुश हूं कि शायद वो नहीं जाते तो मैं प्यार में अंधी होकर क्या कर बैठती। अनुतरित, आश्चर्यचकित ज़रुर हूं लेकिन खुश हूं।कहते हुए वहीं लाईन गुनगुने लगी’उसके साथ मेरा रिश्ता किराये के घर जैसा रहा, मैंने उससे सजाया तो बहुत लेकिन वो कभी मेरा न हुआ।।
‘रत्ना भदौरिया रायबरेली उत्तर प्रदेश