Navvrsh par kavita||maa par kavita/baba kalpnesh

बाबा कल्पनेश की कलम से दो रचना जो समाज को एक संदेश देती हैं Navvrsh par kavita,maa par kavita नववर्ष,माँ ममतामयि जो पाठको के सामने प्रस्तुत है।

नववर्ष


अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।
अभी यहाँ हर ठाँव, अधिक कुहरा गहराया।।

हम तो अधिक उदार, पराया पर्व मनाते।
अपने त्यागे छंद ,गजल औरों की गाते।।

हिंदी से मुख मोड़, सदा अंग्रेजी सीखें।
हमको समझे हेय,उन्ही नयनों को दीखें।

हम जो नहीं कदापि,रूप हमको वह भाया।
अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।।

हम ज्यों बाल अबोध,दौड़ कर आगी पकड़े।
जले भले ही हाथ, सोच पर अपनी अकड़े।।

सन् यह बीता बीस,सनातन नहीं हमारा।
अभी अधिक है दूर,चैत का नव जयकारा।।

जब बसंत हर ठाँव, मिले सुंदर गहराया।
अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।।

अपना जो आधार, हमें है कम ही भाता।
निज पतरी का भात,हमें है कहाँ सुहाता।।

दूजे का हर रंग, बड़ा चटकीला लगता।
हमको अपना चाव,आश्चर्य पल-पल ठगता।।

उनके सुनकर बोल,सदा हमने दुहराया।
अभी कहाँ नव वर्ष, यहाँ भारत में आया।।


विधा-मधु/दोधक/बंधु/फलस्वरूप छंद
विधान-भगण भगण जगण+22
11वर्ण, चार चरण,प्रति दो चरण समतुकांत

माँ ममतामयि


नीर भरे दृग मातु निहारे।
माँ ममतामयि लाल पुकारे।।

डूब रहा भव सिंधु किनारे।
जीवन कंटक हैं भयकारे।।

दृष्टि करो नित नेह भरी री।
डूब रही अब जीव तरी री।।

ज्ञान नहीं चित रंच बचा है।
जीवन सार विसार लचा है।।

पाप भरी गगरी अब फूटे।
जीवन याचकता जग छूटे।।

नित्य सुझुका रहे यह माथा।
तीन त्रिलोक रचे यश गाथा।।

गूँज रही महिमा जग भारी।
बालक-पालक माँ भयहारी।।

कौन दिशा यह बालक जाए।
माँ ममता तज क्या जग पाए।।

ले निज अंक सुधार करो री।
सत्य सुधा रस सार भरो री।।

हो चिर जीव सदा यह माता।
गीत रहे महिमा तव गाता। ।

navrsh-kavita-maa-kavita
बाबा कल्पनेश

navrsh kavita, maa kavita, बाबा कल्पनेश की स्वरचित रचना है  आपको पंसद लगे सामाजिक मंचो पर शेयर करे जिससे हमारी टीम का उत्साह बढ़ता है।
 

new year hindi geet -डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज के गीत

  नव वर्ष 

(new year hindi geet )

 

 नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन | 

 

 सद्कर्म करें सतपंथ  चलें 

आलोक दीप बन सदा जलें 

पथ पर नित नव निर्माण करें 

साहस से अभय प्रयाण करें 

हम करें राष्ट्र का आराधन 

नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन | 

 

हम मातृ भूमि को प्यार करें 

जन- जन का हम सत्कार करें 

मानवता का हम गुण गायें 

विपदाओ मे हम मुस्कायें 

हम जियें सदा समरस जीवन 

नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन |


२. नवल वर्ष शतबार बधाई 

नयी दिशा में प्रगति लक्ष्य पर,

शुचि मंगलमय शुभ जीवन हो ,

नवल  वर्ष   शतबार    बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

स्वस्थ  विचार बुद्धि में उपजें ,

और ह्रदय में मधुरिम रिश्ते,

छल प्रपंच के ढूह ढहे सब ,

स्वच्छ बने समता के रस्ते |

 

ऐसा मंत्र पढ़ो युग स्वर में,

सभी अपावन भी पावन हो ,

नवल वर्ष शतबार बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

बहे पवित्र आचरण धारा ,

धुले कलुष जीवन का सारा ,

भेदभाव मन का मिट जाये ,

तम पर अंकित हो उजियारा |

 

पग-पग पथ पर अनय मिटाता ,

गरिमा  आभामय  जीवन  हो ,

नवल  वर्ष शतबार   बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

नवल ज्योति बिखराते आओ ,

जीवन का तम  दूर    हटाओ ,

नव उमंग नव गति लय लाओ ,

नव  आभा  फैलाते  जाओ |

 

हो अवसाद तिरोहित मन का ,

आह्लादित रसमय जीवन हो ,

नवल  वर्ष शतबार   बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |


 

New year poetry 2021-नववर्ष/शैलेन्द्र कुमार

नववर्ष 2021 पर अवध की धरती के सपूत शैलेंद्र कुमार एक प्रतिष्ठित लेखक है। New year poetry 2021-नववर्ष उन्ही रचना में से एक है । आप की रचना समाज को एक नई दिशा और संदेश देती है हिंदी रचनाकार पाठकों और विश्व के हिंदी भाषी लोगों के सामने प्रस्तुत है रचना।

नव वर्ष


साथी कैसे कहूं? क्या कहूं?

नववर्ष तो पिछली बार भी आया था
लेकर वजूद हजार खुशियों का

हृदय में गहराई तक समाया था ।

तुम्हारी वह स्नेहिल दृष्टि

और वह नूतन अहसास

सच कहूंँ यथार्थ की भूमि पर

मेरी कल्पनाओं का महल उतर आया था ।

उन दिनों मैं कितना खोया खोया था ,
कितनी लगन थी सोच नहीं सकता

बमुश्किल उस पंक्ति में

उन भावों को कैसे ला पाया था ।

गर्व था सृजन के क्षणों पर

और लेखनी पर भी ,
आखिर अपनेपन के अहसास को

इतने नजदीक से छू पाया था ।

किस ढंग से लिखा था ‘हैप्पी न्यू ईयर’
कला के इस अनोखे रूप को

 

इतनी सहजता से प्रस्तुत कर पाया था ।

कितनी रसमय थी वह कविता और वह दिन

प्रसाद में माधुर्य लिपटा रहा आद्यान्त

एक गुण और था हर पंक्ति में

तुम्हारा नाम आया था ।

साथी कैसे कहूँ? क्या कहूँ?

नव वर्ष पिछली बार भी आया था।

New-year-poetry
शैलेन्द्र कुमार

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new year poem /नव- वर्ष से अपेक्षाएं ।

नववर्ष २०२१ पर हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक की नववर्ष पर रचना नव- वर्ष से अपेक्षाएं(new year poem ) विश्व के हिंदी भाषी लोगो के  लिए प्रस्तुत है । 

नव- वर्ष से अपेक्षाएं ।


नव- वर्ष की स्वर्णिम प्रभा ,

जीवन को सुख- समॄद्धि दे ।

हे     ईश ,   मेरे   देश   के  ,

स्वाभिमान को अभिवॄद्धि दे ।

 

देश    का  हर  नागरिक ,

सच्चरित्र   निष्ठावान  हो ।

धर्म और संस्कृति का रक्षक ,

सद्गुणों   की  खान   हो   ।

 

सीमाओं  पर  दुश्मन  पड़ोसी ,

खेल   खूनी  खेलता   है   ।

गर्दन   पकड़   मरोड़     दो ,

हर बात में जो  ऐंठता   है  ।

 

नव – वर्ष  में  सेना  प्रबल  ,

दे  ईंट  का  पत्थर  जवाब ।

चीन – पाकिस्तान   दोनों  ,

छोड़  दें  बिल्ली के ख्वाब।

 

शिक्षा  सुसंस्कृति  में  युवा ,

स्थापित  करें नव कीर्तिमान।

भारत    बने पुनः विश्वगुरु,

हो शंख ध्वनि से कीर्ति गान।

 

क्यों अन्न – दाता  देश का  ,

अधिकार हित पथ पर पड़ा ॽ

गणतंत्र  उसका  ऋणी  है  ,

माटी  का  वह  हीरा  जड़ा  ।

 

नव वर्ष कॄषक- श्रमिक  के ,

सौभाग्य  का नव -वर्ष  हो  ।

फूले- फले  किसान  और  ,

खलिहान अन्न  समॄद्ध  हो ।

 

नव -वर्ष रोगों से रहित  हो ,

स्वस्थ  नर – नारी  सभी  ।

प्रगति  का पहिया चले जब ,

लौटें  पथिक खुशियां सभी।

new-year-poem

सीताराम चौहान पथिक

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