मूर्तियों और फ्रेमों में | सम्पूर्णानंद मिश्र

मूर्तियों और फ्रेमों में | सम्पूर्णानंद मिश्र

पुराणों में पूजी जाती हैं
स्त्रियां
हम लोग पढ़ते और सुनते हैं अक्सर
लेकिन
पुराण के बाहर आते ही
परिदृश्य
बिल्कुल अलग होता है
पहियों के साथ
घसीटी जाती हैं
इक्कीसवीं सदी की स्त्रियां
रौंदी गई
एक स्त्री की आत्मा
सड़क पर
नववर्ष के पहले दिन
वैसे
साफ़ साफ़ दिखाई
देती है पुरुष की संवेदनशीलता
औरतों के प्रति
मूर्तियों और फ्रेमों में
सड़कों पर तो बिल्कुल नहीं
वही स्त्रियां दीर्घायु होती हैं
जिनकी ज़बान
सोई रहती है एक कोने में
जबड़े के भीतर
जैसे ही
अपने पैरों पर
जबड़े के बाहर
चलने लगती हैं
सड़कों पर
वह चमचमाती गाड़ियों से
पहुंचा दी जाती हैं
श्मशान घाट तक

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874