मैंने ऐसी प्रीति देखी है | हिंदी गीत | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज
मैंने ऐसी प्रीति देखी है | हिंदी गीत | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज
मैंने ऐसी प्रीति देखी है
जिससे लाज सॅवर जाती है
मैंने ऐसी रीति देखी है
नैया बीच भॅवर जाती है ।
बादल भी कुछ ऐसे देखे
जो केवल गरजा करते हैं
उनमें कुछ ऐसे भी देखे
जो केवल वर्षा करते हैं ।
कहीं-कहीं तो हमने देखा
अपनों के ख़ातिर मरते हैं
अपनों को कुछ ऐसा देखा
अपने ही मारा करते हैं ।
सोचा कुछ अनसोचा देखा
दूर बहुत कुछ पास से देखा
जैसा दिखता वैसा ना वह
झूठी लेकिन आस से देखा ।
इसको उसको सबको देखा
नीरज जीवन भर है देखा
देखा कुछ अनदेखा देखा
रहे सुनिश्चित हर क्षण है लेखा ।
डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज
गीतकार रायबरेली