हम साधारण लोग – सीता राम चौहान पथिक

सीता राम चौहान पथिक की कलम से ” हम साधारण लोग” हिंदी कविता साधारण लोग की वेदना को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना आपके सामने प्रस्तुत है

 हम साधारण लोग  

हम साधारण लोग
नहीं जानते ज्ञान – गूढ़ तत्व की बातें ,
  वेदांत की गहराइयां ,
थोथे उपदेशों की तलछट
तुम्हारे बौद्धिकता के जंगल में ,
उभरती खर – पतवारें ।
तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाओं के टेढ़े मेढे पायदान ,
जिनकी बलि चढ़ती निर्दोष मानवता लहू – लुहान ।।
नहीं – नहीं      राष्ट्रीय नेताओं ,
 हम हैं सीधे सरल इनसान ।
हमें चाहिए तुम्हारा निश्छल – प्रेम विश्वास ।
हम जी लेंगे अभावों के बीच ,
केवल हमें दो अपना वीरोचित आत्म – विश्वास ।
अपने स्वार्थ , भ्रष्टाचार , अनैतिकता के आवरण ,
हटा कर तनिक देखो हमारी तरफ
हम हैं साधारण लोग फटे – हाल ।
 हमारे माथे की शिकनो में उभरते कई सवाल ।
तुम हो प्रजातंत्र के प्रतिनिधि ,
वोटों के केवल खरीदार ।।
हमारी गरीबी , भुखमरी , आत्म – हत्याओं पर तनिक करो विचार ,
हमारी ओर बढ़ रहे आतंकवादियों
के  पारावार ,
हमारी रक्षक सेनाओं को दो अत्याधुनिक हथियार ,
हम सीधे सरल – साधारण लोग
हमें चाहिए सूदृढ सूरक्षा तन्त्र ,
जिनमें तुम सूरक्षित हो
ना हो जाए निर्दोष मानवता बलिदान ।
हम हैं सीधे सरल इनसान ।।
हमने तुम्हें ‌ बनाया है महान
कर्तव्यों का तुम्हें नहीं है भान ।
हम यदि चाहें , छीन सकते हैं ,
तुम्हारा हठीला अभिमान ।।
प्रजा तन्त्र को होने ना देंगे यूं बदनाम ,
ज्ञम है  सीधे सच्चे सरल इनसान ।
   सीता राम चौहान पथिक दिल्ली