साहित्य सम्मेलन व स्मृति अंक तथा पुस्तक विमोचन

30 जनवरी को  साहित्य सम्मेलन व स्मृति अंक तथा पुस्तक विमोचन

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रायगढ़- रायगढ़ जिला सुर,लय,ताल की नगरी तो है, साथ ही साहित्यिक गतिविधियों में भी अव्वल है। आये दिन विविध विषयों को लेकर कार्यक्रम होते रहते है इसे साहित्यिक गतिविधियों पर यहाँ के साहित्यकारों का गहरा लगाव ही कहा जायेगा। जो इतने तन्मयता और लगन से हर कार्यक्रम को श्रेष्ठ बनाने में कोई कसर नही छोड़ते। लम्बे समय से कोरोना महामारी का हम सबने यातनाएं सहीं।पर समय तो अपनी चाल से निरन्तर चलता रहता है, पूरे निर्लिप्तभाव से। निर्विकार या निर्मिमेष से बिना किसी रुकावट, आधि-व्याधि, रोग-दोष, मोह-माया, राग-द्वेष, अच्छे-बुरे की चिंता कर। दुनिया की सारे दुखों से अनजान अपनी मस्ती में, बस केवल अपने कर्म में डूबा, कितने भी उद्वेलन, खुशियाँ, अवसाद हों समय की गति में कोई अंतर नहीं पड़ता। वह तो बस चैरेवति-चैरेवति की गूँज से आगे बढ़ता ही रहता है। इस महामारी में कितने ही अपने घनिष्ठ जन इस दुनिया से अलविदा हो गए। इसी समय रायगढ़ के पर्यावरण प्रेमी व समाजसेवी रामदास अग्रवाल का दुःखद निधन हो गया। शहर में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों और हर दुःख-सुख में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष उनका सहयोग रहता था। उन्हीं की स्मृति में एक दिवसीय ’साहित्य सम्मेलन’ व नयी पीढ़ी की आवाज में प्रकाशित उनकी स्मृति अंक तथा पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम नंद बाग, कोष्टापारा, नंदेश्वर मन्दिर रोड ’छत्तीसगढ़ साहित्य परिवार व नयी पीढ़ी की आवाज’ के तत्वावधान में आयोजित की गई है। उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विनय कुमार पाठक (शिक्षाविद, पूर्व अध्यक्ष, छ. ग.राजभाषा आयोग) और कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विनोद कुमार वर्मा (वरिष्ठ साहित्यकार), विशिष्ट अतिथि रायबरेली (उत्तरप्रदेश) से डॉ. रसिक किशोर सिंह ’नीरज’, बिलासपुर से वरिष्ठ साहित्यकार केवल कृष्ण पाठक, डॉ. ब्रजेश सिंह की उपस्थिति रहेगी। पुस्तक विमोचन की कड़ी में रायगढ़ के युवा साहित्यकार आनन्द सिंघनपुरी की किताब ’दिल की आहट’ व ’मैना के गउना’ का आमंत्रित अतिथियों के हाथों लोकार्पण होगा। उक्ताशय की जानकारी नयी पीढ़ी की आवाज परिवार से भानुप्रताप मिश्र, श्याम नारायण श्रीवास्तव, सनत व आनन्द सिंघनपुरी ने दी और बताया कि कार्यक्रम आज दिनांक 30 जनवरी दोपहर 12 बजे से आयोजित है तथा कोविड संक्रमण को ध्यान में रखते हुए मास्क लगाकर आने की अपील की है।

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शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान के पल-आशा शैली

सन्तान जब असमय साथ छोड़ दे, वह दुख उत्सव में कैसे बदला जा सकता है यह बात कोई साहित्यकारों से सीखे। दिल्ली की ख्याति लब्ध साहित्यकार  सविता चड्ढा जी से सीखे। आप हर वर्ष दिवंगत बेटी शिल्पी के नाम पर बाल साहित्यकारों को सम्मानित करती हैं।

 दिल्ली में शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान के पल।

आशा शैली

कभी कविता प्रतियोगिता कभी लघुकथा या कहानी। इस बार बाल उपन्यास की बारी थी और यह प्रतियोगिता आपकी इस अकिंचन मित्र  के हिस्से में आई। पुरस्कार में शाल, सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह के साथ इक्यावन सौ का चैक लेकर वापस उत्तराखण्ड लौट रही हूँ। शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान के पल। मेरे बाल उपन्यास ‘कलकत्ता से अण्डमान तक’  को पुरस्कार के लिए चयनित करने वाले जज  श्री ओम प्रकाश सपरा जी और आशीष कांधवे के साथ। श्याम किशोर सहाय एडिटर लोकसभा टीवी, सविता चड्ढा, सुरेश नीरव, डॉ लारी आज़ाद, घमंडी लाल अग्रवाल जी एवं अन्य प्रथम पंक्ति के लेखक। उदासियों  को उत्सव में बदलने का नाम है “शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान” – सविता चड्ढा
पढ़े : दरवेश भारती के साथ आखिरी मुलाकात 

उदासियों को उत्सव में बदलने का नाम हैं “शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान।” 

पिछले चार वर्षों से दिए जा रहे शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान के बारे में बताते हुए सविता चड्ढा ने कहा “उदासियों को उत्सव में बदलने का नाम हैं “शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान।”  सविता चड्ढा जन सेवा समिति, दिल्ली द्वारा हिन्दी भवन में आज चार  महत्वपूर्ण सम्मान प्रदान किए गए । अपनी बेटी की याद में शुरू किए सम्मानों में, अति महत्वपूर्ण “हीरों में हीरा सम्मान ” प्रो डॉ लारी आज़ाद को, साहित्यकार सम्मान , श्री घमंडीलाल  अग्रवाल, शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान, श्रीमती आशा शैली  को और  गीतकारश्री सम्मान ,पंडित सुरेश नीरव को  दिया गया. शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान समारोह की संस्थापक एवं महासचिव, एवं साहित्यकार सविता चड्ढा ने श्रीमती आशा शैली को सम्मान के साथ साथ पाँच हज़ार एक सौ रुपए की नकद राशि भी प्रदान की और देश भर से पधारे लेखकों, कवियों का स्वागत किया। देश भर से प्राप्त पुस्तकों में से कुछ पुस्तकों के लेखकों  को  भी  इस अवसर पर सम्मानित किया गया।  संतोष परिहार को उनकी पुस्तक “पेड़ चढ़े पहाड़”,  डा अंजु लता सिंह को ” सारे जमीं पर”, श्रीमती सूक्ष्म लता महाजन को ” नन्हे मुन्ने””,. श्रीमती वीणा अग्रवाल को उनकी पुस्तक ” नन्ही काव्या”,  श्रीमती सुषमा सिंह को उनकी पुस्तक “नन्हा पाखी” और डॉक्टर सुधा शर्मा को उनकी पुस्तक ” तेरे चरणों में” के लिए सम्मानित किया गया।
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इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीश्याम किशोर सहाय , एडिटर लोक सभा टीवी, अध्यक्ष श्री  सुभाष चडढा , सविता चडढा द्वारा पुरस्कार वितरित किये गए। विशिष्ट अतिथि डॉ आशीष कांधवे, आधुनिक साहित्य और गगनांचल  के संपादक और साहित्यकार,  श्री ओम प्रकाश सपरा, सेवानिवृत्त  मेट्रोपोलिटन  मेजिस्ट्रेट  और साहित्यकार , श्री ओम प्रकाश प्रजापति,ट्रू मीडिया चैनल संस्थापक की  इस अवसर पर विशेष उपस्थिति रही। मंच संचालन वरिष्ठ कवि  श्री अमोद कुमार ने किया।
इस अवसर पर  श्री/श्रीमती वीणा अग्रवाल, डॉ कल्पना पांडेय , अंजू भारती  और उनके पति , ब्रह्मदेव शर्मा ,जगदीश चावला , राजेंद्र नटखट, मधु मिश्रा, महेश बसोया , डॉ शक्तिबोध, सुमन कुमारी , उमेश मेहता, किशनलाल, जुगल किशोर,, दिनेश ठाकुर, सुषमा सिंह, सूक्ष्मलता महाजन, डॉ अंजुलता सिंह, सोनल चड्ढा, रोहित कुमार, दीपाली चड्ढा ,अभिराज चड्ढा,  भी शामिल हुए. आपके अलावा और भी मित्र उपस्थित रहे, आप सबका तहे दिल से शुक्रिया।