लघुकथा | एक नई रोशनी -सविता चडढा

लघुकथा | एक नई रोशनी -सविता चडढा

उस दिन बाप बेटे में तकरार शुरू हो गई। देर रात बेटे ने कुछ ज्यादा ही पी ली थी। बाप ने समझाने की कोशिश की लेकिन तकरार बढ़ते-बढते बहुत सारी हदें पार कर गई । तकरार के बाद धक्का-मुक्की शुरू हुई और बेटे ने बाप पर हाथ उठा दिया।  बाप  चोटिल हो गया। 

अगले दिन  बाप ने सोचा भगवान से ही जाकर पूछता हूं । सुबह उठने पर जब वह धीरे-धीरे मंदिर की सीढ़ियां चड़ रहा था तो उसे एक महिला ने पूछा “अंकल  आपको क्या हुआ ।” उसने नजरें उठाई और देखा , ये तो गुणवंती की बहू है । उसने घर ,अपने  सम्मान को बचाने की फिज़ूल कोशिश करते  हुए इतना ही कहा “भगवान का शुक्र मनाओ गुणवंती की बहू ,भगवान ने तुम्हें तीन बेटियां ही दी है।  बेटियां कभी बाप पर हाथ नहीं उठाती। गुणवंती की बहू ने एक नई रोशनी महसूस की और भगवान का आभार प्रकट किया।

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