कल दीवाली होगी-बाबा कल्पनेश

ताटंक छंद


 

कल दीवाली होगी

कल दीवाली होगी अम्मा, मैं भी दिए जलाऊँगा,
यह प्रकाश का पर्व युगों से, गीत लिखूँगा-गाऊँगा।

गुड़िया बोल रही है अम्मा, मुझको गणपति ला देना,
रग्घूमल की उस दुकान से,गुड्डा सुंदर सा लेना।
दीवाली के लिए रँगोली,मुझको सुखद बनाना है,
भाँति-भाँति के रंग बहुत से,भरकर उसे सजाना है।
खेत-बाग-मंदिर पर दीपक, लेश द्वार आ जाऊँगा,
कल दीवाली होगी अम्मा, मैं भी दिए जलाऊँगा।

सजी हुई हैं बहुत दुकानें, लाई-खील-बतासे हैं,
बोलो नन्हे क्या-क्या लेना,बाबू जी के झाँसे हैं।
गुड़िया हुई रुआंसी लखकर,दिल मेरा घबड़ाता है,
धिक्कार कलम लिख देती मुझको,खुलकर रोना आता है।
खुशियों का त्योहार सोचता,खुशियाँ मैं भी पाऊँगा,
कल दीवाली होगी अम्मा, मैं भी दिए जाऊँगा।

पारस के सूरज जी आए,जाने क्या-क्या लाए हैं,
बच्चे टोले भर के दौड़े,सब का मन ललचाए हैं।
गुड़िया आकर घर में मेरी,गिन-गिन नाम बताए है,
मुझको भी ये लेना कह कर,हाथ-शीश मटकाए है।
सुनकर हँसते-हँसते बोला,मैं भी तुझको लाऊँगा,
कल दीवाली होगी अम्मा, मैं भी दिए जलाऊँगा।

धरा धाम पर नभ उतरेगा,तारे धरती आएँगे,
चंदा मामा शीश झुका कर, और कहीं छिप जाएँगे।
हर-घर-आँगन-नगर-गाँव में, खुशी पटाखे फूटेंगे,
चिंताओं के परकोटे तो,तड़-तड़ तड़-तड़ टूटेंगे।
खुशियों में आकंठ डूब कर,नाचूँगा मैं धाऊँगा,
कल दीवाली होगी अम्मा, मैं भी दिए जलाऊँगा।

घर का दीपक अम्मा लेशें,परम्परा की थाती है,
तुलसी के चौरे पर दीपक, यह दैनिक सँझबाती है।
बाद इसी के भइया-भौजी,सब जन दीप जलाना जी,
गणपति-लक्ष्मी-सरस्वती को,फिर घर में बैठाना जी।
जितनी होंगी तिमिर दिवारें,सब को तोड़ गिराऊँगा,
कल दीवाली होगी अम्मा, मैं भी दिए जलाऊँगा।

बाबा कल्पनेश

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दीपावली-diwali poem in hindi

दीपावली प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक हिंदू त्यौहार है जो कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है हर वर्ष दीपावली अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है दीपावली  हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व  है यह पर्व हमें संदेश देता है ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय का’

माना जाता है की दीपावली उत्सव भगवान श्री राम के 14 वर्ष वनवास समाप्त होने के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे अयोध्या की प्रजा ने हृदय से अपनी राजा के लिए दीप जलाए उसी दिन से दीपावली की शुरुआत हुई भारतीयों का विश्वास भगवान श्रीराम से था उन्होंने सीखा अपने जीवन में की सत्य की सदा जीत होती है असत्य का हमेशा नाश होता है।
दिवाली का दिन नेपाल, भारत श्रीलंका, म्यांमार, मॉरीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा के क्रिसमिस दीप पर एक सरकारी अवकाश होता है

दीपावली


आ गई फिर दीपावली
स्त्रियां हो गई हैं बावली ‌
चाक को कुछ
यूं चलाता कुंभकार
कि मृत्तिका ‌श्रृंगार‌ कर
हो गई श्याम की मतवाली
अब हृदय- घरौंदो‌ से
अपना सिंहासन हटा ली तिमिरावली
प्रेम- रंग सरोवर में डूब ‌कर
अर्चियां बिखेर दी हैं दीपाली
भर दिया है पूरे घर को ‌प्रकाश ने
चमक उठी है लोगों की फिर से दंतावली

डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र
 

डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर