रुके हुए पांव | रत्ना सिंह | लघुकथा

रुके हुए पांव | रत्ना सिंह

जैसे ही कालेज से घर आयी तो देखा महतिन काकी बरामदे में ही बैठी हैं। देखते ही कउने दरजा मा पहुंच गईऊ बिटिया। तेरहवीं में हूं कहकर मैं अन्दर चली गई। महतिन काकी या का बोलिके चली गय कुछ समझ मा नहीं आवा। अच्छा छोड़ो ये बताओ यहिके खातिर लरिका देखेव की नहीं। अब तो बड़ी होई गय। पापा ने कहा नहीं महतिन काकी अभी शादी नहीं जब तक खूब पढ़ नहीं लेती । पापा की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी । महतिन काकी मुंह बिचकाते हुए कउन नौकरी करिके पईसा देई। पापा महतिन काकी का विरोध करते हुए -पैसे के लिए नहीं आत्मनिर्भर बनने के लिए पढ़ा रहा हूं। महतिन काकी -हूं -हूं करते हुए चली गई। ऐसे ही महतिन काकी रोज आती कहती मुंह बिचकाती और चली जाती ।

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धीरे -धीरे समय व्यतीत हुआ और मैंने एम ए की पढ़ाई पूरी कर ली। नेट की तैयारी के लिए दिल्ली आ गयी । कोचिंग के लिए जब भी कमरे से निकलती तो मैट्रो के पास कुछ किताबें मिला करती । रोज रोज विषय की किताब पढ -पढकर तक गयी तो‌ सोचा कि चलो कुछ नया पढ़ते हैं। एक उपन्यास ले आयी । उसे पढ़ा अच्छा लगा फिर दूसरा उपन्यास पढ़ने की इच्छा हुई। अब विषय से बाहर का पढ़ने में मन खूब लगता हर दूसरे दिन कुछ नया ले आती। धीरे -धीरे साहित्य की ओर झुकाव बढ़ने लगा। नतीजा ये की नेट की परीक्षा में फेल । ये बात घर में पता चली तो पहले पापा मम्मी गुस्सा हुए बाद में एक और मौका मिल गया । लेकिन मेरा हाल अब भी वही । पढ़ती फिर सोचती यार ये लिख कैसे लेते हैं?चलो मैं भी कोशिश करती हूं।

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कोशिश -कोशिश में मैंने कई कहानियां लिख ली फिर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रकाशक तक पहुंच गई। तब तक घर में नहीं बताया । दुबारा नेट की परीक्षा दी फिर फेल। पापा ने इस बार बहुत डांट लगाई । मम्मी ने कहा -अब कोई मौका नहीं। अब इसके लिए कोई अच्छा लड़का देखकर शादी करवा देते हैं। पापा ने लड़का देखा। आज मुझे देखने के लिए लड़के के घर वाले आने वाले हैं घर में तैयारी चल रही है तब तक मेरा फ़ोन बजा मैंने फोन उठाया प्रकाशक का फोन -जी सर ! बहुत बहुत शुक्रिया आपका एक दो दिन में आकर मिलती हूं। कहकर फोन रख दिया।बाहर लड़का और उसके घरवाले आ चुके। मम्मी नाश्ते की प्लेट पर प्लेट ले जा रही है। तब तक लड़की की मां -ये सब ठीक है पहले लड़की दिखाओ। नाश्ता पानी तो चलता रहेगा। पापा मम्मी से कहते हैं रिया को लेआओ । मां मुझे लेकर जाती है। लड़के की मां देखते ही अरे इसका रंग तो सांवला है हमारे बेटे को देखो कितना सफेद चमक रहा है।