नया साल मुबारक हो | नववर्ष का स्वागत | सम्पूर्णानंद मिश्र

नया साल मुबारक हो

अपनी आत्मा पर
कितनी नृशंस
घटनाओं का बोझ
लादे
दिसंबर माह बीत रहा है
लूट-पाट, हत्या, बलात्कार
जैसे
जघन्य पाप का साक्षी
भले ही और महीना रहा हो
लेकिन
कसूरवार
दिसंबर ही होता है
जैसे
घर में
न कमाने वाले बेटे की
मेहर को
परिवार के
पापों की गठरी
बिना किसी प्रतिरोध के
उठानी पड़ती है
और
उसकी आंखों
के एक कोने में
पड़ा सुषुप्तावस्था में
उसका आक्रोश
उसकी नपुंसकता के
ख़िलाफ़ खड़ा होता है
लेकिन
फिर
वह
नामचीन
बनिए की तरह
नरम पड़ जाता है
क्योंकि
सौदे में
जब कीड़े
अपना आशियाना बनाने लगे
तो वह
न खाते बनता है
न फेंकते
यह समय की ही नियति है
कि
क्रम में जो
दिसंबर की तरह छोटा होता है
उसकी पीठ पर
बोझ रखने का
लाइसेंस
बड़ों को स्वयं मिल जाता है
नया साल एक
एक बार फिर
आ रहा है
सबको 2023 का
नया साल मुबारक हो !

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874

नववर्ष का स्वागत

पूरा देश
खड़ा है
नववर्ष के स्वागत में
दरअसल
अतीत के घाव
जो हमारी देह पर थे
कुछ सूख चुके हैं
कुछ सूख रहे हैं
ऐसे में
कड़वी स्मृतियों के उस्तरे
उस घाव को
फिर से ज़ख्मी कर दे
नहीं कोई चाहता
नववर्ष की ड्योढ़ी पर
पहुंचने से पूर्व
देश चपेट में है
शीतलहर के इस समय
भारत का परिदृश्य
बिल्कुल वैसा है
यह तो हम नहीं कह सकते
ठीक-ठीक
लेकिन हां
कोई विशेष बदलाव नहीं है
मंदिरों के सामने
नंग-धड़ंग बच्चे
शीत से घुघुवा रहे हैं
आने जाने वाले
भक्तों की
आंखों में उम्मीदों
का कंकड़ फेंककर
अपना भविष्य संवार रहे हैं
सिलिया
इस शीत में
बालपोथी की किताब लेकर
फटी कमीज़ पहने
मिड-डे मील के लिए
विद्यालय जा रही है
सब जन पढ़ें
सब जन बढ़े
के इस नारे को चरितार्थ कर रही है
इक्कीसवीं सदी
के भारत का भविष्य
आंकड़ों में तो उज्ज्वल है
लेकिन
हक़ीक़त में स्याह है
अपने आत्मीयजन
के खोने की पीड़ा
कोरोना में
उनसे पूछो
जो प्रतिदिन
अपनी आंखों के आंसू से नहा रहे हो
खैर
2023 में
सब सुखी और निरोग हों
सभी के उज्ज्वल भविष्य की सुखद कामना के साथ

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874