गंगा | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

गंगा | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

हे पतित पावनी गंगा,
तेरी जय हो।
हे पापनाशिनी,
गंगा तेरी जय हो।
पर्वत से चलकर,
तू धरती पर आई।
तू आई तो धरती पर,
रौनक छाई।
मैं तेरा ही गुण गाऊं,
तेरी जय हो।
अमृत जैसा तेरा जल,
सबको भाया।
मानव पीने को,
तेरे तट पर आया।
हे मोक्षदायिनी गंगा,
तेरी जय हो।
अंत समय में सबको,
तू अपनाती है।
अपनी गोदी में फिर,
उसे सुलाती है।
जन्म-मरण की साक्षी,

तेरी जय हो।

दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
रायबरेली