Antim yatra- अंतिम यात्रा/डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र

अंतिम यात्रा

Antim yatra


Antim- yatra
डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र

नहीं आऊंगा ‌प्रिये मैं लौटकर
धाम ‌पर जा रहा हूं ऐसे
नहीं लौटता जहां से कभी कोई
मत करना इंतजार तुम मेरा
मुझे मिली थी
इतनी ही मोहलत
मंझधार में ‌छोड़ा है
माना कि तुम्हें मैंने
जिंदगी की ज़द्दोजहद ने
इस‌‌ मुकाम पर ‌तोड़ा है
किसी प्रिय को मेरा
इंतजार ‌है वहां
प्रबल विश्वास है इतना
मेरे ‌बिना‌ भी तुम्हारी
शेष जिंदगी ‌कट जायेगी
दुःख ‌की यामिनी
छंट‌ जायेगी
एक रीतापन ‌
जरूर आ गया है
तुम्हारे जीवन में
लेकिन प्रेम‌ की बुनियाद
पर स्मृतियों का
एक‌ भव्य
महल मैंने खड़ा
कर दिया है
तुम्हारी ‌आस्था‌ की‌
‌ जड़ों
को कोई काट न‌‌ सके
धैर्य ‌की शाखाओं को
कोई ‌छांट न‌ सके
राम और श्याम
दोनों की ‌जीवंत
प्रतिमा ‌तुम्हारे हृदय
में ‌स्थापित कर दी है मैंने
योग और वियोग
जन्म और मृत्यु
लाभ और हानि
सुख और दु:ख
निरंतर चलता रहता है
कर्मों का अपने
फल फलित होता रहता है
कभी ‌कमजोर मत होना
कभी दुःखी मत होना ‌
जब‌ भी अतीत तुम्हें रुलायेगा
तुम्हारे सामने तुम्हारा ‌यह प्रिय
वर्तमान बनकर ज़रूरआएगा !

डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874

डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र की अन्य रचना पढे:

आपको Antim yatra– अंतिम यात्रा/डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र की हिंदी कविता कैसी लगी अपने सुझाव कमेन्ट बॉक्स मे अवश्य बताए अच्छी लगे तो फ़ेसबुक, ट्विटर, आदि सामाजिक मंचो पर शेयर करें इससे हमारी टीम का उत्साह बढ़ता है।
हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है| whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९ संपर्क कर कर सकते है।