सुकून | लघुकथा | हिंदी कहानी | रत्ना भदौरिया

सुकून | लघुकथा | हिंदी कहानी | रत्ना भदौरिया

जगवन्ती ने सुबह ही डलिये में दियाली रख बच्चों से गांव की गलियों में बेचने कह दिया और ये भी कहा कि वह काम पर जा रही है वापस आकर शहर दियाली बेचने जायेगी, वहां बेचने से जल्दी और ज्यादा दिये बिकेंगे। बच्चे अपनी -अपनी डलिया सिर पर रखकर निकल पड़े।दियाली ले लो दियाली—-‌ जगवन्ती भी काम पर निकल गई। घर से करीब दस‌ किलोमीटर की दूरी पर बसे लालगंज शहर में बर्तन चौका का काम करती। जाते समय जगवन्ती आज काफी खुश थी। दिवाली जो है सभी को बड़ा- बड़ा उपहार मिला वो बग में भाई दफ्तर में काम करता है कितना बड़ा उपहार मिला है उसकी मालकिन भी कुछ उपहार देंगी बड़ा न सही छोटा ही । वैसे भी एक मालकिन के यहां अभी आठ महीने हुए हैं। हां श्वेता मैडम जरूर बड़ा गिफ्ट दे सकती हैं उनके यहां पिछले दो साल से काम कर रही हूं। पिछले साल उनकी मां की तबीयत खराब होने की वजह से वे परेशान थी उन्होंने कहा भी था कि इस बार वे कुछ नहीं ला पायी अगले साल दोनों का देंगी। रास्ते भर यही सोचते -सोचते उसने दस किलोमीटर की दूरी कब तक कर ली पता ही नहीं चला । फटाफट टेंम्पो से उतर गेट की तरफ बढ़ी नहीं -नहीं श्वेता मैडम के यहां बाद में वे बड़ा उपहार देंगी उसे लेकर कहां घूमूगी। पहले अन्नू मैडम के यहां जाते हैं। अन्नू मैडम के दरवाजे की घंटी बजाई चेहरे पर ढेर सारी खुशी, दरवाजा खुलते ही दिवाली मुबारक मैडम। हां ठीक है !आओ जगवन्ती देखो सफाई खूब अच्छे से कर देना ,घर को अच्छे से सजा देना ।शाम को पूजा के बाद लोग खाने पर आएंगे। जी मैडम! जगवन्ती सोचने लगी मैडम ने दिवाली मुबारक भी नहीं बोला! बस हां ठीक है कहकर काम निपटा दिया। कहीं काम खत्म होते ही दिवाली उपहार ना देकर धन्यवाद से काम निपटा ना दें। नहीं- नहीं उसे ऐसी बात नहीं सोचनी चाहिए।

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अगर घर को अच्छे से सजायेगी मैडम के मेहमान खुश हो जायेंगे तो मैडम बड़ा उपहार भी दे सकती हैं। वैसे रुपए पैसे कुछ भी नहीं चाहिए बस छोटा बेटा रामू को स्कूल में दाखिला कराने बोल दें, क्योंकि अभी पिछले हफ्ते ही उसने घर की दशा बतायी थी। जगवन्ती दनादन काम में लग गयी ,पूरे घर की सफाई करते -करते दोपहर के एक बज गए।अब उसके पेट में चूहे कूदने लगे, अभी से इतनी भूख अभी श्वेता मैडम का काम बाकी है।एक हाथ से पेट दबाती कभी पानी पी लेती।अभी घर को सजाना भी है और हां रंगोली भी बनानी है। घर को सजाते -सजाते तीन बज गए।मैडम साहब घर के सभी सदस्य टेबल पर बैठे हैं कई तरह के पकवान बने हैं, साथ में कई तरह की मिठाई भी।साहब मैडम से कहते हुए यार आज खाना बहुत खा लिया,मेरा खाना भी ज्यादा हो गया कहकर मैडम टेबल समेटने लगी। जगवन्ती ने रंगोली बनाई,घर का सारा काम खत्म कर शाम के साढ़े चार बजे मैडम को दुबारा दिवाली मुबारक बोल चलने लगी।मैडम भी ठाठ के साथ हां ठीक जगवन्ती बहुत बहुत धन्यवाद कहते हुए गेट बंद कर लिया। ये क्या वही हुआ? कोई बात नहीं मैडम भी क्या करें इतनी मंहगाई में।

श्वेता मैडम के यहां जाती हूं महज पांच मिनट की दूरी पर श्वेता मैडम का घर। श्वेता मैडम बाहर ही बच्चों के साथ पटाखें फोड़ रही थी। देखते ही भड़क गयी ये कोई समय है आने का ।जब देखो मुंह उठाकर चली आती हो आज का काम कर लिया है अब कल आ जाना। ठीक है मैडम दिवाली मुबारक हो आप सबको । क्या दिवाली मुबारक हो? सुबह से दिमाक खराब कर दिया। सारे रास्ते जगवन्ती ने उपहार पाने की खुशी छोड़ ये सोचने में बिता दिया कि पूरा दिन निकल गया उसने दिये नहीं बेचे अगर बच्चों के दिये नहीं बिके होंगे तो आज खाने में क्या बनायेगी?दस किलोमीटर की दूरी तय‌ करने में घंटा लग गया, क्योंकि सारे टैम्पो वाले घर दिवाली पूजा के लिए जा चुके होंगे,उसे पैदल ही दस किलोमीटर की दूरी तय‌ करनी पड़ी। घर पहुंच कर देखा धुंधले प्रकाश में दोनों बच्चे एक दूसरे से लिपटे हुए सिसक रहे हैं । दौड़ कर जगवन्ती बच्चों को पुचकारते हुए पूछने लगी क्या हुआ दोनों ऐसे क्यों रो रहे हो?मां -मां दिये नहीं बिके ।

छोटा बेटा सिसकते हुए भईया के सिर्फ पच्चास रुपए के ही दिये बिके हैं , और पता है मां सब कह रहे थे कि आज कल इनको कौन लेगा दो चार ले लो । तरह -तरह की लाइट आ गयी हैं, जो चमक और रौनक उनमें इन दियों में कहां? जगवन्ती मुस्कुराते हुए पता है जब मैं छोटी थी तो मेरी मां बहुत स्वादिष्ट खीर बनाती थी आज वही बनाती हूं देखना खाकर मजा आ जायेगा।चलो चलो‌ तुम लोग दियाली जलाओ। मैं अभी आती हूं। पच्चास रुपए लेकर जगवन्ती दुकान गयी वहां से दूध चीनी ले आयी घर के मटके से चावल निकाल खीर बनाने लगी दोनों बच्चे दियाली जलाने में मग्न हो गये । रात के करीब नौ बजे खीर खाने बैठे बच्चे जोर जोर से हंसते और मां को धन्यवाद करते हुए कहते वाह मां आज तो सच में मज़ा आ गया । खाकर तीनों कब सो गए पता ही नहीं चला सुबह जब फोन की घंटी बाजी देखा अरे! ये श्वेता मैडम का फोन है इतनी सुबह। इन्हें क्या हुआ । हेलो मैडम क्या हुआ? जगवन्ती तुम जल्दी से घर आ जाओ और सुनो घर से कुछ खाने का ले आना। यहां पर—–आगे श्वेता मैडम बोल नहीं पाती

जगवन्ती फटाफट बच्चों के लिए नमकीन चावल बना दिये और श्वेता मैडम के लिए खीर ले लेती हूं पसंद आयेगी। श्वेता मैडम के घर पहुंच कर श्वेता मैडम को देख स्तब्ध रह गई। ये सब कैसे हुआ मैडम? इससे पहले आपने कभी ——? कल साहब ने ——और खाना भी खाने नहीं दिया जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर की दवाई‌ नहीं ली‌ सिर में बेतहाशा दर्द है । ला पहले जो लेकर आयी खाने का दे बाकी बातें बाद में। जगवन्ती ने मैडम को कटोरी में खीर डालकर दे दी मैडम बड़े आराम से खीर खाकर जोर की डकार ली जगवन्ती सच मजा आ गया,दवाई भी दे दे । जगवन्ती ने दवाई और पानी का गिलास उठा दिया। मैडम ने खीर और दवाई खाकर —-अब जाकर सुकून मिला। जगवन्ती हल्के से मुस्कुरा कर बाहर आ गयी मैडम चैन की सांस ——।