शैशवी मन की पुलक का | रश्मि लहर | हिंदी कविता

शैशवी मन की पुलक का
सामना लिखती रही।
नन्हें पग धर ज़िन्दगी
प्रस्तावना लिखती रही।।

हो बसंती सा गया मन,
नव-वधू सी वेदना।
कल्पना मधु-यामिनी की
कामना लिखती रही।।

भावना ने प्रेम से सज
छंद -लय सब रच दिया।
दिव्यता अभिव्यक्त होकर,
साधना लिखती रही।

रूपसी बन मिलन बेला
ने किया श्रंगार तब!
सर्मपित हो ईश -सखि
आराधना लिखती रही।

बदलते बन्धन ने रोका
ज़िन्दगी का सफ़र तब!
उम्र बस विचलित रही
संभावना लिखती रही।।

रश्मि लहर
लखनऊ उत्तर प्रदेश