‘आत्मनिर्भरता के साथ सम्मान की चाह’ : आरती जायसवाल

रायबरेली : पंजाब नेशनल बैंक द्वारा सिविल लाइन स्थित एक होटल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की संध्या को आयोजित समारोह के शुभअवसर पर उपस्थित जन को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि देश की सुप्रसिद्ध कथाकार आरती जायसवाल ने कहा कि महिला दिवस को मनाने का अर्थ महिलाओं की उपलब्धियों, उनके जज्बे, उनकी ऐतिहासिक यात्राओं और उनके जीवन को याद करना उनसे प्रेरणा लेना तथा स्वयं को सिद्ध करने की प्रतिज्ञा लेना है।’
प्रथम बार १९०८ ईसवी में अमेरिकी महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा समान कार्य के बदले कम पारिश्रमिक मिलने के विरुद्ध बड़ी संख्या में (लगभग पन्द्रह हजार महिलाएं )सड़कों पर उतरी और उसी के परिणाम स्वरूप सबसे पहले साल १९०९ईसवी में न्यूयॉर्क में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में महिला दिवस का आयोजन किया गया था। फिर १९१७ईसवी में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। तब से धीरे-धीरे तमाम देशों में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। अब लगभग सभी देशों में इसे मनाया जाता है।


आत्मनिर्भरता के साथ लैंगिक समानता की चाह में आज की नारी ने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। अंतरिक्ष से लेकर समुद्रतल तक उन्होंने खुद को सिद्ध किया है। समाज के बने – बनाए रूढ़िवादी ढांचे को चुनौती देते हुए अपने मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं को पार करते हुए विश्व भर की नारियां आज अपना परचम लहराने में सफ़ल हैं।


इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है ‘ जेंडर एक्यूलटी टुडे फॉर सेस्टनेबल टुमारो ‘ जिसमें हम लैंगिक समानता की बात करते हैं और चाहते हैं कि मजबूत भविष्य के लिए हमारा आज सम्मान और आशा से भरा हुआ हो इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं कि हम पुरुष जैसा बनना चाहते हैं ,ईश्वर ने सभी जीवों की रचना अलग की है और उसकी बनाई हुई प्रत्येक कृति अनमोल और अद्भुत है किसी से किसी की तुलना हो ही नहीं सकती । स्त्री – पुरुष दोनों महत्त्वपूर्ण है दोनों ही सम्मान के योग्य भी, समानता का तात्पर्य यहां सम्मान के भाव से है ,इसके लिए आवश्यक है ;कि समाज के विचारों में परिवर्त्तन हो और यह तभी सम्भव होगा जब किसी के घर में बेटी के जन्म पर भी बधाई दी जाए , इसकी शुरुआत हमें ही करनी होगी कि जब हम पुत्री को भी जन्म दें तो हमें सवा किलो लड्डू बांटने का अधिकार होना चाहिए ‘ बेटी के जन्म पर गर्व हो कि यह भी हमारे राष्ट्र का सुनहरा भविष्य है अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली कोई परी जन्मी है,कोई महान व्यक्तित्व जन्मी है ‘ जो न जाने किस क्षेत्र में अपने को सिद्ध करेगी। उसे हेय दृष्टि से न देखकर उसके प्रति आशान्वित और गौरवान्वित होते हुए जब यह समाज आगे बढ़ेगा तो नारी के मार्ग के अवरोध खुद समाप्त हो जायेंगे वे जितना अच्छा कार्य अभी कर रही हैं उससे भी अच्छा कार्य कर पाएंगी।
विकासशील परिवार और समाज से ही राष्ट्र विकसित होता है ,नारियों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आवश्यक है जिससे राष्ट्र के विकास और यश में निरंतर प्रगति होती रहेगी।
आइए खुद पर गर्व करते हुए अपने राष्ट्र को गौरवान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ें।
दीप प्रज्वलन व अतिथि सत्कार के साथ समारोह का शुभारम्भ हुआ,
उपर्युक्त शुभ अवसर पर पंजाब नेशनल बैंक मंडल मण्डल के मुख्य प्रबंधक रोहिताश्व इंद्रेन ने उपस्थित सभी प्रमुख महिला अतिथियों ; देश की सुप्रसिद्ध कथाकार आरती जायसवाल ,यूनिसेफ की वन्दना त्रिपाठी,इंटरनेशनल जैपलिंग चैम्पियन शबा बतुल आब्दी, क्षमा
श्रीवास्तव व शिप्रा को सम्मान स्वरूप पुष्पगुच्छ , पुस्तक और स्मृतिचिह्न भेंट करते हुए बधाई व शुभकामना दी। उन्होंने कहा ;कि महिलाओं ने अपनी कार्यकुशलता से अपने लक्ष्य हासिल किए हैं ,हमारी संस्कृति में सभी नारियां वन्दनीय हैं।
अन्य अतिथियों ने भी अपनी सफलता व संघर्ष के विषय में बताते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
आयोजक मण्डल की समस्त महिला कर्मचारी ,पुरुष कर्मचारी व अधिकारीगण की पत्नियों की गायन प्रतिभा ने समारोह में संगीत घोल दिया व विभा पांडेय,अल्पना यादव,सुष्मिता सिंह,मयूरी तिवारी,भावना यादव,मोनिका अग्रवाल, जिन्होंने अपनी ऊर्जा, व कार्यशैली ,कुशल संचालन व संगीतमय प्रस्तुति से अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए सभी का मन मोह लिया।
उपर्युक्त शुभ अवसर पर प्रिणी यादव, अंकिता,मधुरेश,गौरव,इशिता आदि उपस्थित रहे।