आप सा कोई नही | कल्पना अवस्थी की नई कविता
आप सा कोई नही | कल्पना अवस्थी की नई कविता
कौन से लफ्ज़ मैं कहां से लाऊं….
जो आप को समझाना आ जाए
आप क्या है
मेरे लिए बस ये जताना आ जाए आप जैसे लोग भी होते हैं
यह बात ही कमाल की है
जवाब है कि आप श्रेष्ठ हैं,
पर बात बस एक सवाल की है मेरे वजूद,
मेरे हक मेरे सपनों के लिए इतना करता कौन है
अपनों के लिए जब कभी मेरी सफलता का मुकाम आएगा
मुझसे कहीं अधिक ऊपर आपका नाम आएगा
आपका कहां हुआ हर अल्फाज याद है
मेरे लड़खड़ाए कदमों को आपका साथ याद है
यह समग्र संसार ईश्वर पर टिका है पर
मुझे ईश्वर आपके रूप में दिखा है
बस आपसा अपनत्व मुझे भी निभाना आ जाए
आप क्या है मेरे लिए बस यह जताना आ जाए
आपके लिए कुछ लिख पाऊं
मेरी लेखनी में वह शक्ति नहीं
मन के उदगार व्यक्त कर पाऊं…….
शायद वह अभिव्यक्ति नहीं
तकलीफों से लड़कर भी खिलखिलाऊ
बस वो मुस्कुराना आ जाए
आप क्या है मेरे लिए बस यह जताना आ जाए।
कल्पना अवस्थी