आओ लें संकल्प | डॉ वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर | सौंप गयीं विश्वास

आओ लें संकल्प | डॉ वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर | सौंप गयीं विश्वास

ढोल मृदंग बजें शहनाई, व्यक्त करें सब हर्ष।
दबे पाँव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।।

हम पाश्चात्य संस्कृति पोषक,भूले शाश्वत धर्म।
दीपावली दशहरा होली, विस्मृत उनका मर्म।।
तुलसी पूजन के दिनआकर,क्रिसमस करे विमर्ष।
दबे पाँव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।।

चैत्र प्रतिपदा दिव्य धरा का, नूतन वर्ष प्रवेश।
धन धान्यों से पूरित करता,बदले जग परिवेश।।
किंतु हमारे आदर्शों का, क्यों दिखता अपकर्ष।
दबे पांव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।।

मध्यरात्रि से धमाचौकड़ी, थर-थर काँपे गात।
आँग्ल वर्ष के अभिनंदन में,चले सतत उत्पात।।
रात – रात भर सुरा – सुन्दरी,का होता स्पर्श।
दबे पाँव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।।

भारतीयता, परम्पराएँ, हैं मोहक अति प्रेय।
किंतु कैक्टस रखवाली में,भूल गये हम ध्येय।।
लुप्तप्राय दर्शन पौराणिक, अधोमुखी उत्कर्ष।
दबे पांव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।।

धर्म सनातन की रक्षा हित, आओ लें संकल्प।
अपना निज स्थाप्य धर्म है,उसका एक विकल्प।।
आवश्यक निज परिपाटी का,’भ्रमर’पुनःप्रतिदर्श।
दबे पाँव आने वाला है, अंग्रेजी नव वर्ष।।

आचार्य डॉ वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर’
चित्रकूट धाम कर्वी,उ.प्र.

सौंप गयीं विश्वास

सद साहस भरती माँ मन में,अटल सत्य आभास।
तपस्विनी हीरा बा जग को, सौंप गयीं विश्वास।।

नश्वर देह त्याग शतवर्षी, आज गयीं परलोक।
मोदी नहीं राष्ट्र की माँ का,फैला जग में शोक।।
संघर्षों से जीवन जीकर, बांट गयीं मधुमास।
तपस्विनी हीरा बा जग को, सौंप गयीं विश्वास।।

जिसने दिया भारती माँ को, सेवक चौकीदार।
उसके ऋण से उऋण न होंगे,करलें यत्न हजार।।
देवी जनसामान्य भाँति जो, करती रहीं निवास।
तपस्विनी हीरा बा जग को, सौंप गयीं विश्वास।।

सादा जीवन था जननी का, नहीं प्रेम की थाह।
शव यात्रा से दाह कर्म तक, उसका ही निर्वाह।।
माँ की सीख मुखाग्नि बाद ही,करा गयी अहसास।
तपस्विनी हीरा बा जग को, सौंप गयीं विश्वास।।

माँ के श्री चरणों में अर्पित, श्रृद्धा सुमन अकूत।
कर्मवीर मोदी -सा सौंपा,भारत माँ को पूत।।
धन्य धन्य धानी धरती यह,हो प्रभु के गृह वास।
तपस्विनी हीरा बा जग को, सौंप गयीं विश्वास।।

सदगति मिले रहे प्रतिछाया,देवभूमि उपलब्ध।
हो शिखरस्थ भारती जग में,यश वैभव प्रारब्ध।।
माँ विछोह में ‘भ्रमर’ तंतु भी,छोड़ रहे निश्वांस।
तपस्विनी हीरा बा जग को, सौंप गयीं विश्वास।।

आचार्य डॉ वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर’
चित्रकूट धाम कर्वी,उ.प्र.