लघुकथा अम्मा उतो | Short Story Amma Uto| पुष्पा श्रीवास्तव ‘शैली’
लघुकथा अम्मा उतो | Short Story Amma Uto| पुष्पा श्रीवास्तव ‘शैली’
माँ आँगन में सोयी थी! माँ पर धूप पड़ रही है फिर भी माँ सोयी है! ऐसे खुले आँगन में माँ को सोते कभी नहीं देखा था! माँ आज इतनी देर तक क्यों सो रही है?
मेरे अबोध मन बार बार स्वयं से प्रश्न करता रहा!
थोड़ी देर में माँ को सर से पैर तक फूलों से ढका जा चुका था! पिता मुझे गोद में ले कर माँ के पास आये. मुझे तो माँ को जगाना था!
“अम्मा उतो! अम्मा अम्मा उतो (उठो)!!”
मेरे इतना कहते ही पिता और भी तीव्रता से फफक पड़े! पिता को रोते देख मैंने माँ को उठने के लिए फिर कभी नहीं कहा और पिता के कंधे से चिपक गयी!
मेरे बाल मन में हज़ार प्रश्न उठ खड़े हुए! जब कोई देर तक सोता है तो उसकी पूजा क्यूँ की जाती है? और फूलों से पूजा की जाती है तोह सब रोते क्यों हैं?
मैं सवालों के बीच उलझ कर सो गयी!
और जब जागी तो सब शांत था! मैं आश्वस्त हुई की चलो माँ उठ गयी! दौड़ी दौड़ी माँ के कमरे में गयी तो माँ वहां नहीं थी!
“माँ उठी, तो फिर गयी कहाँ??”
आज भी मेरी निगाहें माँ को ढूंढती हैं!
पुष्पा श्रीवास्तव ‘शैली’