कौन हो तुम | Kaun Ho Tum Short Story in Hindi | Ratna Singh

कौन हो तुम | Kaun Ho Tum Short Story in Hindi | Ratna Singh

तुमसे कितनी बार पूछा कि कौन हो तुम? और इतना तंग क्यों करती हो ?बताया तो कि लिफ्ट बोल रही हूं लेकिन समझ पाती नहीं बस घर से निकल पड़ती हो। क्या करूं? बेटे से कहा तो उसने कहा रास्ते में सब समझा दूंगा । रास्ते में समझाने से पहले ही वो पता नहीं कहां चला गया ? तुम तो लिफ्ट हो चलती भी तेज हो पता लगा दो न बहुत एहसान रहेगा तुम्हारा।

यही तो कर नहीं सकती क्योंकि एक सीमा में बांध दिया गया है, और देखो न सब कैसे ऊपर चढ़ चढ़कर चले जाते हैं ? जीवन की इस आपाधापी में किसी के पास समय नहीं कि दो मिनट ठहर जाये। जबकि सबका समय बचाकर फटाफट ऊपर नीचे पहुंचा देती हूं । लिफ्ट की बात सुनकर थोड़ी देर तक चुप‌ रहने के बाद जवाब दिया कि तुमको बनाने वाले को हमने बनाया जब उसके पास समय नहीं है कि हमारे लिए ठहर जाये तो भला —–?और देखो न कितनी खुश किस्मत हो कि मिलने के लिए सभी आते हैं ठहरते नहीं तो क्या ? यहां देखो बेटा लाकर छोड़ दिया ऊपर से लिफ्ट बहन तुम भी धौंस जमा रही हो।

यही तो समस्या है तुमको इतनी देर से समझा रही हूं और तुम समझती‌ नहीं हो कहते हुए लिफ्ट हंसने लगी कितनी ——? और बोली ज़रा पीछे देखो जब तक पीछे देखती तब तक लोगों की आवाजें जोर -जोर से आने लगी अरे !इसकी समझ में नहीं आता यहां कितनी देर हो रही है।किसी के आफिस के लिए तो किसी की ट्रेन छूट रही ‌। पता नहीं कहां -कहां से आ जाते हैं ? गंवार पता होता नहीं मुंह उठाया और चल पड़ी। एक ने धक्का देते हुए कहा -“ये बुढ़िया किनारे खड़ी हो जा जाने दे”। लिफ्ट दुबारा हंसी और लोगों का समय बचाने में जुट गई। वहां खड़ी- खड़ी कभी लोगों को तो कभी लिफ्ट को देख रही हूं —–।