समीक्षा | मैं और मेरे साक्षात्कार | लेखिका- सविता चढ्ढा
समीक्षा | मैं और मेरे साक्षात्कार | लेखिका- सविता चढ्ढा
- समीक्षा-“ मैं और मेरे साक्षात्कार”
- लेखिका- सविता चढ्ढा
- समीक्षक -डॉ० दुर्गा सिन्हा ’उदार’
- प्रकाशक – साहित्यभूमि
- प्रकाशन वर्ष -2021
- पृष्ठ संख्या-134
- मूल्य – 495.00
सविता चढ्ढा जी साहित्य जगत में चमकते सितारे की तरह हैं। मुझे उन्होंने अपनी यह विशिष्ट कृति "मैं और मेरे साक्षात्कार" भेंट की, मैं गौरवान्वित अनुभव कर रही हूँ। उनके स्नेह व सौहार्द् के लिए दिल से शुक्रिया करती हूँ।
साक्षात्कार, साहित्य यात्रा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
साक्षात्कार लेना और साक्षात्कार में पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्नों के प्रभावपूर्ण उत्तर देना एक कला है।साधारण बात-चीत के दौरान समुद्र तल से माणिक-मोती तलाशने जैसी गतिविधि है साक्षात्कार। वह भी इतनी रोचकता से कि सुनने वाला और देखने वाला सुनता रहे और लाभान्वित भी हो।
अपनी बात बता कर और दूसरों की बात जान कर अपना व्यक्तित्व निखार पाता है।
आपने बहुत सही बात का ज़िक्र किया कि ‘ जब हम अपनी बात, साक्षात्कार कर्ता को सुनाते हैं तो उन बातों को खुद में महसूस करते हैं।शायद इससे पहले इस तरह से कभी ध्यान भी नहीं देते हैं।
जन्म , बचपन, परिवेश, प्रथम रचना, प्रथम पुस्तक प्रकाशन, विविध विषय, दहेज प्रथा पर - ‘ आज का ज़हर’, नारी विमर्श , धर्म क्या है आपकी नज़र में ?, युवा महिला रचनाकारों को संदेश।व्यापक चर्चा के विषय जिनके बारे में सभी कुछ बहुत ही सहजता, स्पष्टता, एवं सत्यता से स्पष्ट किया है।
साक्षात्कार दरम्यान बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे गए और आपने बड़ी ही सावधानी पूर्वक सही और महत्वपूर्ण जानकारी दी। अपने बारे में बहुत कुछ बताना और कुछ न बताना, दोनों ही कठिन काम है।
सरकारी कार्यालय में काम करते समय बारीकियों पर नज़र रखना और निखालसता से तंत्र की कमज़ोरियों का भी उल्लेख करना बहुत ही साहस का काम है। आपने कुछ इस तरह स्पष्टता की कि बुरा भी न लगे।
समर्थ नारी साहित्यकार का साक्षात्कार,उदाहरण स्वरूप खुद को ही प्रस्तुत कर एक नयापन ला दिया है। साहित्य से जुड़ने का आपने सार्थक किया है।अवलोकन से प्राप्त अनुभव की अभिव्यक्ति के साथ कमियों के सुधार की दिशा दे कर मार्गदर्शन भी दिया है।
अनेकों सम्मानों और पुरस्कारों से पुरस्कृत और सम्मानित आपके अनोखे व्यक्तित्व का परिचय आपकी इस पुस्तक में मिल रहा है।सविशेष हिन्दी अकादमी से प्राप्त पुरस्कार से आप अति प्रसन्न हुई । ख़ुशी का इज़हार भी नि:संकोच कर पाना हर किसी के लिए सरल नहीं होता किन्तु आपने सहज स्वीकार कर यह स्पष्ट कर दिया कि सब सामान्य गतिविधियाँ ,सामान्य प्रतिक्रियाएँ होनी चाहिए ,होती हैं तो उन्हें स्वीकार करना भी आनन्ददायी है , स्वीकार करना चाहिए।
जीवन के और समाज में घटने वाली ज्वलंत घटनाओं , गतिविधियों , समस्याओं के वृहत् विस्तार और समावेश को आपने बखूबी प्रस्तुत किया। सभी ने बड़े सार्थक प्रश्न पूछे और आपने हर प्रश्न का बहुत ही विस्तार से आवश्यकतानुसार प्रत्युत्तर देते हुए अपने स्वभाव , व्यक्तित्व , अपने लक्ष्य को ही प्रस्तुत किया है।सच में आपने स्वयं को बखूबी उजागर किया है। जो आपसे नहीं मिल सके हैं वे भी आपको भली भाँति जान जाएँगे।
बेहतरीन पुस्तक
बेहतरीन साक्षात्कार !
आपको और साक्षात्कारकर्त्ताओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार ‘
अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
महिला काव्य मंच ( रजि०)
साहित्य एवं समाज सेवी
सम्पर्क- 9910408884
Email-durga.a.sinha@gmail.com