Biography of Poet Pradeep Maurya | प्रदीप मौर्या का जीवन परिचय

Biography of Poet Pradeep Maurya | प्रदीप मौर्या का जीवन परिचय

जीवन परिचय (1999-अब तक)

आईए जानते है प्रदीप मौर्य का प्रदीप प्यारे तक सफ़र

मै आपको बताता चलूँ कि प्रदीप मौर्य का जन्म 1999 को उत्तरप्रदेश के जिला रायबरेली के कैड़ावा नामक गाँव में हुआ था इनके पिता का नाम श्रीपाल मौर्य जो कृषक है और गुलाब की खेती (दिल्ली) में असफलता मिलने के बाद इनके पिता ने हरियाणा में एक प्राइवेट कंपनी मे जॉब करने लगे।
आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इनके पिता ने इनका नाम गाँव में लिखवाया और प्राथमिक तक की शिक्षा गाँव से प्राप्त की तथा 6 से 12 तक की शिक्षा गाँव के पास में स्कुल डाक्टर भीम राव अंबेडकर इंटर कालेज कैड़ावा ठाकुरपुर से की।
इंटर के बाद स्कुल के एक शिक्षक की सलाह पर इन्होने ITI गवर्नमेंट कालेज गोराबजार रायबरेली से कंप्यूटर ट्रेड से किया।
घर की हालत अभी सुधरी नही थी इसलिए इनको गाँव से 40 किलोमीटर दूर रायबरेली साईकिल से आना पड़ता था इस लगभग 1 वर्ष के कठिन संघर्ष के बाद प्रदीप को उनके मित्र प्रेमशंकर के यहाँ रतापुर में किराये पर रहने लगे।
जब ये किराये के रहने लगें तो भोजन न बना पाने के कारण कई कईं दिनो तक भूखे रहते,धीरे-धीरे जली-बुझी,अधपकी रोटी खाकर पेट भरते रहे।

ITI करने के बाद अप्रेंटिस के लिए भटक रहे थे लेकिन किस्मत मे साथ नहीं दिया। प्रदीप घर वालो पर बोझ नहीं बनना चाहते थे इसलिए इन्होने घर घर जाकर कोचिंग पढ़ाते और उसी से अपना खर्च वहन करतें ।
अब प्रदीप स्नातक की शिक्षा फीरोज गान्धी महाविद्यालय रायबरेली से बी0 ए0 करने लगे।
इनका मन व्याकुल परेशान सा रहता था । इनके साथी मित्र ने बताया की इन्हे कई कई दिनो तक नींद नही आती थी। अब इनके मन मे साहित्य का जन्म हो चुका था। प्रदीप जी और बातो का खुलासा हुआ की इन्होने अपनी पहली रचना दसवीं कक्षा में लिखी थी,जिसका शीर्षक है “हिंदी छोड़कर हम अन्ग्रेजन हो गए” ये प्रकृति प्रेमी हैं हाल ही 2021 में हुई एक विवाह कार्यक्रम में इन्होने अन्य लोगो की तरह गिफ्ट न ले जाकर पौधा लेकर पहुच गए थे जिसका लोगो ने विरोध भी किया था। ये अपने समय मे क्लास के मेधावी छात्रों में गिने जातें थे।
26 जनवरी के कार्यक्रम मे प्रदीप द्वारा रचित नाटक को ही प्रदर्शित किया जाता रहा।
प्रदीप ने इण्टरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी से व स्कूल में प्रथम रैंक से पास की।
ITI व ग्रेजुएट होने के बाद,वर्तमानस्थिति को देखते हुए LIC Of INDIA में अभिकर्ता की ऐजेन्सी ले ली।

साहित्य में परिवार

साहित्यक जीवन में इनके माता-पिता व चाचा जगतपाल का अहम योगदान रहा जो इन्हें हमेशा प्रेरित व संबल प्रदान करतें रहे।
इनकी दो बहनें हैं वंदना ,अर्चना जिन्होनें हमेशा एक दोस्त की भांती कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी रही।
साहित्य में अचानक नहीं आये इनके मित्र थे अभय श्रीवास्तव व प.सत्यम शर्मा मे दिल्ली व लखनऊ से अपना पहला साहित्यक कार्यक्रम की शुरुवात की।

इनकी बहुत चर्चित पँक्ति यू रही कि


हमें गवार कहने वाले गवार कहतें रह जायेगें
हम ऐसे निखरेंगे कि लोग देखते रह जायेंगे।

संगोष्टी
काव्य कलश महराजगंज,काव्योम परिवार रायबरेली में प्रतिभाग करतें हैं।
सम्मान/पुरस्कार
प्रदीप जी अब तक 50 से ज्यादा ओपेन माईक व 7 से 10 कवि सम्मेलन मंच पर अपना काव्य पाठ कर चुके हैं।
इनकी रचनाये संकलन पुस्तक जैसे, भूमि,तस्वीर,रंग आदि।
अखबारो में प्रकाशित हुई रचनाओ मे लोग(लखनऊ मेल) हिंदुस्तान की खातिर (लखनऊ मेल) (कबाडीवाला (न्यूजवाणी), पिता का दर्द(इंडिया प्रहर)

ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हिंदी रचनाकार,अनसुने किस्से , पोएट्री स्टेज,अमरउजाला काव्य ,टैलंट हण्ट आदि जगहों पर रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी है।

अखिल भारतीय साहित्य मंथन शोध संस्थान द्वारा 9 अप्रेल 2022 को साहित्य मंथन कलम साधक सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रिय सेमिनार में स्त्री विमर्श के विविध आयाम में प्रदीप जी की रचना स्त्री का चयन हुआ ।

स्वदेश चेतना समिति लखनऊ (उ.प्र.) द्वारा नवोदित कवि सम्मान दिया गया।

पुर्नोदय साहित्यक संसथान एवं माँ भारती साहित्य सेवा संसथान द्वारा 05 जून 2022 को साहित्य साधक सम्मान एवं प्यारे की उपाधि प्रदान की गई।
अब ग्राम कैड़ावा का प्रदीप,प्रदीप प्यारे बन चुका हैं।