भटकती हुए नौकरी | रत्ना सिंह

भटकते हुए नौकरी | रत्ना सिंह

नौकरी कितने दिनों से चिल्ला रहा हूँ। साला कहीं नौकरी नहीं मिल रही। अरे साले बाद में चिल्लाना, आज तेरे शादी वाले आ रहे हैं और ये भी ध्यान रख कि तूने ही कहा था परीक्षा में सारे उत्तर दे आया। जो उत्तर आया वो भी, नहीं आया वो भी। तब मैंने डाँटते हुए कहा कि मतलब बेटा। तूने कहा था कि पापा आप नहीं समझेंगे। अभी बाप बेटे की बात खत्म नहीं हुई कि दरवाजे पर किसी के बुलाने की आवाज सुनाई दी। आता हूँ, पिता रामलाल ने कहा और दरवाज़ा खोला। अरे ! आप लोग आ गये । आइए -आइए बैठिए। कहते हुए रामलाल ने अपनी पत्नी फूल दुलारी को आवाज लगाई – सुनो देखो मेहमान आ गये, जरा पानी पीने को ले आओ।


रामलाल मेहमानों को बैठका में बिठाकर वहीं बैठ गये। जब तक पत्नी नाश्ता लेकर आती, उससे पहले ही बातों का सिलसिला शुरू हुआ। शादी करने के लिए घर वर देखने आये लड़की के बाबा ने कहा- “लड़का कितना पढ़ा-लिखा है और आजकल क्या करता है ? पढ़ाई में नम्बर एक बेटा है।बी.ए. में पहला स्थान मिला था, उसके बाद उसने एम.ए का फार्म भर नौकरी के लिए बड़े शहर दिल्ली चला गया। अकेला कमाने वाला इसलिए नौकरी के लिए कह दिया। दिल्ली में एक नम्बर की कम्पनी में काम कर रहा है। अभी दो महीने हुए हैं, रामलाल ने कहा। अच्छी बात है लेकिन ये बताओ— तभी रामलाल की पत्नी चाय नाश्ता लेकर आ गयी। अरे ! बाकी बातें होती रहेंगी। लड़की के बाबा को बीच में ही रोकते हुए रामलाल सबको उठाकर चाय देने लगे, पत्नी भी ट्रे रखकर चली गई।
चाय की चुस्कियों के साथ बातें आगे बढ़ी और लड़की के बाबा ने दुबारा कहा- अच्छा ये बताईए, लेन देन में क्या-क्या रहेगा? हमारे चार बेटियाँ हैं। कमाने वाला एक ही है और अब हमारी कमाने की उम्र रही नहीं।


रामलाल ने उनकी बात बीच में काटकर कहा कि वैसे तो मैं दहेजप्रथा के खिलाफ हूँ, परन्तु ज्यादा कुछ नहीं, एक नये फ़ैशन वाली बाइक, बीच में इसने जिद्द की थी लेकिन कमाने वाला एक ही है कितना करेगा? इसलिए बाईक, दो लाख नगद, घर का सारा सामान, लड़के के लिए चैन, अँगूठी तो आम बात है और हाँ, बारात में आये हुए सभी लोगों का अच्छे से स्वागत सत्कार… बस इतना ही और कुछ नहीं चाहिए।हमें लड़की सुंदर, सुशील चाहिए, रामलाल ने कहा।


जी, लड़की घर के कामों, सिलाई-कढ़ाई में निपुण है । बारहवीं पढ़ी भी है। लड़की के बाबा के मुँह से इतना सुनते ही रामलाल बोल पड़े, बस इतना ही पढ़ी है। अरे! नौकरी नहीं करती तो पढ़ी-लिखी होती तो कम से कम जरूरत पड़ने पर काम कर सकती थी। अब एक दो चीजें और बढ़ानी पड़ेगी। चीजें बता देता हूँ एक तो —— अभी बात पूरी भी नहीं कर‌ पाये कि अन्दर से जोरदार आवाज सुनाई दी। हे भगवान ! क्या कर दिया? लटका दिया बीच में ही। अब नौकरी भी लटक गयी किनारे ही। कितनी बार कापी में लिखकर आया था तेरा नाम और उस मास्टरवा को भी लिखा था, पास कर देना । लेकिन दोनों ने नहीं सुनी। हे भगवान सुन लेता क्या जाता तेरा—–। क्या हुआ क्या हुआ शादी देखने आये लोगों ने पूछा तो रामलाल आता हूँ अंदर से देखकर। ये बेटे ने मोबाइल में कुछ बजा‌ रखा है। आजकल तरह -तरह के वीडियो भी कितना —–? रामलाल अंदर चले गए। बहुत देर तक बाहर न आने पर लड़की के पिता ने उठकर दरवाजे पर आवाज लगाई । अंदर से अभी भी वहीं आवाजें आ रही थी, फर्क इतना कि अब रामलाल की भी आवाज आ रही थी, “चुप हो जा यार बाद में बात कर लेंगे, अच्छा खासा काम क्यों खराब कर रहा है “? रामलाल का स्वर तो धीमा था। लेकिन बातों ने सब समझा दिया। इसलिए इधर से भी सभी लोगों ने एक स्वर में कहा- “रामलाल सब समझ गया, सब समझ गया, अब चलता हूँ। सब समझ गया ——। कहते हुए सभी लोग चलने लगे कि रामलाल अंदर से कहते हुए, अरे रुक जाईये … रुक जाईये दोनों पक्ष एक साथ बैठकर बात कर लेंगे सब हो जायेगा —। नहीं- नहीं समझ गया बस —–।