बचपन गीत
bachapan geet
दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”

बचपन गीत

बचपन के वे प्यारे दिन,
छप-छप पानी वाले दिन।
 
धमा चौकड़ी उछल कूद के,
धूम मचाने वाले दिन।
 
छप-छप पानी वाले दिन।
कागज़ की एक नाव बनाना,
पानी में उसको तैराना।
चींटों को फिर पकड़-पकड़ कर,
नाव के अंदर उन्हें बैठाना।
बहती नाव के पीछे-पीछे,
दौड़ लगाने वाले दिन।
छप-छप पानी वाले दिन।
 
चार बजे स्कूल से आना,
ताल,तलैया खूब नहाना।
 
बाबा जी को पता चले जब,
हाथ में डंडा लेकर आना।
 
आमों के पेड़ों पर चढ़कर,
आम तोड़ने वाले दिन।
 
छप-छप पानी वाले दिन।
बर्फ बेचने वाला आता,
भोंपू को वह तेज बजाता।
भोंपू की आवाज को सुनकर,
उसके पास दौड़कर जाता।
दादी से पैसे लेकर के,
बर्फ चूसने वाले दिन।
छप-छप पानी वाले दिन।
 
साबुन का वह घोल बनाना,
गुब्बारे सा उसे फुलाना।
 
फूंक मारकर  उसे उड़ाना,
दोनों हाथों से पिचकाना।
 
अजिया के संग रात लेटकर,
आसमान के तारे गिन।
छप-छप पानी वाले दिन।
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गीतकार-दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” रायबरेली।
 

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