फिर वो एक दिन | पुस्तक समीक्षा | कंचन सौरव मिस्सर

लेखिका “कंचन सौरव मिस्सर” जी की पहली किताब “और फिर वो एक दिन” एक ऐसी कहानी है, जिसके माध्यम से लेखिका यह बताने की कोशिश करती हैं कि मन से की हुई प्रार्थना हमेशा स्वीकार होती हैं।

ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जो सुंदर न हो कर भी एक सुंदर पति के सपने देखती है। लोगों की बातों के बोझ के तले दबे एक ऐसे इंसान की खोज में है, जो उसे इन सबसे दूर उसे सपनों के घर में ले जाए, जहां वो उसके साथ हमेशा खुश रहे। इस कहानी के माध्यम से लेखिका यह बताने की कोशिश करती है कि मन से की हुई प्रार्थना हमेशा स्वीकार होती है और उसका जवाब भगवान देते ज़रूर हैं।

वो कहती हैं कि “बचपन से ही कुछ कर गुजरने की चाहत आज इस किताब से शुरू हुई है।” उन्होंने किताब के पहले पन्ने पर अपने जीवन के कुछ खास लोगों का आभार व्यक्त किया है; जिसमे सबसे पहले ईश्वर को और फिर अपनी प्यारी दादी कृष्णा शर्मा, माता पूजा शर्मा और पिता श्री विजय शर्मा का भी आभार व्यक्त किया। उनका मानना है कि इनके बिना किताब लिख पाना संभव नहीं था।

किताब के बारे में

“और फिर वो एक दिन” किताब एक ऐसा उपन्यास है जिसमे नायिका को कम खूबसूरत और कम आकर्षक दिखाया गया है। जो कि अमूमन समाज में ऐसा होता है और ये हमारे समाज की आम सी कहानी है। ऐसी कहानी जो फिसलते वक़्त की रेत पर ज़िंदगी के कुछ कहे-अनकहे एहसासों को बयां करती है।

पुरानी रूढ़िवादिता के चलते यह सोच धारणा बन गयी है कि व्यक्ति विशेष का खूबसूरत होना ज़रूरी है। फिर उसकी ‘सीरत’ का ज़िक्र बाद में आता है।

यह किताब एक ऐसी ही लड़की की कहानी है जो अपने बाहरी रूप से सुंदर न होने पर भी विवाह के ऊँचे ख़्वाब सजा लेती है।

अब उसके यह ख़्वाब पूरे होते है या नही !
क्या-क्या मुश्किलें आती है ?
यही ख़्वाब पूरे होने की यात्रा का वर्णन मिलता है इस पुस्तक में।

ये किताब एक ऐसी लड़की के सपने हैं जो एक खूबसूरत हमसफर की तलाश में है। किताब को Aelin Publishers ने प्रकाशित किया है।
किताब अमेज़न पर उपलब्ध है।

अमेज़न पर यहां से खरीदें: https://amzn.to/3LW2Cfj

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इस किताब “और फिर वो एक दिन” की अमेज़न पर बहुत अच्छी समीक्षाएं प्राप्त हो रही हैं।

एक समीक्षक “पवन दुबे जी” इस किताब के बारे में अमेज़न पर लिखते हैं कि…

“Positive approach के साथ लिखी गयी किताब है।
लेखिका के लिखे शब्दों की सकारात्मकता पढ़ने पर आप तक भी पहुँचेगी। अच्छी पुस्तक है। नए लेखकों की किताबें पढ़ना ही चाहिए।”

“कंचन सौरव मिस्सर” जी की पहली किताब “और फिर वो एक दिन” एक ऐसी कहानी है, जिसके माध्यम से लेखिका यह बताने की कोशिश करती हैं कि मन से की हुई प्रार्थना हमेशा स्वीकार होती हैं।ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जो सुंदर न हो कर भी एक सुंदर पति के सपने देखती है। लोगों की बातों के बोझ के तले दबे एक ऐसे इंसान की खोज में है, जो उसे इन सबसे दूर उसे सपनों के घर में ले जाए, जहां वो उसके साथ हमेशा खुश रहे। इस कहानी के माध्यम से लेखिका यह बताने की कोशिश करती है कि मन से की हुई प्रार्थना हमेशा स्वीकार होती है और उसका जवाब भगवान देते ज़रूर हैं।वो कहती हैं कि “बचपन से ही कुछ कर गुजरने की चाहत आज इस किताब से शुरू हुई है।” उन्होंने किताब के पहले पन्ने पर अपने जीवन के कुछ खास लोगों का आभार व्यक्त किया है; जिसमे सबसे पहले ईश्वर को और फिर अपनी प्यारी दादी कृष्णा शर्मा, माता पूजा शर्मा और पिता श्री विजय शर्मा का भी आभार व्यक्त किया। उनका मानना है कि इनके बिना किताब लिख पाना संभव नहीं था।किताब के बारे में।”और फिर वो एक दिन” किताब एक ऐसा उपन्यास है जिसमे नायिका को कम खूबसूरत और कम आकर्षक दिखाया गया है। जो कि अमूमन समाज में ऐसा होता है और ये हमारे समाज की आम सी कहानी है। ऐसी कहानी जो फिसलते वक़्त की रेत पर ज़िंदगी के कुछ कहे-अनकहे एहसासों को बयां करती है। पुरानी रूढ़िवादिता के चलते यह सोच धारणा बन गयी है कि व्यक्ति विशेष का खूबसूरत होना ज़रूरी है। फिर उसकी ‘सीरत’ का ज़िक्र बाद में आता है।यह किताब एक ऐसी ही लड़की की कहानी है जो अपने बाहरी रूप से सुंदर न होने पर भी विवाह के ऊँचे ख़्वाब सजा लेती है।अब उसके यह ख़्वाब पूरे होते है या नही !क्या-क्या मुश्किलें आती है ?यही ख़्वाब पूरे होने की यात्रा का वर्णन मिलता है इस पुस्तक में।ये किताब एक ऐसी लड़की के सपने हैं जो एक खूबसूरत हमसफर की तलाश में है। किताब को Aelin Publishers ने प्रकाशित किया है। किताब अमेज़न पर उपलब्ध है। अमेज़न पर यहां से खरीदें: https://amzn.to/3LW2Cfjइस किताब “और फिर वो एक दिन” की अमेज़न पर बहुत अच्छी समीक्षाएं प्राप्त हो रही हैं। एक समीक्षक “पवन दुबे जी” इस किताब के बारे में अमेज़न पर लिखते हैं कि…”Positive approach के साथ लिखी गयी किताब है।लेखिका के लिखे शब्दों की सकारात्मकता पढ़ने पर आप तक भी पहुँचेगी। अच्छी पुस्तक है। नए लेखकों की किताबें पढ़ना ही चाहिए।”