bhandara hospital fire-क्या कसूर था|डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की रचना क्या कसूर था /bhandara hospital fire घटना से आहत  होकर उन नवजातों को  समर्पित  अपनी कविता   के माध्यम से उन  नवजातों  के लिए  श्रद्धाँजलि  अपनी प्रकट की  ये  घटना  शुक्रवार  की  रात  रात्रि  २ बजे लगभग हुई  जब  महाराष्ट्र  के भंडारा  के  जिला  अस्पताल  में  शार्ट  सर्किट  लगने  से  १० नवजात बच्चों की  दर्दनाक  मृत्यु  हो  गयी  उस समय  वार्ड  में  १७  बच्चे  थे  रेस्क्यू  के  माध्यम  से  ७  बच्चे  ही  बचा  पाई  टीम  प्रस्तुत  है  रचना 

क्या कसूर था


उठता धुंआ

पुष्ट करता है

भ्रम और संदेह को

कि दाल में कुछ काला है

बात जैसी भी हो

दर्द कम नहीं हो सकता

फोड़ा नासूर हो गया

नहीं भुलाया जा सकता है

इस हरे ज़ख़्म को

अपना अंगूठा तक

नहीं चूसा था

नवजातों में से किसी ने

न निहार सके थे

अपने- अपने पाल्यों को

एक भी उनमें से

गर्भ के हिंडोले में ही नौ महीने तक

झूलाया था उन्हें अभी

बाहरी दुनिया में एक कदम भी

चलना नहीं सिखाया था

क्या मालूम जिन हाथों में

वे बालपोथी और कुछ खिलौने

थमाना चाहती हैं

वे ममता के हाथ को

थामने के लिए नहीं हुए थे प्रसूत

यही उनकी नियति थी

क्रूर काल की ही संगति थी

वैसे भी मंदिर, गिरिजाघर, अस्पताल

प्रतिबद्ध हैं

देश की जनसंख्या

कम करने के लिए

खूब अध्ययन किया है

माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत का

इन संस्थाओं ने

लेकिन क्या कसूर था

उन नवजातों का

जिनका नहीं हो पाया था संपर्क

ठीक- ठीक अपने

जनक और जननी से

अभी तक

क्या शॉर्ट सर्किट से हुई

यह मौत भी

जांच की बलि चढ़ जायेगी ?

 

bhandara -hospital- fire
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874

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