हिंदी की वरिष्ठ लेखिका प्रेमलता शर्मा की रचना maa par kavita in hindi -माता हिंदी रचनाकार के पाठको के सामने प्रस्तुत है –
माता
कविता का नाम है माता का मान इस दुनिया में सृजन करता की सबसे सुंदर रचना माता है माता के ही चरणों में
सारा ब्रह्मांड समाया है मां जैसा निश्चल प्रेम कहां मां के आंचल सी छांव कहां हृदय जब भी व्यथित होता है मां शब्द ही अधरों पर आता है अपना अस्तित्व मिटा कर
माता हमको जीवन देती है उसके ह्रदय से कभी आह ना निकले
ऐसा अनर्थ ना करना है हर मनुष्य का माता के प्रति
कर्तव्य यही बस बनता है इस संसार का हर सुख वैभव माता के चरणों में अर्पण करना है एक बात हमेशा दिल में गांठ
हिंदुस्तान मे माँ का स्थान महत्पूर्ण है क्योकि इस स्थान को इस संसार मे कोई नहीं ले सकता है हिंदीरचनाकर के मंच पर डॉ संपूर्णानंद मिश्र की maa par kavita short देश की सभी माँ को समर्पित है भारतीय संस्कृति मे चर्चित माताओं के नाम यशोदा,सीता ,पार्वती ,कुन्ती आदि माँ के आदर्श आज भी पूजनीय है maa par kavita short पाठको के प्रस्तुत है
मां
दुनिया की नज़रों से छुपाती थी
मुझे अपने सीने से लगाती थी
तुम्हारे दूध का कोई मोल नहीं
मां तेरी ममता का कोई तोल नहीं
गीले में सोकर
सुखे में सुलाती थी
सारी रात जगकर
लोरियां सुनाती थी
ममता के जल से ही नहलाती थी
रुठने पर सौ- सौ बार मनाती थी
मां आज भी तुम्हारा वही बच्चा हूं
चाहे जितना ही बड़ा हो जाऊं
तुम्हारी नज़रों में अब भी कच्चा हूं
तुम्हारे हाथों से बनी ममता से
सनी चित्तीदार रोटियां
खाए सालों गुज़र गए
व्यंजन तो बहुत खाए
लेकिन स्वाद न अब वो आए
तुम कहां चली गई हो मां ?
एक बार लौट के तो आ जाओ
हर मुसीबत में खड़ी हो जाती थी
पिता की छड़ी से प्राय: बचाती थी
चट्टान बन कर मुसीबतों की
धारा ही बदल देती थी
मुझे अपने सीने से लगाकर
नव जीवन दे देती थी
क्रूर काल के पंजे ने
तुम्हें छीन लिया था
निष्ठुर नियति ने
मुझे मात्रृहीन कर दिया था
एक बार लौट कर आ जाओ मां
या जिस भी लोक में हो
वहीं से एक बार फिर ममता के
जल से नहला दो मां
मां आज भी तुम्हारा
वही बच्चा हूं
जितना भी बड़ा हो जाऊं तुम्हारी
नज़रों में अब भी कच्चा हूं ।
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