Jigyasa-जिज्ञासा/सीताराम चौहान पथिक

Jigyasa

जिज्ञासा


कब जीवन की संध्या होगी ॽ
कब जीवन का नव – प्रभात ।
यह अनन्त का गूढ़ प्रश्न है ,
समाधान अब तक अज्ञात ।

चेतन तत्व आत्मा जिसका ,
आदि- ॳत ना ओर ना छोर।
तन विशाल से उड़ा गगन में ,
हुआ विलीन विराट की ओर।

तन्त्र – मंत्र आध्यात्म सभी ,
मानव के आत्म-तत्व पर मौन
कैसी है रहस्यमयी आत्मा ॽ
मॄत्यु बाद ॽ सब साधे मौन ।

कैसा है वह अमर तत्व ॽ
गीता ने परम ब्रह्म बतलाया।
वहीं तत्व मानव में – यद्यपि ,
मानव अमर नहीं बन पाया।

तन निर्जीव — तत्व जब छूटा ,
विज्ञान दीखता है निरुपाय ।
कोई यन्त्र श्वास लौटा दे ,
वैज्ञानिक कर रहे उपाय ।

विज्ञान – यन्त्र कोई ना बना,
जो प्राण – तत्व को लौटा दे।
तन में तन की अद्भुत रचना ,
कैसे सम्भव ॽ यह समझा दे ।

ऐसे अबूझ अनगिनत प्रश्न ,
विज्ञान – शोध चल रही मगर।
कुछ अधर बीच कुछ अनसुलझे ,
जिज्ञासाओं की कठिन डगर।

Jigyasa 
सीताराम चौहान पथिक

सीताराम चौहान पथिक की अन्य रचना पढ़े:

आपको Jigyasa-जिज्ञासा/सीताराम चौहान पथिक  की हिंदी कविता कैसी लगी अपने  सुझाव कमेन्ट बॉक्स मे अवश्य बताए अच्छी लगे तो फ़ेसबुक, ट्विटर, आदि सामाजिक मंचो पर शेयर करें इससे हमारी टीम का उत्साह बढ़ता है।
हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है| whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९ संपर्क कर कर सकते है।