Dhari devi par kavita- धारी माता – बाबा कल्पनेश

धारी देवी  भारत के उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित एक मंदिर है।  Dhari devi par kavita मंदिर देवी धारी की मूर्ति के ऊपरी आधे भाग में स्थित है, जबकि मूर्ति का निचला आधा भाग कालीमठ में स्थित है, जहाँ देवी काली के प्रकट रूप में उनकी पूजा की जाती है। Dhari devi par kavita
यह धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के संरक्षक देवता मानी जाती हैं और चार धाम के रक्षक के रूप में पूजनीय है उनका तीर्थस्थल भारत में 108 शक्ति स्थालों में से एक है, जैसा कि श्रीमदभागवत मे बताया है। बाबा कल्पनेश ने मां को समर्पित किया यह छ्न्द पाठकों के सामने प्रस्तुत है Dhari devi par kavita

विष्णुपद छंद

धारीमाता


धारी माता आया बालक,कृपा कोर कर दे,
जन्म-जन्म का दुख मिट जाए,ऐसा निज वर दे।
सद्गुरु वचनों में अविरल रति,नीके हो कर दे,
वरद हस्त निज सिर पर माता,मंगल प्रद धर दे।

निज समाज भारत की सेवा,चिंतन चित जागे,
रहे न कोई दुखी माँगता,सुखमय हों धागे।
गीतों में यह भाव भरा हो,खगकुल कलरव सा,
कवि मन सी निर्मलता सब में,विस्तृत हो भव सा।

तेरी महिमा भारी लेकिन,जान न पाया मैं,
तूने मुझे बुलाया तो माँ ,दौड़ा आया मैं।
जैसा भी है तेरा बालक,सम्मुख है तेरे,
त्राहिमाम माँ रक्षा करना,माया अति घेरे।

हर मानव माँ बालक तेरा,आँचल छाया दे,
सब जीवों के लिए प्रेम हो,तू निज दाया दे।
तू है माता सारे जग की,जीव कहाँ जाएँ,
बिन तेरे कृपा कोर के,सुख कैसे पाएँ।

बाबा कल्पनेश
धारी माता मंदिर,श्रीनगर-उत्तराखंड

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