तुलसी गीत / डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज

तुलसी गीत   (tulsi geet dr. rasik kishor singh neeraj) डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज के गीत संग्रह ‘हम सबके है सभी हमारे से लिया गया है | प्रस्तुत है रचना –

तुलसी गीत 

(tulsi geet dr. rasik kishor singh neeraj)


वसुधा में नित्य राम

दर्शन की बात करनी है

हुलसी के पुत्र तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

रत्नों  में रत्न पाकर

हुए राममय धनी थे

सौभाग्य  संत  तेरा

हीरे की नव कनी थे |

 

युग   प्रेरणा   रहो      तुम

परिवर्तन की बात करनी है

हुलसी   के   पुत्र    तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

कवि  भावना  में  तेरी

यमुना   हुई  प्रवाहित

मानस  सुधा को पीकर

रस भक्ति स्वर निनादित |

 

आत्मा सुत आत्मीय सबके

प्रत्यर्पण की बात करनी है

हुलसी   के  पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

झंकृत न हो सका   उर

जब काव्य गीत स्वर था

बजरंग   की   कृपा   से

हुआ ज्ञान भी मुखर था |

 

तुलसी से  चन्दन हाथ ले

रघुवर की बात  करनी  है

हुलसी   के  पुत्र    तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

आदर्श  के      पुजारी

भविष्यत के दृश्य देखे

अन्तः करण मनुज के

सौभाग्य   कर्म  लेखे |

 

अविरल तुम्हारी नवधा

भक्ती की बात करनी हैं

हुलसी   के  पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

कविता लिखी या मंत्रो

में   दिव्य दृष्टि   तेरी

है सकल विश्व आँगन

रसधार    वृष्टि  तेरी |

 

भू स्वर्ग  सृष्टि    करके

अम्बर की बात करनी है

हुलसी   के  पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

किया सर्वस्व राम अर्पण

शिक्षण   सहज दिया था

बंधुत्व       भावना    से

जग ऐक्यमय  किया था |

 

‘नीरज ‘ राम  हो ह्रदय में

तुलसी की बात करनी है

हुलसी  के   पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

https://youtu.be/QshJCxN5X3w


२. वर दे हे माँ ,जग कल्याणी 


वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |

 

झंकृत    वीणा के   तारों   से

स्वरलय गति की झनकारो से

गीतों  की मधुरिम तानों से

झूम   उठे  मानस कल्याणी

वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |

 

शब्दों में नव अर्थ जगा दे

तिमिर घोर अज्ञान भगा दे

भावों में’ शुचि पावनता दे

नवल ज्योति भर दे वरदानी

वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |

 

लिखे लेखनी तेरी महिमा

अंकित छंद -छंद में गरिमा

अक्षर आभा युत ज्यों मणि माँ

नव रस नित्य करें अगवानी

वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |