“रेलवे स्टेशन की कुर्सी” लेखन प्रतियोगिता | Railway Station Ki Kursi Writing Competition

“रेलवे स्टेशन की कुर्सी” लेखन प्रतियोगिता | Railway Station Ki Kursi Writing Competition

हिन्दी रचनाकार” और कविता घर की तरफ से एक लेखन प्रतियोगिता किया जा रहा है। यदि आप लघु कथा, कविता या कोई लेख लिखते हैं तो स्वरचित रचना आप हमें मेल कर सकते हैं।

निर्णायक मंडली में टीम हिन्दी रचनाकार और टीम कविता घर के साथ “रेलवे स्टेशन की कुर्सी” के लेखक गुलशेर अहमद भी शामिल रहेंगे। आपकी स्वरचित रचना यदि स्वीकृत होती है तो उसे हिन्दी रचनाकार वेबसाईट पर प्रकाशित किया जाएगा और साथ में पाँच शीर्ष को विजेताओं की घोषणा की जाएगी। विजेताओं को गुलशेर अहमद की पुस्तक “रेलवे स्टेशन की कुर्सी” हिन्दी रचनाकार टीम और कविता घर की तरफ से भेजी जाएगी। साथ ही गुलशेर अहमद जी का हस्तलिखित एक पत्र पुस्तक के साथ विजेता को भेजा जाएगा।

महत्वपूर्ण तिथियां

  • प्रारंभ की तिथि: 1 जनवरी, 2022
  • जमा करने की अंतिम तिथि: 10 जनवरी, 2022

शब्द सीमा
कोई शब्द सीमा या विषय सीमा नहीं है। आप बेफिक्र होकर लिखें।

शीर्ष प्रविष्टियों के लिए पुरस्कार इस प्रकार है।

शीर्ष 5 को हिन्दी रचनाकार और कविता घर की तरफ़ से एक Digital certificate दिया जायेगा एवं उन्हें गुलशेर अहमद द्वारा लिखित एक पुस्तक “रेलवे स्टेशन की कुर्सी” भी दी जायेगी। साथ ही गुलशेर अहमद जी का हस्तलिखित एक पत्र पुस्तक के साथ विजेता को भेजा जाएगा।

अगले 5 रचनाकारों को प्रोत्साहन हेतु 50 रूपये का ईनाम Paytm के द्वारा का भुगतान किया जायेगा।

नियम और शर्तें

  1. यह प्रतियोगिता केवल भारतीय नागरिकों के लिए है। उम्र की कोई सीमा नहीं है।
  2. सभी प्रविष्टियों को teamhindirachnakar@gmail.com पर सबमिट किया जाना चाहिए। मूल्यांकन के लिए किसी अन्य माध्यम/तरीके से प्रस्तुत प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा।
  3. प्रतियोगिता सिर्फ़ इमेल के माध्यम से आप हमें प्रेषित कर सकते हैं।
  4. प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आपको हमें ईमेल करने के पश्चात अपने लेख, कविता या लघु कथा का एक अंश #RailwayStationKiKursi के साथ हिन्दी रचनाकार को टैग करते हुए ट्वीट करनी होगी।
  5. रचनाकारों द्वारा भेजी गई की गई रचनाओं को गुलशेर अहमद और हिन्दी रचनाकार निर्णायक मंडली के द्वारा कोई 5 रचनाओं को चुना जायेगा।
  6. प्रतियोगिता में सिर्फ हिंदी कविता, लघु कथा या कहानियों को प्रेषित किया जा सकता है।
  7. अस्वीकृत की गई रचना/ पाण्डुलिपि के बारे में सूचना देना व्यावहारिक नहीं है और न ही उसे सुधारने का सुझाव देना।
  8. एक प्रतिभागी केवल एक प्रविष्टि भेज सकता है। यदि किसी भी प्रतिभागी द्वारा एक से अधिक प्रविष्टि भेजी जाती है, तो उक्त प्रतिभागी की सभी प्रविष्टियों को अमान्य माना जाएगा।
  9. प्रविष्टि मूल होनी चाहिए। प्रतियोगिता के तहत कॉपी की गई प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रतिभागी उसी व्यक्ति को होना चाहिए जिसने लेख लिखा हो और किसी भी तरह की साहित्यिक चोरी स्वीकार नहीं की जाएगी।
  10. हिन्दी रचनाकार टीम के पास प्रतिस्पर्धा के सभी या किसी भी भाग और/या नियम और शर्तें/तकनीकी मापदंड/मूल्यांकन मापदंड को रद्द करने या संशोधित करने का अधिकार है।
  11. इस प्रतियोगिता से संबंधित कोई भी विवाद या किसी भी मुद्दे पर निर्णय हिन्दी रचनाकार निर्णायक मंडली द्वारा लिया जाएगा, जो अंतिम और बाध्यकारी होगा। का निर्णय अंतिम और सभी प्रविष्टियों के लिए बाध्यकारी होगा ।
  12. मूल्यांकन के किसी भी स्तर पर, यदि कोई एंट्री से जुड़े दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता पाया जाता है,तो बिना कोई सूचना दिए मूल्यांकन प्रक्रिया से हटा दिया जाएगा।

अगर आप को किसी भी तरह की समस्या आए तो आप हमें teamhindirachnakar@gmail.com पर मेल कर सकते हैं। पढ़ते रहिए, लिखते रहिए और आगे बढ़ते रहिए।

#RailwayStationKiKursi

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रेलवे स्टेशन की कुर्सी लेखन प्रतियोगिता
गुलशेर अहमद का कहानी संग्रह “रेलवे स्टेशन की कुर्सी”, एक अत्यंत हॄदय-स्पर्शी एवं मार्मिक कहानियों की किताब

गुलशेर अहमद का कहानी संग्रह “रेलवे स्टेशन की कुर्सी”, एक अत्यंत हॄदय-स्पर्शी एवं मार्मिक कहानियों की किताब 

लिखना मुझे अच्छा लगता है। कविताएँ, कहानियाँ, शायरी… लिखते-लिखते एक दिन मेरे ज़ेहन में आया कि कहानियों को किताब की शक्ल में लोगों तक पहुँचाना चाहिए। दोस्त ने कहा – “यार तू तो बढ़िया लिखता है। तेरी कहानियों की किताब तो आनी ही चाहिए।” बस फिर क्या था हम फूल के गुब्बारा हो गए और फुला-फुला कर “थैंक यू” बोलते रहे।

दोस्त होते ही ऐसे हैं। ख़ैर…मैंने मेरी कहानियों को लिखा और जब एक संग्रह की तरह हो गई तो मुझे भी लगा कि किताब की शक्ल में लोगों तक पहुँचनी चाहिए। और दोस्त की प्रशंसा से ओथ-पोथ मैं लग गया इसके फेरे में। जहाँ कहीं भी, कुछ भी जानकारी मिलती लपेटने लगे। समेटते रहें और समझते रहें।

कुछ पब्लिशर्स को भेजा। कई पब्लिशर्स ने माना किया। कुछ ने टाईम का अभाव बताया और कुछ ने साफ कह दिया कि नहीं छाप सकते तो कुछ ने मेल का रिप्लाई करना भी मुनासिब नहीं समझा। इसी में से “राजमंगल प्रकाशन” ने इसे छापने की हामी भर दी और एक साल दो महीने के इंतज़ार के बाद आज किताब किंडल वर्जन में अमेज़न पर उपलब्ध हो चुकी है।

 
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  • आप किताब का किंडल वर्जन यहाँ से प्राप्त करें। BUY ON AMAZON KINDLE

“रेलवे स्टेशन की कुर्सी” किताब के बारे में

किताब के बारे में बताना चाहूँगा कि ये समाज की बात करती है। समाज में फैले असमानताओं की बात करती है। पढ़े लिखे और अनपढ़ लोगों के बीच की समानताओं की बात करती है। बाप-बेटे के ज़िन्दगी की बात करती है। दोनों के रिश्तों की बात करती है। दोस्ती और प्रेम की बात करती है। और भी बहुत कुछ….
 
मैंने कहानियाँ लिखी और अब किताब की शक्ल भी ले चुकी है। अभी किताब अमेज़न पर किंडल वर्जन में उपलब्ध है। जल्दी ही पेपर बैक भी ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएगी। आप किताब को पढ़ें और अपना फैसला करें कि मैंने इसके साथ कितनी सच्चाई और ईमानदारी के साथ कहानियों को उकेरने में कामयाब हो सका हूँ। क्या में कहानियों के किरदारों के साथ न्याय कर सका हूँ? यदि नहीं भी हुआ हूँ तो आप नकारिए और बताईए मुझे। मुझे बुरा नहीं लगेगा। मैंने अपनी इस छोटी सी जीवन का जो भी अनुभव रहा है उसके हिसाब से इसमें लिखने की कोशिश की है।

लेखक गुलशेर अहमद का  परिचय

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बिहार के सीवान जिले के जमाल हाता गाँव में पैदा हुए। पहले घर पर और गाँव के मदरसे में पढ़ाई शुरू हुई जिससे ऊर्दू सीखा और फिर प्राथमिक और उच्च विद्यालय की पढ़ाई हुई। बचपन से ही स्थानीय भाषा भोजपुरी सीखी। इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के लिए भोपाल में चार साल रहें।

अहमद कहते हैं कि “जीवन एक दरिया की तरह है और हम सभी एक नाव पर हैं जहाँ कोई भी पतवार नहीं है लेकिन पतवार बनाने के लिए ज्ञान का भण्डार यहाँ अवश्य उपलब्ध है।
हम उससे अपनी नाव खेने का पतवार बना सकते हैं लेकिन खेवय्या प्रकृति ही होगी। हमारी इस जीवन के दरिया का किनारा मृत्यु है।”

आज कल दिल वालों की दिल्ली में निवास स्थल बनाएँ हुए हैं।
अब ये किताब आपकी है। आशा है ये आपको अपनी लगे, अच्छी लगे। इसकी कहानियाँ आपको अपनी लगे। इसके किरदार में आप खुद के देख पाएँ। गुलशेर अहमद  की    वेबसाइट विजिट करने के लिए क्लिक करे 
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गुलशेर अहमद का कहानी संग्रह “रेलवे स्टेशन की कुर्सी”, एक अत्यंत हॄदय-स्पर्शी एवं मार्मिक कहानियों की किताब  कैसी लगी,पसंद आये तो समाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।हिंदीरचनाकर पर अपनी रचना भेजने के लिए व्हाट्सएप्प नंबर 91 94540 02444, 9621313609 संपर्क कर कर सकते है। ईमेल के द्वारा रचना भेजने के लिए  help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है|