विघटन | Short story Vighatan in Hindi

विघटन | Short story Vighatan in Hindi

विघटन

अस्पताल का काम खत्म करके मैं घर की ओर निकला आज मरीज ज्यादा थे तो मुझे थोड़ी देर हो गई। अचानक से मुझे बाहर हटाओ बाहर हटाओ की जोर जोर से आवाज सुनाई दी मैं वहां गया तो देखा एक बूढ़ा सड़क के किनारे बिल्कुल शिथिल पड़ा था रात काफी हो चली थी मुझे थोड़ी दया आई और मैं गाड़ी से उतरकर बूढ़े के पास गया उसे उठाया गाड़ी में से पानी पिलाया और घर की ओर चलने लगा तो पीछे से जोर-जोर सांस लेने की आवाज आई मुड़कर देखा तो वह बूढ़ा लंबी लंबी सांसे ले रहा था और वहां पर खड़े लोग मूकदर्शक की तरह देख रहे थे आपस में बुदबुदाते अच्छा है मर जाए साला हम लोगों की बला से। मैं दौड़ कर उसके पास पहुंचा और उसे अपने अस्पताल ले गया वहां उसे भर्ती करवाया। एक-दो दिन उसका इलाज होने के बाद वह ठीक हो गया
बाबा ! अब आप घर जा सकते हैं मैंने कहा।
नहीं बेटा मैं घर जाकर नहीं रह सकता।
बाबा की आवाज इतनी डरी और सहमी थी कि मैं उनकी आवाज से ही समझ गया था उनके साथ जरूर कुछ गलत हुआ है
मैंने पूछा क्यों बाबा क्या हुआ? क्या बताऊं बेटा दो दिन पहले ही मेरी बेटी ने एक दूसरी जाति के लड़के से शादी कर ली इसलिए यह गांव वाले मुझे निकाल रहे हैं कह रहे हैं कि अब ना वापस तेरी बेटी आ सकती है और ना तू ,पूरे गांव में ही क्या आस-पास के गांव में भी ढिंढोरा पिटवा दिया कि मेरे हाथ का कोई पानी भी ना पिए ना अपने घर के आस-पास जाने दे।
मैंने पूछा,” बाबा इसके पहले सब ठीक था”।
बाबा ने कहा,” हां बेटा इसके पहले तो मैं और मेरी बेटी गांव में ही काम करते थे”। मैं मजदूरी करता बेटी सब के कपड़े सिलती।
मैंने कहा,”बाबा सिर्फ इतनी सी बात कि आपकी बेटी ने दूसरी जाति में शादी कर ली और आपको समाज ने बहिष्कार कर दिया”।
हां बेटा जिस समाज के लिए–। इसके आगे उनका स्वर भिंच गया बस उनकी आंखों से आंसू टपक रहे थे मैं उनको ढांढस बंधा रहा था।

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