hindi geet lyrics || हम सबके हैं सभी  हमारे

डॉ. रसिक किशोर सिंह ‘ नीरज ‘ प्रस्तुत गीत संग्रह hindi geet lyrics हम सबके हैं  सभी  हमारे  के  माध्यम  से  अपनी  काव्य-साधना के भाव  सुमन  राष्ट्रभाषा  हिंदी  के श्री  चरणों  में  अर्पित  कर रहे हैं  |  इस  संकलन  की गीतात्मक  अभिव्यक्तियों में  भाव  की  प्रधानता  है | 

  गाँवों में फिर चलें 

(hindi geet lyrics)


गाँवों  में   फिर    चलें 

महानगर  को  छोड़  दें 

 मर्माहत    मानव   के 

जीवन   में   मोड़   दें | 

 

बाधित संस्कृति -प्रवाह 

कृत्रिमता     है     यहाँ 

स्वप्नों  से  सम्मोहित 

चकाचौंध  जहाँ -तहाँ 

व्यस्तता  हुई   प्रबल 

न  स्नेह की हवा बही 

झूठ का चला चलन 

न सत्य की प्रथा रही | 

 

मानव हो शांत सुखी 

प्रदूषण – गढ़ तोड़ दें 

गाँवो  में  फिर   चलें 

महानगर को छोड़ दें | 

 

शूरवीर -दानवीर 

सब यहीं पर सो  गये 

प्रौद्योगिकी विज्ञान के 

श्रेष्ठ  रूप  हो   गये 

वसुधैव कुटुम्बकम की  

सद्भावना रही यहाँ 

भारतीय चिंतन की 

समता है और कहाँ ?

 

भ्रमित पंथ अनुकरण 

‘नीरज’  अब  छोड़   दें 

गाँवों   में  फिर  चलें 

महानगर को छोड़ दें | 

https://youtu.be/HG7-Qe4du_c


 २.मैं अकेला हूँ 

(hindi geet lyrics)

 

भीड़ में रहते हुए भी  मैं अकेला हूँ | 

मैं नहीं केवल अकेला 

है अपार समूह जन का 

किन्तु फिर भी बेधता है 

क्यों अकेलापन ह्रदय का 

 

सिंधु नौका के विहग सा मैं अकेला हूँ | 

भीड़ में रहते हुए भी मैं अकेला हूँ | | 

 

मित्र कितने शत्रु कितने 

दुःख कितने हर्ष कितने 

कल्पना के नव सृजन में 

सत्य कितने झूठ कितने 

 

जय पराजय त्रासदी सौ बार झेला हूँ | 

भीड़ में रहते हुये भी मैं अकेला हूँ ||  

 

थके   मेरे पाँव चलते 

स्वप्न नयनों में मचलते 

ठोकरें लगतीं  मगर हम 

लड़खड़ाकर  फिर सम्हलते 

 

‘नीरज’ यह खेल कितनी बार खेला हूँ | 

भीड़ में रहते हुये  भी मैं अकेला हूँ || 

https://youtu.be/9m9VeSkqSCA


३. मत समझो घट भरा हुआ है 

(hindi geet lyrics )

 

मत समझो घट भरा  हुआ है | 

पूरा   का   पूरा     रीता    है|| 

 

एक – एक     क्षण  बीते कैसे 

यह वियोग की अकथ कहानी 

अम्बर   पट पर   नक्षत्रों    में 

पीड़ा की   है  अमिट  निशानी 

भरा-भरा  दिखता  सारा नभ 

पर अन्तस  रीता -रीता  है | 

पूरा    का  पूरा  रीता   है || 

 

जीवन तिल तिल कर कटता 

है प्रहर मौन इंगित  कर जाते 

सूनेपन    की  इस नगरी   में 

परछाईं     से   आते      जाते 

तम  प्रकाश की आँख मिचौनी 

में    ही   यह  जीवन बीता  है||

पूरा    का  पूरा  रीता   है ||     

 

विस्मृति की इस तन्मयता में 

खो   जाता है दुख सुख सारा 

मैं तुम का विलयन हो जाता 

खो  जाता अस्तित्व हमारा 

दग्ध प्राण निःशब्द  सुनाते 

मूक प्रणय की नवगीता है |

पूरा    का पूरा रीता है | | 

https://youtu.be/CpvZ8fVtY0M
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तुलसी गीत / डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज

तुलसी गीत   (tulsi geet dr. rasik kishor singh neeraj) डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज के गीत संग्रह ‘हम सबके है सभी हमारे से लिया गया है | प्रस्तुत है रचना –

तुलसी गीत 

(tulsi geet dr. rasik kishor singh neeraj)


वसुधा में नित्य राम

दर्शन की बात करनी है

हुलसी के पुत्र तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

रत्नों  में रत्न पाकर

हुए राममय धनी थे

सौभाग्य  संत  तेरा

हीरे की नव कनी थे |

 

युग   प्रेरणा   रहो      तुम

परिवर्तन की बात करनी है

हुलसी   के   पुत्र    तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

कवि  भावना  में  तेरी

यमुना   हुई  प्रवाहित

मानस  सुधा को पीकर

रस भक्ति स्वर निनादित |

 

आत्मा सुत आत्मीय सबके

प्रत्यर्पण की बात करनी है

हुलसी   के  पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

झंकृत न हो सका   उर

जब काव्य गीत स्वर था

बजरंग   की   कृपा   से

हुआ ज्ञान भी मुखर था |

 

तुलसी से  चन्दन हाथ ले

रघुवर की बात  करनी  है

हुलसी   के  पुत्र    तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

आदर्श  के      पुजारी

भविष्यत के दृश्य देखे

अन्तः करण मनुज के

सौभाग्य   कर्म  लेखे |

 

अविरल तुम्हारी नवधा

भक्ती की बात करनी हैं

हुलसी   के  पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

कविता लिखी या मंत्रो

में   दिव्य दृष्टि   तेरी

है सकल विश्व आँगन

रसधार    वृष्टि  तेरी |

 

भू स्वर्ग  सृष्टि    करके

अम्बर की बात करनी है

हुलसी   के  पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

 

किया सर्वस्व राम अर्पण

शिक्षण   सहज दिया था

बंधुत्व       भावना    से

जग ऐक्यमय  किया था |

 

‘नीरज ‘ राम  हो ह्रदय में

तुलसी की बात करनी है

हुलसी  के   पुत्र   तुलसी

पैगम्बर की बात करनी है |

https://youtu.be/QshJCxN5X3w


२. वर दे हे माँ ,जग कल्याणी 


वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |

 

झंकृत    वीणा के   तारों   से

स्वरलय गति की झनकारो से

गीतों  की मधुरिम तानों से

झूम   उठे  मानस कल्याणी

वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |

 

शब्दों में नव अर्थ जगा दे

तिमिर घोर अज्ञान भगा दे

भावों में’ शुचि पावनता दे

नवल ज्योति भर दे वरदानी

वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |

 

लिखे लेखनी तेरी महिमा

अंकित छंद -छंद में गरिमा

अक्षर आभा युत ज्यों मणि माँ

नव रस नित्य करें अगवानी

वीणा पाणि सुभग वरदानी

वर दे हे माँ ,जग कल्याणी |