short story kar bhala to ho bhala / सविता चड्ढा

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लघुकथा

“कर भला तो हो भला”

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सविता चड्ढा

कनिका को जब से यह सूचना मिली है कि उसके पिता को अपने कारोबार मेंं काफी बड़ा घाटा हो गया है और वे बहुत परेशान हैं। उसे ये भी बताया गया है कि उसके पिता द्वारा प्रेषित सामान को गुणवत्ता के आधार पर खरा नहीं पाया गया । इसलिऐ उस माल का भुगतान नहीं किया गया और कंपनी ने वह सारा माल भी वापस लौटा दिया है ।
बात इससे भी अधिक यह हो गई कि उसके पिता को अब आगे से वह कंपनी कभी माल बनाने का ऑर्डर भी नहीं देगी। कनिका मन पर बोझ लिए, विचार करने लगी। उसकी अंतरात्मा ने उसे झकझोरा, वह सोचने लगी “मेरे दादी कहां करती थी, जब बेटियां अपने ससुराल का जानबूझकर कोई नुकसान करती हैं तो उसका खामियाजा उसके मायके वालों को भुगतना पड़ सकता है।”

कनिका के मन से पता नहीं कैसी हूक उठी, कई दिन से वह वैसे भी आत्मग्लानि से जूझ रही थी। वह उठी और अपनी सास से जोर जबरदस्ती से हस्ताक्षर कराए मकान के कागज, उनसे हथियाए हुए सोने के जेवरात उन्हें वापस कर दिए , ये कहते हुए

” जब आप अपनी इच्छा से मुझे देना चाहेंगी मैं ले लूंगी, अभी आप रख लीजिए।”

कनिका को पूरा विश्वास है अब उसके मायके में सब ठीक हो जाएगा।


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