Adhurapan-अधूरापन/कल्पना अवस्थी

अधूरापन

Adhurapan


Adhurapan-kalpana-awasthi
कल्पना अवस्थी

राधा कृष्ण के प्रेम की अधूरी कहानी क्यों हैं
कहीं मुस्कुराहट की चमक तो

कहीं आंखों में पानी क्यों है।

खुशियों में वक्त इतनी जल्दी गुजरता क्यों है
और दुख के पलों में आकर ठहरता क्यों है
कभी मिल जाता है रास्ते में

कोई अंजान अपना बनकर
कभी कोई अपना उस

रास्ते पर बिछड़ता क्यों है
बिखरी -बिखरी सी लगी जिंदगानी क्यों है
राधा कृष्ण के प्रेम की अधूरी कहानी क्यों है।

घूम रहा है सुकून की तलाश में हर कोई
फिर वो इतना भी बेसकून क्यों है

मौत ही सच है जीवन का तो

फिर जीने का जुनून क्यों है

एक ख्वाहिश पूरी होने के बाद

दूसरी तैयार क्यों है
एक और चैन है मन में तो

दूसरी और मन बेकरार क्यों है
गाड़ियों के शोर मे उलझी ,

जीवन की रफ्तार क्यों है
सामने फूलों की माला ,

पीठ पीछे तलवार क्यों है।

एक- एक चीज जोड़कर तैयार करता है

इंसान अपने सपनों का महल
‘कल्पना’ फिर वही चीज,

इस दुनिया में रह जाती क्यों है
राधा कृष्ण के प्रेम की अधूरी कहानी क्यों है
कहीं मुस्कुराहट की चमक तो

कहीं आंखों में पानी क्यों है।

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