बाल श्रम पर लेख | Paragraph on Child Labour in Hindi

बाल श्रम पर लेख | Paragraph on Child Labour in Hindi

बाल कार्य क्या है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है एक तरफ तो हम इस दिन को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं लेकिन दूसरी और हमारा ध्यान उन बच्चों की ओर नहीं जाता है जिन का शोषण कहीं न कहीं किसी रूप में समाज में हो रहा है हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो गरीब तबके के बच्चों को चंद पैसों की खातिर अपने निजी जरूरतों के लिए उनका प्रयोग करते हैं आज हमारे समाज में एक बहुत ही शर्मनाक विभीषिका है वह है बाल श्रम

बाल श्रम का प्रमुख कारण क्या है?

अगर आप अपने आसपास नजर दौड़ आएंगे तो आपको अनेक ऐसे बच्चे दिखाई पड़ेंगे जो अपनी उम्र से कहीं ज्यादा जिम्मेदारियों का बोझ उठाए हुए हैं कभी कंधे पर बोरा लेकर कबाड़ चलते हुए कहीं किसी होटल में चाय के गिलास धोते हुए या फिर छोटे-छोटे कोमल हाथों से किसी घर में बर्तन साफ करते हुए यह भी किसी के बगीचे के फूल है इनका माली भी अपने फूल को मुस्कुराता और फलता फूलता देखना चाहता है लेकिन इनकी मजबूरी इनकी गरीबी इन्हें यह सोचने और सपने देखने की इजाजत नहीं देती है हमारे समाज में ही कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने हित और फायदे के लिए इन मासूमों का शोषण कर उनसे उनका बचपन छीन कर जरूर तो और अभाव का वास्ता देकर उन्हें बाल श्रम की भट्टी में झोंक देते हैं और इस तरह समाज का एक वर्ग एक पीढ़ी एक नस्लें देश के भावी कर्णधार पढ़ने की उम्र में अशिक्षित रह जाते हैं और आगे चलकर यही समाज के लिए कलंक बाना समस्या पैदा करते हैं इसी तरह से बेरोजगारी आतंकवाद चोरी डकैती आदि को बढ़ावा मिलता है।

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बालश्रम को रोकने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

बच्चे अगर यह शिक्षित होंगे तो एक अच्छा नागरिक बन देश के सुधार में भागीदार बनेंगे इस समस्या को खत्म करने के लिए हम आपको ही पहल करनी होगी इस बच्चों से हम अपना निजी स्वार्थ सिद्ध ना करें हो सके तो इन्हें आर्थिक मदद कर उनके जीवन का अंधकार मिटा कर शिक्षा रूपी प्रकाश प्रदान करें जोकि ज्ञान से वंचित हो अज्ञानता के भंवर में डूब जा रहे हैं हमें एकजुट होकर समाज की इस बुराई को दूर करना चाहिए मैं कहती हूं ऊंची ऊंची बात करने वाले समाज के उन सेवकों को क्या इनका दर्द नहीं दिखाई पड़ता इनके दिलों में कभी किसी ने झांक कर देखा है कि यह भी कुछ कहना चाहते हैं इनके भी कोई सपने हैं हमें आपको ही इसे रोकना है आगे हाथ बढ़ाकर इन्हें एक अच्छा नागरिक बनने का अवसर प्रदान करिए जिस तरह कोई किसी कोमल पौधे को सिर उठाने से पहले रौंद डालें ठीक उसी तरह बाल श्रम है वे मासूम जिन्हें हमें प्यार से सीचना चाहिए उन्हें यह समाज कठोर जीवन जीने के लिए मजबूर कर देता है ।

बाल श्रम पर कविता

बाल श्रम वह अग्नि है जिसने फूलो को भी न छोडा है
हवा न दो इस चिनगारी को जिसने मानव के जमीर को निगला है
जलाने के लिए है समाज मे बहुत जलावन
भस्म करो उन बुराइयो को
जिसने मानव से मानवता को छीना है
झोके न तुम इन मासूम फूलो को
बाल श्रम की भट्टी मे
मुरझाने न दो इन्हे समय से पहले
‘प्रेम ‘का समाज से यह कहना है.

प्रेमलता शर्मा
प्रेमलता शर्मा

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