poem on river in hindi-नदी/अरविन्द जायसवाल

हिंदी रचनाकार के पाठकों के सामने प्रस्तुत है poem on river in hindi-नदी/अरविन्द जायसवाल  की रचना प्रकृति की महत्पूर्ण उपहार  से जुड़ी है। इस नदी के किनारे हमारे ऋषि -मुनियों को ज्ञान प्राप्त हुआ अरविन्द जायसवाल की रचना प्रकृति से जुड़ी होती है ।नदी के किनारे बड़े- बड़े शहर और महानगर बसे आज भी है मानव सभ्यता का विकास नदी के किनारे ही हुआ है  नदी रचना में सन्देश भी यही है|

नदी

नदी बहती हुई निर्झर,
चली है सिंधु से मिलने।

समेटे    मन   में अपने,
प्रेम के अंकुर भरे सपने।

वो बल खाती हुई जाती,
वो  इठलाती हुई जाती।

सोच करके मिलन प्रिय से,
वो    शर्माती   हुई जाती।

ओढ़ कर लहरिया चुनरी,
भंवर   का घाँघरा पहने।

नदी   बहती हुई निर्झर,
चली है सिंधु से मिलने।१।

कभी मद मस्त सी चलती,
कभी   गजमंजरी बनकर।

रोकने   से   नहीं  रुकती,
चली जाती वो छन छन कर।

मधुर कलकंठ से गाती,
चली है आज बन ठन कर।

चाँद की पहन कर नथनी,
सितारों    से  जड़े गहने।

नदी   बहती हुई निर्झर,
चली है सिंधु से मिलने।२।

पहुँच कर सिंधु के तट पे,
भाव बिहवल् सी हो करके।

ह्रदय की तेज धड़कन से,
प्रेम   के वेग में बहके।

लिये अरविंद अर्पण की,
कामना   है समर्पण की।

प्रति    से  बंद हैं पलकें,
तृप्ति घुल कर लगी बहने।

नदी   बहती  हुई निर्झर,
चली है सिंधु से मिलने।३

poem- on-river- in -hindi
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new year hindi geet -डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज के गीत

  नव वर्ष 

(new year hindi geet )

 

 नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन | 

 

 सद्कर्म करें सतपंथ  चलें 

आलोक दीप बन सदा जलें 

पथ पर नित नव निर्माण करें 

साहस से अभय प्रयाण करें 

हम करें राष्ट्र का आराधन 

नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन | 

 

हम मातृ भूमि को प्यार करें 

जन- जन का हम सत्कार करें 

मानवता का हम गुण गायें 

विपदाओ मे हम मुस्कायें 

हम जियें सदा समरस जीवन 

नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन |


२. नवल वर्ष शतबार बधाई 

नयी दिशा में प्रगति लक्ष्य पर,

शुचि मंगलमय शुभ जीवन हो ,

नवल  वर्ष   शतबार    बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

स्वस्थ  विचार बुद्धि में उपजें ,

और ह्रदय में मधुरिम रिश्ते,

छल प्रपंच के ढूह ढहे सब ,

स्वच्छ बने समता के रस्ते |

 

ऐसा मंत्र पढ़ो युग स्वर में,

सभी अपावन भी पावन हो ,

नवल वर्ष शतबार बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

बहे पवित्र आचरण धारा ,

धुले कलुष जीवन का सारा ,

भेदभाव मन का मिट जाये ,

तम पर अंकित हो उजियारा |

 

पग-पग पथ पर अनय मिटाता ,

गरिमा  आभामय  जीवन  हो ,

नवल  वर्ष शतबार   बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |

 

नवल ज्योति बिखराते आओ ,

जीवन का तम  दूर    हटाओ ,

नव उमंग नव गति लय लाओ ,

नव  आभा  फैलाते  जाओ |

 

हो अवसाद तिरोहित मन का ,

आह्लादित रसमय जीवन हो ,

नवल  वर्ष शतबार   बधाई ,

तेरा उज्जवलतम यौवन हो |


 

naye saal par kavita /वर्ष 2020-प्रेमलता शर्मा

नए साल के आगमन पर  हिंदी की वरिष्ठ लेखिका प्रेमलता शर्मा का naye saal par kavita /वर्ष 2020 पाठकों के सामने प्रस्तुत है –

कविता वर्ष 2020


वर्ष 2020 की विदाई में

कुछ ही समय अब बाकी है
बहुत कड़वे जख्म दिए हैं

जो ना भुलाने वाले हैं
कुछ भी हो पर वर्ष 2020

इतिहास के पन्नों पर
मानव जाति के हत्यारे के रूप में

अपना नाम दर्ज करा गया
लोग इसका दिया हुआ

दर्द कभी ना भूल पाएंगे
हर 1 वर्ष को पीछे छोड़

यह बहुत आगे निकल गया
ऐसा जहर घोला पर्यावरण में
विश्व को श्मशान बना दिया
वर्ष 2020 का हर पल

हर दिन हर महीना
एक नई दहशत का आह्वान किया
मानव जाति इसके आगे

हाथ बांधे निस हाय खड़ा
लेकिन हमने भी इसके आगे

हार नहीं मानी है
इसकी विदा घड़ी आने में

अब कुछ ही देर बाकी है
वर्ष 2021 से लोगों ने

बहुत उम्मीद बांधी है
कि शायद 2021 वर्ष 2020 का

मरहम बन कर आएगा और

सारे जख्मों को भर कर
दुनिया पर अपने

खुशियों का परचम लहराएगा

naye-saal-par-kavita
प्रेमलता शर्मा

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New year poetry 2021-नववर्ष/शैलेन्द्र कुमार

नववर्ष 2021 पर अवध की धरती के सपूत शैलेंद्र कुमार एक प्रतिष्ठित लेखक है। New year poetry 2021-नववर्ष उन्ही रचना में से एक है । आप की रचना समाज को एक नई दिशा और संदेश देती है हिंदी रचनाकार पाठकों और विश्व के हिंदी भाषी लोगों के सामने प्रस्तुत है रचना।

नव वर्ष


साथी कैसे कहूं? क्या कहूं?

नववर्ष तो पिछली बार भी आया था
लेकर वजूद हजार खुशियों का

हृदय में गहराई तक समाया था ।

तुम्हारी वह स्नेहिल दृष्टि

और वह नूतन अहसास

सच कहूंँ यथार्थ की भूमि पर

मेरी कल्पनाओं का महल उतर आया था ।

उन दिनों मैं कितना खोया खोया था ,
कितनी लगन थी सोच नहीं सकता

बमुश्किल उस पंक्ति में

उन भावों को कैसे ला पाया था ।

गर्व था सृजन के क्षणों पर

और लेखनी पर भी ,
आखिर अपनेपन के अहसास को

इतने नजदीक से छू पाया था ।

किस ढंग से लिखा था ‘हैप्पी न्यू ईयर’
कला के इस अनोखे रूप को

 

इतनी सहजता से प्रस्तुत कर पाया था ।

कितनी रसमय थी वह कविता और वह दिन

प्रसाद में माधुर्य लिपटा रहा आद्यान्त

एक गुण और था हर पंक्ति में

तुम्हारा नाम आया था ।

साथी कैसे कहूँ? क्या कहूँ?

नव वर्ष पिछली बार भी आया था।

New-year-poetry
शैलेन्द्र कुमार

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happy new year poem in hindi-क्या सब कुछ बदल जायेगा

डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की रचना क्या सब कुछ बदल जायेगा (happy new year poem in hindi) हिंदी रचनाकार के पाठको के सामने प्रस्तुत है –

क्या सब कुछ बदल जायेगा

(happy new year poem in hindi)


अपने गर्भ में

तारीख महीनों को पाल रहा

कैलेंडर जानेगा

एक और नया साल

जिसकी रेखा की बुनियाद पर

भविष्यवक्ताओं का

भविष्य टिका है

तो क्या यह मान लिया जाय

यह बदलाव का वर्ष होगा

सब कुछ बदल जायेगा

दिलों पर लगा

ज़ख्म सूख जायेगा

जो उग आया है

नागफनी की तरह

जिसने सीखा है पनपना

विश्वास है विस्तार में जिसका

नहीं उसने सीखा

संसर्ग में रहकर भी

चिरकाल तक

दौड़ता रहा अंधी दौड़

हर बार हारता रहा

बावजूद उसे कुचलता रहा

उसे परम विश्वास था

इस बात का छद्म एहसास था

कि नहीं हो सकता

वह मेरा प्रतिस्पर्धी

क्योंकि

इस कंगूरे की चमक

के लिए कितनी मांगों

का सिंदूर मैंने पिया है

और कितनी सिसकियों

की सीढ़ियों पर चढ़कर

अवस्थित हूं आज मैं

वह निरीह लाचार

कमठ क्या जाने

यह सब कुछ

एक अंतहीन प्रश्न

नववर्ष के जश्न में

आकंठ और आकर्ण डूबे

लोगों से पूछना चाहता हूं कि

क्या सब कुछ बदल जायेगा

दो दिन बाद ?

happy-new-year-poem-hindi
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
745899487

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maa par kavita in hindi-माता/प्रेमलता शर्मा

हिंदी की वरिष्ठ लेखिका प्रेमलता शर्मा की रचना  maa par kavita in hindi -माता  हिंदी  रचनाकार  के  पाठको के  सामने  प्रस्तुत है –

माता


कविता का नाम है माता का मान
इस दुनिया में सृजन करता की
सबसे सुंदर रचना माता है
माता के ही चरणों में

सारा ब्रह्मांड समाया है
मां जैसा निश्चल प्रेम कहां
मां के आंचल सी छांव कहां
हृदय जब भी व्यथित होता है
मां शब्द ही अधरों पर आता है
अपना अस्तित्व मिटा कर

माता हमको जीवन देती है
उसके ह्रदय से कभी आह ना निकले

ऐसा अनर्थ ना करना है
हर मनुष्य का माता के प्रति

कर्तव्य यही बस बनता है
इस संसार का हर सुख वैभव
माता के चरणों में अर्पण करना है
एक बात हमेशा दिल में गांठ

बांधकर रखना है
उसके दिल को ठेस न पहुंचे

वरना ईश्वर भी रो पड़ता है

maa-par-kavita-hindiप्रेमलता शर्मा

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new year poem /नव- वर्ष से अपेक्षाएं ।

नववर्ष २०२१ पर हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक की नववर्ष पर रचना नव- वर्ष से अपेक्षाएं(new year poem ) विश्व के हिंदी भाषी लोगो के  लिए प्रस्तुत है । 

नव- वर्ष से अपेक्षाएं ।


नव- वर्ष की स्वर्णिम प्रभा ,

जीवन को सुख- समॄद्धि दे ।

हे     ईश ,   मेरे   देश   के  ,

स्वाभिमान को अभिवॄद्धि दे ।

 

देश    का  हर  नागरिक ,

सच्चरित्र   निष्ठावान  हो ।

धर्म और संस्कृति का रक्षक ,

सद्गुणों   की  खान   हो   ।

 

सीमाओं  पर  दुश्मन  पड़ोसी ,

खेल   खूनी  खेलता   है   ।

गर्दन   पकड़   मरोड़     दो ,

हर बात में जो  ऐंठता   है  ।

 

नव – वर्ष  में  सेना  प्रबल  ,

दे  ईंट  का  पत्थर  जवाब ।

चीन – पाकिस्तान   दोनों  ,

छोड़  दें  बिल्ली के ख्वाब।

 

शिक्षा  सुसंस्कृति  में  युवा ,

स्थापित  करें नव कीर्तिमान।

भारत    बने पुनः विश्वगुरु,

हो शंख ध्वनि से कीर्ति गान।

 

क्यों अन्न – दाता  देश का  ,

अधिकार हित पथ पर पड़ा ॽ

गणतंत्र  उसका  ऋणी  है  ,

माटी  का  वह  हीरा  जड़ा  ।

 

नव वर्ष कॄषक- श्रमिक  के ,

सौभाग्य  का नव -वर्ष  हो  ।

फूले- फले  किसान  और  ,

खलिहान अन्न  समॄद्ध  हो ।

 

नव -वर्ष रोगों से रहित  हो ,

स्वस्थ  नर – नारी  सभी  ।

प्रगति  का पहिया चले जब ,

लौटें  पथिक खुशियां सभी।

new-year-poem

सीताराम चौहान पथिक

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video hindi story – वीडियो /संतोष कुमार विश्वकर्मा

मेरे बचपन की यादें”से संकलित कहानी

(video hindi story)

वीडियो”

पूरे गांव में हल्ला मच गया कि ठाकुर साहब की बेटी की शादी में वीडियो लगेगा, और पूरा गांव क्या,आसपास के दो चार गांव में   यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई।
बूढ़े, बच्चे, जवान सब अपना बोरिया बिस्तरा लेकर वीडियो देखने को उमड़ पड़े।
घेरर्राउ काका ने बताया कि वीडियो बारातियों के तंबू के सामने लगेगा, आखिर बाराती है उनका सम्मान पहले किया जाएगा, सो वीडियो देखने वालों की भीड़ बारातियो के तंबू के आसपास मंडराने लगी।
उस समय किसी के यहाँ शादी विवाह या अन्य किसी समारोह में वीडियो लगना बहुत अच्छा इंतजाम, और प्रतिष्ठा का विषय था।
बारातियों में कुछ लोग जो “बसंती”का आलिंगन कर चुके थे वो कुछ ज्यादा ही आतुर हो रहे थे और बीच बीच मे शोले फ़िल्म के धर्मेंद्र बन रहे थे और हंगामे का वातावरण बनाने में भरपूर सहयोग कर रहे थे।
तभी अचानक लुकमान ने पूछा,” कौन कौन पिक्चर आया है”।ये भी एक चिंता का विषय था,यदि दो कैसेट आयी है,तो मजा पचास प्रतिशत तुरंत कम हो जाता था ,और अगर तीन कैसेट आयी है, तो बढ़िया और यदि चार, तो सोने पे सुहागा।
तभी सिकंदर भाई ने कहा, मैं पता लगा के आता हूं कौन कौन सी फिलिम,और कितनी कैसेट आयी है।
जो वीडियो चलाने वाला आया था उसका तो अलग ही जलवा और भोकाल था ,गांव के लड़के उसे भरपूर से ज्यादा सम्मान दे रहे थे।मेज पर टीवी सेट लगाते हुए वो अपने आप को किसी हीरो से कम नही समझ रहा था।
लुकमान ने एक बार उससे फ़िल्म के बारे में पूछा तो उसने लुकमान को डांटकर भगा भी दिया था।
आखिर सिकंदर भाई के “आशिकी”गुटके ने कमाल दिखाया और वीडियो चलाने वाले ने उनको बताया तीन कैसेट आयी है, मिथुन, अमिताभ बच्चन और सनी देओल की ,इतना सुनते ही दर्शकों की टोली खुशी से झूम पड़ी। क्या क्रेज था उस टाइम मिथुन का, बहुत लोकप्रिय थे।

उनका बोला डायलॉग,”अबे ओय”  “कोई शक” और “तेरी जात का बैदा मारुं” आज भी बहुत प्रसिद्ध है और आवारा टाइप के लड़कों के मुंह से आज भी सुनाई पड़ जाता है।
खैर तभी अचानक हलचल तेज हो जाती है और पता चलता है कि वीडियो चालू होने वाला है, वीडियो वाले ने जैसे ही “श्री राम होंडा” का पोर्टेबल जनरेटर स्टार्ट किया, दर्शकों के दिलों की धड़कने भी उसी रफ्तार से तेज हो गयी और फिर लगी पहली कैसेट,मिथुन की “दाता”दर्शको में घोर आंनद की प्राप्ति, किसी मारधाड़ वाले सीन पर बीच बीच में “मार सारे का” भी सुनाई पड़ रहा था।
गंगा जमुना सरस्वती फ़िल्म में अमिताभ बच्चन जब मगरमच्छ को अपनी पीठ पर लादकर लाये और हंसराज की जो सुताई की ,मजा आ गया।
तभी अचानक जनरेटर घरघरा के बंद हो गया चारों तरफ सन्नाटा, क्या हुआ ,क्या हो गया, पता चला कि जनरेटर में पेट्रोल ही खत्म हो गया है,सभी दर्शको का दिल बैठ गया।
ठाकुर काका जिन की बेटी की शादी थी वो भी फिलिम का आनंद ले रहे थे, वीडियो चलाने वाले को बिगड़ गए बोले एक पैसा नही दूँगा ।वीडियो चलाने वाले की घोर बेज्जती हुई ,सारा हिरोपना निकल गया।
एलान हुआ कि सब अपने घर जाओ अब फिलिम नही चलेगी,तभी कुछ लड़कों ने कहा फौजी काका के “हीरो मैजेस्टिक”(विक्की)से पेट्रोल मिल सकता है और फौरन से पेश्तर, चार लड़के फौजी काका के घर रवाना हो गए।
रात के दो बजे के आसपास फौजी काका ने आने की वजह पूछी तो लड़को ने बताया कि वीडियो चल रहा था जनरेटर में पेट्रोल खत्म हो गया है आपकी बिक्की से पेट्रोल चाहिए ।
इतना सुनते ही फौजी काका आगबबूला हो गए और एक हजार गाली दी और बोले, चले जाओ हरगिज नही दूंगा।
लेकिन फिलिम देखने के जुनून के आगे ये अपमान कुछ भी ना था आखिर पेट्रोल लेकर ही लौटे ,ये बात अलग है कि फौजी काका ने पेट्रोल का दाम दुगना वसूल किया।
एक बार फिर से वीडियो चालू हुआ और फिर लगी “विश्वात्मा”   “सात समुंदर पार मै तेरे पीछे पीछे आ गई” बहुत  लोकप्रिय हुआ और आज भी उसका कोई तोड़ नही।।

मेरे बचपन की यादें”

आप में से बहुत लोगो को शायद ये याद होगा, बहुत लोग भूल भी गए होंगे, थोड़ा बहुत मैं लिखता हूं सोचा आप सबको याद दिला दूं, थोड़ी आपके चेहरे पे मुस्कान ला दूं।
video -hindi -story
संतोष कुमार विश्वकर्मा के संकलन का अन्य भाग पढ़े :

Short poem on republic day-मेरा वतन/पुष्पा श्रीवास्तव शैली।

रायबरेली की प्रसिद्ध लेखिका पुष्पा श्रीवास्तव शैली का इस गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र को समर्पित रचना मेरा वतन Short poem on republic day,इस वर्ष हम ७३ गणतंत्र दिवस हिंदुस्तान मे मनाएँगे। हिंदी रचनाकार के माध्यम से हिंदी भाषी लोगों के लिए  प्रस्तुत है रचना  –

मेरा वतन।

गीत गाकर वतन का धरा से गये,
बांकुरों को हृदय से नमन कीजिये।
छोड़िए बात नफरत की अब दोस्तों,
बैर को आग में अब दफन कीजिये।

देखना घर उजड़ने ना पाये कोई,
आंख से आँसू अब ना गिराये कोई।
बुझते चेहरे पड़े स्याह थे अब तलक,
देखना फिर ना उनको जलाये कोई।

वादियां हँस के फिर मुकुराने लगे।
सोचिये दिल से अब वो जतन कीजिये।

राखियाँ जाने कितनी वहाँ सो गयीं,
रंग सिंदूर और चूड़ियाँ खो गयीं।
माँ ने ममता लुटा दी न रोयी तनिक,
आँख लेकिन पिता की धुआँ हो गयी।

जल गयी अनगिनत बालपन की हँसी,
कैसे बच पाएंगी अब मनन कीजिए।

थक ना जाना अभी दौड़ना है तुम्हे,
मुँह नदी का अभी मोड़ना है तुम्हें।
यह प्रबल वेग है पाँव उखड़ेंगे तो,
किंतु सागर से अब जोड़ना है तुम्हे।

खिलखिलायेगा अब तो हमारा चमन,
हिन्द जय हिंद शेरे वतन कीजिये।।

पुष्पा श्रीवास्तव शैली

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baba kalpnesh ke geet- कलम मेरी गही माता/बाबा कल्पनेश

कलम मेरी गही माता 

(baba kalpnesh ke geet)

कलम मेरी गहो माता सदा उर नेह की दाता।

चले यह नित्य करुणा पथ यही मुझको सदा भाता।।

भरम यह तोड़ती जग का उठाए प्रेम का छाता।

जगाए राष्ट्र भारत को बढ़ाए आत्म का नाता।।

निबलता देश की टूटे बनें सब वीर व्रत धारी।

चलें सब साथ होकर के सजे यह राष्ट्र फुलवारी।।

महक आकाश तक फैले यशी हों साथ नर-नारी।

मनुजता मूल्य पाए निज हटे जो मोह भ्रम भारी।।

सभी का श्रम बने सार्थक सभी को मूल्य मिल पाए।

नहीं  हों दीन भारत में कलम यह गीत लिख गाए।।

सुने नित विश्व सारा ही सभी को गीत यह भाए।

भरत का देश जागा है समय शुभ लौट कर आए।।

पुरातन शौर्य वह जागे भरत जब शेर से खेला।

वही यह राष्ट्र प्यारा है बनाकर विश्व को चेला।।

भरा करता रहा सब में मनुज के भाव का रेला।

लगे संगम किनारे जो अभी भी देख लें  मेला।।

नहीं कोई करे ऐसा यहाँ निंदित पड़े होना।

जगत अपमान दे भारी मिला जो मान हो खोना।।

जगे फिर दीनता हिय में पड़े एकांत में रोना।

लुटेरे लूट लें सारा हमारी निधि खरा सोना।।

जगे यह राष्ट्र-राष्ट्री सब सभी सम्पन्नता  पाएं।

सभी जन राष्ट्र सेवा में श्रमिक सा गीत  रच गाएं।।

निकल निज देश के हित में स्वयं अवदान ले आएं।

सदा हर जीव का मंगल रचें कवि गीत-कविताएं।।


२. हे राम

(baba kalpnesh ke geet )


 

हे राम जैसे आप हैं, यह जग कहाँ-कब मानता।

निज कल्पना के रूप में, कल्पित तुम्हे  है तानता।।

व्यवहार कर कुछ और ही,प्रवचन करे कुछ और ही।

जो वेद का व्याख्यान है, इस जगत लागे बौर ही।।

यह वेद को पढ़ता भले,पर कामना रत नित्य ही।

निज मापनी आकार में, निज को कहे आदित्य ही।।

यह ज्ञान का भंडार है, उर में सदा ही ठानता।

हे राम जैसे आप हैं, यह जग कहाँ है मानता।।

सम्मान दे माता-पिता,आचरण वैसा अब नहीं।

दुत्कार दे बैठे रहो,आदर नही कोई कहीं।।

आदेश कैसे मानता,ज्ञानी हुआ हर पूत है।

हनुमान को लड्डू खिला,बनता स्वयं हरि दूत है।।

यह देखता टीवी भले,निज बाप कब पहचानता।

हे राम जैसे आप हैं, यह जग कहाँ है मानता।।

ओंकार अथवा राम ही,जपता भले कर माल ले।

आशय नहीं पर मानता,गुरुदेव वाणी भाल ले।।

चंदन भले माला भले,आजान का स्वर तान ले।

कर्तव्य अपना जान ले,जो शास्त्र सम्मति मान ले।।

गुरु वाग केवल बोलता, पर कुछ कहाँ  है जानता।

हे राम जैसे आप हैं, यह जग कहाँ-कब मानता।।


  ३.  साध्य


कविता हमारी साध्य हो,साधन करें जो आज हो।

साधन हमारी भावना,हमको उसी की लाज हो।।

संसार सारा निज सखे,आओ इसे हम प्यार दें।

बोले सभी यह संत हैं, जिसपर हमें अति नाज हो।।

सब कुछ यहाँ परमात्मा, कुछ भिन्न जानो है नहीं। 

बस एक ही यह ज्ञान है,इस ज्ञान से ही काज हो।।

जो मंत्र गुरुवर से मिला,उसको हृदय में धार लें।

तब धन्य जीवन धन्य हो, निज शीश पर जग ताज हो।।

जो योग है वह जान लें, निज आत्म को विस्तार दें।

पाकर जिसे हर आदमी, मेटे उसे जो खाज हो।।

यह जीव-जीवन क्यों मिला,यह प्रश्न उत्तर खोज लें।

इस जग चराचर क्या भरा,हम जान लें जो राज हो।।

आओ लिखें वह गीतिका, जिसमें सरित सी धार हो।

हिय की कलुषता सब बहे,ऐसा सरस अंदाज हो।।

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बाबा कल्पनेश

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